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लएनसीटी यूनिवर्सिटी में वर्ल्ड टाइगर डे पर नेचुरल आर्ट से तैयार किया मैसेज

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 5014

Bhopal: 29 जुलाई 2018। विश्व भर में बाघों की घटती जनसंख्या को देखते हुए 29 जुलाई को वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जाता है। इस दिन के जरिए बाघों की बची जातियों को बचाने और इन्हें संरक्षित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयत्न किया जा रहा है। भोपाल में भी एलएनसीटी यूनिवर्सिटी में स्टूडेन्ट्स ने वर्ल्ड टाइगर डे का आयोजन कर बाघों के संरक्षण और अन्य विलुप्त होती जा रही प्रजातियों को बचाने का संदेश दिया। इस दौरान स्टूडेन्ट्स ने आर्ट वर्क के जरिए बताया कि कि विश्व भर में मात्र 3,200 बाघ ही बचे हैं। इनके अस्तित्व पर लगातार खतरा मंडरा रहा है और यह प्रजाति विलुप्त होने की स्थिति में है।



एलएनसीटी यूनिवर्सिटी में स्टूडेन्ट्स ने नेचुरल आर्ट के जरिए टाइगर की आकृति बनाई। इसके साथ ही उन्होंने अपने आर्ट वर्क से जानकारी देते हुए बताया कि बाघों के संरक्षण के लिए कई देश मुहिम चला रहे हैं, लेकिन फिर भी पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि इनकी संख्या घटने की रफ्तार ऐसी रही तो आने वाले एक-दो दशक में बाघ का नामो निशान इस धरती से मिट जाएगा। इस आर्ट वर्क के जरिए उन्होंने बताया कि बाघ को आप और हम, जिस बाघ को देखकर डर जाते हैं और उनकीगरज सुनकर अच्छे अच्छे कांप जाते हैं, आज उनके खुद के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।



एलएनसीटी यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर अनुपम चौकसे ने इस दौरान बताया कि वैसे तो 29 जुलाई बाघों के संरक्षण को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए विशेष दिन है, लेकिन बाघों के साथ ही दुनिया भर की कई ऐसी वन्य प्राणियों की प्रजातियों पर संकट मंडरा रहा है जिनकी संख्या अब बहुत कम बची है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ सम्मलेन में इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया गया। तब से प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को इस दिवस को मनाया जाता है। इसे 'अंतरराष्ट्रीय बाघ' दिवस के नाम से भी जाना जाता है। अनुपम चौकसे ने बाघों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अवैध शिकार और वनों के नष्ट होने के कारण विभिन्न देशों में बाघों की संख्या में काफी कमी आई है। विश्व बाघ दिवस को मनाने का उद्देश्य वन्य प्राणी बाघ की स्थिति के बारे में विश्व में जागरूकता फैलाना है

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