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मध्य प्रदेश के विभाग खर्च की गई राशि का प्रमाण-पत्र केंद्र को नहीं भेजते हैं

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: PDD                                                                         Views: 17163

Bhopal: पिछले वर्ष 1952 करोड़ के बजाये सिर्फ 92 करोड़ ही मिले



15 मई 2017, मध्य प्रदेश के सरकारी विभाग केंद्र की अनुदान योजनाओं में मिलने वाली राशि के खर्च का उपयोगिता प्रमाण-पत्र समय पर नहीं भेजते हैं जिसके कारण गत वर्ष 2016-17 के केंद्र के बजट में जल संसाधन एवं नर्मदा घाटी विकास विभाग हेतु प्रावधानित राशि 1052 करोड़ रुपये में से सिर्फ 92 करोड़ रुपये ही मिले। इसका मुख्य कारण भारत सरकार में बजट की अल्प उपलब्धता की बात राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा बताई जाना और भारत सरकार को उपयोगिता प्रमाण-पत्र, प्रगति प्रतिवेदन और प्रस्तावों का नहीं भेजा जाना रहा।



उक्त तथ्य को मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा जारी एक नोटशीट में उल्लेखित किया गया है। नोटशीट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2017-18 में राज्य के बजट में केंद्र सरकार से प्राप्त किये जाने हेतु रुपये 1442 करोड़ 42 लाख प्रावधानित हैं, जिनकी प्राप्ति हेतु तत्काल केंद्र सरकार को प्रस्ताव तथा उपयोगिता प्रमाण-पत्र भेजे जाने की आवश्यक्ता है।



नोटशीट में कहा गया है कि राज्य में प्रचलित सिंचाई की विभिन्न परियोजनाओं के वित्त पोषण हेतु 5530 करोड़ 71 लाख रुपये के ऋण हेतु गत 1 मार्च,2017 को नाबार्ड को प्रस्ताव प्रेषित किये गये हैं। यदि केंद्र से अनुदान की समग्र राशि मिलती है तो उक्त ऋण का आकार एवं उस पर लगने वाले ब्याज की राशि कम हो सकती है।



नोटशीट में बताया गया है कि वर्ष 2016-17 में राज्य के तेरह विभाग ऐसे थे जिन्हें उपयोगिता प्रमाण-पत्र समय पर न भेजने के कारण 5543 करोड़ 26 लाख रुपये की राशि केंद्र से नहीं मिल पाई। इनमें शामिल हैं स्कूल शिक्षा, पंचायत, कृषि, नगरीय, लोनिवि, अजाजजा कल्याण, सामाजिक न्याय, जल संसाधन, स्वास्थ्य, पीएचई, तकनीकी शिक्षा, महिला एवं बाल विकास तथा खाद्य विभाग।



उक्त के अलावा नोटशीट में कहा गया है कि विदेशी सहायता प्राप्त योजनाओं के अंतर्गत राज्य के आठ विभाग यथा स्वास्थ्य, वन, पंचायत, पीएचई, लोनिवि, तकनीकी शिक्षा, नगरीय एवं जल संसाधन विभाग की बीस प्रक्रियारत परियोजनाओं में 56 हजार 210 करोड़ रुपये की केंद्र के माध्यम से सहायता मिल सकती है जिसके लिये अपेक्षित तैयारियां करने की जरुरत है। वर्ष 2015-16 में जहां उक्त मद में 1586 करोड़ 10 लाख रुपये मिले थे वहीं वर्ष 2016-17 में 13 सौ करोड़ रुपये ही मिल पाये। इसका कारण भी उक्त पूरी राशि प्राप्त करने के लिये देयक या उपयोगिता प्रमाण-पत्र केंद्र को प्रस्तुत न किया जाना था।



इनका कहना है :

विभागीय अधिकारी ने बताया कि सीएम सचिवालय की नोटशीट आई है जिस पर सभी मुख्य अभियंताओं को कार्यवाही करने के लिये कहा गया है। वक्र्स वालों की ओर से उपयोगिता प्रमाण-पत्र देने में अक्सर विलम्ब होता है। यह प्रमाण-पत्र आनलाईन मिल जाया करे ऐसी अभी तो व्यवस्था नहीं है, लेकिन आगे इस बारे में कोई व्यवस्था हो सकेगी। परियोजनाओं का काम नहीं रुकता है, केंद्र के अनुदान की प्रत्याशा में राज्य के बजट से प्रतिपूर्ति कर ली जाती है।







- डॉ नवीन जोशी

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