×

नर्मदा सेवा यात्रा का विराम, नर्मदा सेवा मिशन का शुभारंभ

Location: अमरकंटक                                                 👤Posted By: PDD                                                                         Views: 17544

अमरकंटक: मप्र ने किया नदी संरक्षण का अद्भुत काम, नर्मदा सेवा मिशन कार्ययोजना सभी राज्यों को भेजें - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

विश्वविद्यालय में नदी संरक्षण की पढाई के लिए खोला जायेगा विभाग

प्रदेश की पहली स्मार्ट सिटी बनेगी अमरकंटक



प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जब अधिकार भाव प्रबल हो जाता है और कर्तव्य भाव क्षीण हो जाता है तब अनेक पर्यावरण्ीय समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उन्होंने कहा कि नदियों के संरक्षण के प्रति भी कर्तव्य भाव कम होने से नदियाँ लुप्त हो रही हैं। ऐसे समय नर्मदा सेवा का काम लोगों में कर्तव्य भाव जाग्रत करने का महायज्ञ सिद्ध होगा।



प्रधानमंत्री श्री मोदी आज अमरमंटक में "नर्मदा सेवा यात्रा" के पूर्ण होने और नर्मदा सेवा मिशन के शुभारंभ अवसर पर भव्य समारोह में नर्मदा सेवकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि नर्मदा सेवकों को प्रणाम करने से भी नर्मदा सेवा का पुण्य प्राप्त होता है। यह पुण्य माँ भारती की सेवा और गरीबों के जीवन खुशहाली लाने के काम आएगा। उन्होंने कहा कि नर्मदा परिक्रमा से अहंकार मिट्टी में मिल जाता है। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री और नागरिकों की सराहना करते हुये कहा कि समय रहते नदियों के संरक्षण के प्रति जागृत हो गए है। केरल की एक नदी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि आज कई नदियों में पानी नहीं है। उन्होंने कहा कि चूँकि नर्मदा नदी ग्लेशियर से नहीं निकलती। यह पौधों की प्रसाद से प्रगट होती है इसलिए बड़े पैमाने पर पेड़ लगाकर इसकी रक्षा करने का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि हमे ऐसा कर्म करें कि आने वाली पीढ़ियां हमें याद रखें जैसे कि आज हम अपने पुरखों का याद करते हैं। जैसे नदियों ने पुरखों को जीवन दिया उसी तरह हम भी नदियों को जीवन दें।



श्री मोदी ने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा दुनिया की एक असंभव और असामान्य घटना है जब लाखों लोग एक नदी की रक्षा के लिये संकल्पबद्ध हुए। मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश की जनता और नर्मदा सेवा से जुड़े भक्तों को इस असाधारण कार्य के लिए बधाई। इस कार्य का वैश्विक महत्व है।



श्री मोदी ने कहा कि मध्यप्रदेश में नदी के संरक्षण का अद्भुत काम हुआ है। इस यात्रा के दौरान 25 लाख लोगों ने नदी बचाने का संकल्प लिया है। मध्यप्रदेश ने एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के नागरिकों और किसानों की ओर से मध्यप्रदेश सरकार और नागरिकों का अभिनंदन करते हुए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि गुजरात के लोग जानते है कि नर्मदा की एक-एक बूँद का कितना महत्व है।



स्वच्छता अभियान की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जनभागीदारी लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। जनभागीदारी की उपेक्षा कर कोई भी सरकार सफल नहीं हो सकती। इसके लिये जनसमर्थन जरूरी है। इस दिशा में मध्यप्रदेश ने उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के क्षेत्र में मध्यप्रदेश पीछे था लेकिन दृढ़ संकल्प और जनभागीदारी से आज देश में सबसे आगे है। देश के 100 स्वच्छ शहरों में मध्यप्रदेश के 22 शहर शमिल है। पूरे देश में इंदौर पहले और भोपाल दूसरे स्थान पर है। इसका साफ मतलब है कि जनभागीदारी और प्रशासन दोनों ने साथ काम किया है। यह उदाहरण अन्य राज्यों को प्रेरणा देने वाला है।



नर्मदा सेवा यात्रा की सफलता भी जनता की ताकत और समर्थन से संभव हुई है। उन्होंने कहा कि नए पेड़ों की चिंता करेंगे तो पर्यावरण भी स्वस्थ होगा। नर्मदा सेवा मिशन की कार्ययोजना चर्चा करते हुए उन्होंने यह परफेक्ट डाक्यूमेंट है। इसे सभी राज्यों को भेजें क्योंकि यह प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने का एक मॉडल प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि यदि मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर 20 प्रतिशत से अधिक है तो इसमें नर्मदा नदी का ही योगदान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इस दिशा में भी मध्यप्रदेश ने योजना तैयार कर ली है। उन्होंने बताया कि 2022 में आजादी के पचहत्तर वर्ष पूरे हो रहे हैं। उन्होंने नागरिकों से आव्हान किया कि वे हर पल आजादी के 75 वर्ष को याद करें और देश के लिए सकारात्मक योगदान देने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि अपनी संस्था, अपने गाँव, परिवार और प्रदेश-देश के लिए योगदान देने के लिए संकल्पित हो जाएं। उन्होंने कहा कि हम नया भारत बनाने का सपना लेकर चलें हैं। इस काम में प्रत्येक नागरिक को जोड़ना है। प्रत्येक नागरिक यह कोशिश करें कि वह अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान कैसे दे सकता है। उन्होंने कहा कि यदि नागरिक एक कदम आग चलेंगे तो देश सवा सौ करोड़ कदम आगे निकल जाएगा।



मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री को नर्मदा सेवा मिशन की कार्ययोजना सौंपी। उन्होंने विश्वविद्यालय में नदियों के संरक्षण और पर्यावरणीय शुद्धता के अध्ययन के लिए विश्वविद्यालय में विभाग खोलने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि अमरकंटक के पर्यावरणीय और आध्यात्मिक महत्व को देखते हुए इसे मिनी स्मार्ट सिटी बनाई जायेगी। यह प्रदेश की पहली मिनी स्मार्ट सिटी होगी।



श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा हर वर्ग का सहयोग मिला और 25 लाख लोग नर्मदा सेवा से जुड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि यह एक सामाजिक आंदोलन बन गया है। नर्मदा के तटों के पाँच किलोमीटर के दायरे में शराब की दुकानें बंद कर दी गई हैं। अब सभी गाँव नदी संरक्षण के प्रति जागृत हो गए हैं। करीब 80 हजार नर्मदा सेवक स्थाई रूप से इससे जुड़ गए हैं। आगामी दो जुलाई को नर्मदा के तटों पर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाएगा। इनकी रक्षा की जिम्मेदारी के लिए वृक्ष सेवक उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 12 करोड पौधे लगाये जायेंगे। इनमें से दो जुलाई को छह करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। अगले वर्ष 15 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। स्थानीय प्रजातियों के पौधे रोपे जाएंगे। नर्मदा के प्रवाह की निरंतरता के लिए प्रयास किये जायेंगे। नर्मदा में मल-जल की एक-एक बूंद रोकी जाएगी। इसके लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट लगाए जा रहे हैं। जैविक खेती और सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है।



श्री चौहान ने कहा कि रेत की जरूरत के कारण नर्मदा को छलनी नहीं होने देंगे। खनन का कार्य वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार किया जायेगा। अमरकंटक की पहाड़ी पर किसी भी प्रकार का उत्खनन नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे स्वयं नर्मदा सेवा मिशन का नेतृत्व करेंगे। गाँव में नर्मदा सेवा समितियां कार्य करने लगी है। नर्मदा सेवा मिशन की कार्ययोजना को समाज के साथ मिलकर क्रियान्वित किया जाएगा। प्रधानमंत्री के हर संकल्प को मध्यप्रदेश पूरा करेगा। अगले साल से क्षिप्रा, ताप्ती, बेतवा और चम्बल तथा अन्य नदियों के संरक्षण का कार्य शुरू किया जाएगा। नर्मदा सेवा मिशन की कार्ययोजना की प्रगति का प्रतिवेदन एक साल बाद जनता को समर्पित किया जाएगा।



मध्यप्रदेश के लिए आधुनिक भागीरथ सिद्ध हुए है मुख्यमंत्री



आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने प्रधानमंत्री को राष्ट्र ऋषि और सभ्यता संस्कृति और संवेदना के सुमेल वाला व्यक्त्वि बताते हुए कहा कि उन्होंने भारत को श्रेष्ठ स्थान पर विराजित किया है। उन्होंने कहा कि नर्मदा सेवा मिशन का प्रारंभ शासक, प्रशासक और उपासक को एक साथ काम करने के संकल्प लेने का पल है। उन्होंने कहा कि नीर में ही नारायण है। उन्होंने जल का महत्व बताते हुए कहा कि जल की स्वाभाविक माँग होती है। यह जीवन है। जल की कमी हो रही है। भविष्य में पीने योग्य पानी की कमी ना हो इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार का यह मिशन समयानुकुल है। उन्होंने कहा कि भारत देश जल की आराधना में जुटा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में इस दिशा में काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के लिए आधुनिक भागीरथ सिद्ध हुए है। सिंहस्थ का आयोजन कर वे आधुनिक विक्रमादित्य साबित हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री को भारत की धरती पर विकास का अवतार बताते हुए कहा कि उनके होने से देश भयमुक्त है और देश का भविष्य सुरक्षित है। अवधेशानंद जी ने कहा कि नदी संरक्षण का यह माड्यूल पूरे देश में जाएगा।



वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने नर्मदा सेवा के उद्देश्य की चर्चा करते हुए कहा कि यह पूरी तरह वैज्ञानिक और आध्यात्मिक यात्रा थी। इसके माध्यम से लाखों नागरिकों की नदी संरक्षण के प्रति जनजागृति और चेतना बढ़ी है। अब हर नागरिक इस बात के प्रति सजग है कि नर्मदा नदी में एक भी बूँद गंदा पानी नहीं मिलने देंगे।



कार्यक्रम की शुरूआत में नर्मदा सेवा यात्रा का ध्वज और कलश प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री ने सौंपा। प्रधानमंत्री ने नर्मदा प्रवाह पुस्तक का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने नागरिकों को नर्मदा की सेवा करने का संकल्प दिलाया। इस अवसर पर विशाल में संख्या में नर्मदा सेवक, केन्द्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद ज्ञान सिंह, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग राज्य मंत्री संजय पाठक, संत समुदाय, मंत्रिमंडल के सदस्य, सांसद, विधायक, अन्य जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे.







- डा. नवीन जोशी

Related News

Latest News

Global News