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अब गांवों के स्कूलों के लिये भी निजी बड़ी कंपनियां मध्यान्ह भोजन बनायेंगी

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: PDD                                                                         Views: 17813

Bhopal: 26 मई 2017, प्रदेश के ग्रामों में भी अब मध्यान्ह भोजन पकाने की केन्द्रकृत व्यवस्था होगी यानी निजी बड़ी कंपनियां आधुनिक पाकशाला बनाकर इनका भोजन तैयार करेंगी। अभी गांवों के सरकारी स्कूलों में अगग-अलग स्वसहायता समूहों के माध्यम से मध्यान्ह भोजन पकाकर बच्चों को खिलाया जाता है। लेकिन अब शहरों की तरह गांवों में भी केन्द्रीकृत रसोई यानी एक ही बड़ी कंपनी के माध्यम से भोजन पकाने एवं वितरित करने का प्रावधान कर दिया गया है। नई एकीकृत रसोई व्यवस्था हेतु केंद्र सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के अधीन स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत वर्ष 2015 में बनाये मध्यान्ह भोजन नियम में संशोधन कर दिया है।



पहले उक्त नियमों में सिर्फ शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में ही केन्द्रीकृत पाकशाला के माध्यम से स्कूलों में मध्यान्ह भोजन परोसे जाने का प्रावधान था तथा गावों में स्वसहायता समूहों के माध्यम से स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था थी। लेकिन अब नया प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक स्कूल में स्वच्छ तरीके से भोजन बनाने की सुविधा होनी चाहिये। शहारी क्षेत्रों, चिन्हित ग्रामीण क्षेत्रों जहां सड़क की सुविधा हो वहां भोजन पकाने के लिये केन्द्रीकृत रसोईघर की सुविधा स्थापित की जा सकेगी और केवल स्कूल के बालकों को ही इस केन्द्रीकृत रसोईघर के माध्यम से भोजन परोसना होगा।



उल्लेखनीय है कि देश एवं प्रदेश में मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम 15 अगस्त 1995 से प्रारंभ हुआ। इस समय प्रदेश में 1 लाख 15 हजार प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में लगभग 2 लाख 86 रसोईयों द्वारा मध्यान्ह भोजन बनाने का काम किया जा रहा है। इसके लिये 37 हजार 463 करोड़ 61 लाख रुपयों का बजट खर्च किया गया है। इससे 60 लाख 78 हजार बच्चों को मध्यान्ह भोजन मिलने का लाभ हुआ है।



मध्यान्ह भोजन पंचायत विभाग के राज्य समन्वयक जसवीर सिंह चौहान के अनुसार मप्र में मध्यान्ह भोजन हेतु भोपाल, जबलपुर, इंदौर एवं ग्वालियर जैसे मैट्रो शहरों में केन्द्रीकृत रसोईघर की व्यवस्था की गई तथा इसके बाद तेरह अन्य बड़े नगरीय निकायों में की गई। गांवों में तो अलग-अलग स्वसहायता समूहों को मध्यान्ह भोजन पकाने का काम दिया जाता है। अब केंद्र ने रोड कनेक्टिविटी वाले गांवों के लिये भी केन्द्रीकृत रसोईघर का प्रावधान किया है तो उसका पालन किया जायेगा।







- डॉ नवीन जोशी

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