Bhopal: 18 जुलाई 2017। मायनिंग विभाग की सूरत कितना भी बदल जाए, लेकिन विभाग के खदान संचालकों में कोई बदलाव आने का नाम ही नहीं ले रहा है। एक ओर जहां विभाग डिजीटल की ओर कदम बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर खदान संचालक आज भी अंगूठा टेक बने हुए हैं। अभी भी वे मैन्युवली तौर पर रायल्टी रसीदें काट रहे हैं, जबकि इलेक्ट्रिानिक ट्रांजिट पास (ईटीपी) के आदेश मार्च में ही जारी हो चुके हैं।
192 में से मात्र 50 ने की ईटीपी शुरू
भोपाल जिले में अब तक 192 खदान संचालकों में से केवल 50 ऐसे संचालक हैं, जिन्होंने ईटीपी जारी करना शुरू कर दिया है। जबकि जिले में कुल 120 खदान संचालक अपनी खदानों से खनिज उत्त्खनन का कार्य करते हुए उसका बेधड़क परिवहन कर रहे हैं। 70 खदान संचालकों के पास अभी भी मैन्युवली रायल्टी रसीदों के कट्टे हैं, जिनसे रायल्टी काटी जा रही है।
प्रशिक्षण ली, फिर भी नहीं करा रहे रजिस्ट्रेशन
जिले में 192 में से 120 खदान संचालक खदानों से खनिज का उत्खनन कर रहे हैं। इसके बावजूद भी मात्र 70 खदान संचालकों ने खनिज पोर्टल पर ईटीपी जनरेट करने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। जबकि अब भी 50 संचालकों ने उनके पास मैन्युवली रायल्टी रसीदों के कट्टे होने से रजिस्ट्रेशन कराने में अपनी रुचि ही नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे में 70 में से मात्र पचास खदान संचालकों ने ऑनलाइन ईटीपी रसीदें जारी करना शुरू की है। ये स्थिति तब बनी है, जब खदान संचालकों को दो बार ईटीपी के ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
इनका कहना है -
अगले 20 दिनों में जिले के सभी 120 खदान संचालकों को ईटीपी रसीदें ही जारी करनी होंगी। इस संबंध में सभी को निर्देशित कर दिया गया है।
- राजेंद्र सिंह परमार, जिला खनिज अधिकारी भोपाल
मायनिंग विभाग डिजीटल, अंगूठा टेक खदान संचालक
Location:
Bhopal
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