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बच्चों के लिए एलएनसीटी वर्ल्ड स्कूल द्वारा स्विस फिल्म हैदी का प्रदर्शन

Location: भोपाल                                                 👤Posted By: Admin                                                                         Views: 2096

भोपाल: 8 मई 2018। भारत एवं स्विट्जरलैण्ड की मित्रता के 70 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पूरे देश में भ्रमण कर रही मूवी वैन आज एलएनसीटी वर्ल्ड स्कूल के बुलावे पर शाम 6 बजे कोलार रोड स्थित एलएनसीटी यूनीवर्सिटी ऑडिटोरियम, भोपाल पहुंची। इस दौरान यहां मौजूद बच्चों एवं अभिभावकों को अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता प्राप्त बाल फिल्म हैदी दिखाई गई। वैन के साथ भोपाल पहुंचे स्विट्जरलैण्ड के वाइस कान्सुलेट क्रिस्टोप केलर का स्वागत एलएनसीटी वर्ल्ड स्कूल की निदेशक श्रीमती पूजा चौकसे ने किया। श्री किस्टोप ने बच्चों को उनके देश के इतिहास व संस्कृति के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि स्विट्जरलैण्ड की वे पूरे भारत में भृमण कर स्कूली बच्चों से मिल रहे हैं तथा उन्हें भारत से अपनी मित्रता, आपसी समझ व एक दूसरे का आदर व सबको साथ लेकर चलने की अपनी सांस्कृतिक विरासत से अवगत करा रहे है।



लगभग 1.40 घण्टा अवधि की हैदी फिल्म स्विट्जरलैण्ड के खूबसूरत पहाड़ों में बसे एक गांव में रहने वाली 5 वर्षीय अनाथ बच्ची की कहानी है जो अपने बूढ़े दादा के साथ रहती है। अचानक एक दिन उसकी चाची आ जाती है और उसे लेकर फ्रेंकफर्ट के एक अमीर घर की ले आती है जहां उसे लकवे की वजह से व्हीलचेयर पर रहने वाली क्लारा नामक लड़की की सहायिका बना दिया जाता है। मित्रता करने में तेज हैदी धीरे-धीरे नये माहौल में अपने आपको एडजस्ट कर लेती है। वह क्लारा से पढ़ना लिखना भी सीख लेती है लेकिन खुले वातावरण में रहने की उसकी इच्छा उसे एकबार फिर हैदी को अपने पुराने घर की ओर आकर्षित करती है। उसकी इस इच्छा को क्लारा के पिता पूरा करते है किंतु इससे क्लारा उदास हो जाती है। पहाड़ों में लौटकर हैदी चिट्ठी के जरिये क्लारा के संपर्क में रहती है। क्लारा अक्सर हैदी से मिलने जाने की बात अपने पिता से करती है जिसपर एक दिन उसके पिता गुस्से में उसकी व्हीलचेयर तोड़ देते हैं। व्हीलचेयर टूटने पर क्लारा को अहसास होता है कि लकवे से ज्यादा उसका दिमाग उसे व्हीलचेयर का आदी बना रहा था और वह ठीक होने लगती है। एकदिन उसकी मां उसे हैदी से मिलने की इजाजत देती है और फिर दोनों सहेलियों का मार्मिक मिलन पहाड़ों में होता है।

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