×

भारतीय सेना में शामिल होने वाला घातक अपाचे हेलीकॉप्टर

Location: Delhi                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 13097

Delhi: अमरीका की सरकार ने भारतीय सेना को छह अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टर बेचने के समझौते को मंज़ूरी दे दी है.



मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते के प्रस्ताव को अमरीकी संसद की मंज़ूरी मिल चुकी है.



समाचार एजेंसी एएफ़पी की ख़बर के मुताबिक़, इससे पहले बोइंग और भारतीय सहयोगी कंपनी टाटा ने मिलकर भारत में अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टर के निर्माण का फ़ैसला किया था.



930 मिलियन डॉलर की डील

लेकिन अब जिस समझौते को मंज़ूरी मिली है, उसके मुताबिक़ अमरीकी कंपनी 6 तैयार हेलीकॉप्टर भारत को बेचेगी, जिनकी क़ीमत 930 मिलियन डॉलर बताई गई है.



लेकिन अब जिस समझौते को मंज़ूरी मिली है, उसके मुताबिक़ अमरीकी कंपनी 6 तैयार हेलीकॉप्टर भारत को बेचेगी, जिनकी क़ीमत 930 मिलियन डॉलर बताई गई है.



अमरीका की डिफ़ेंस सिक्योरिटी कॉरपोरेशन एजेंसी का कहना है, "अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टर भारतीय सेना की रक्षात्मक क्षमता को बढ़ायेगा. इससे भारतीय सेना को ज़मीन पर मौजूद ख़तरों से लड़ने में मदद मिलेगी. साथ ही सेना का आधुनिकीकरण भी होगा."



इससे पहले, सितंबर 2015 में भारतीय संसद ने क़रीब ढाई बिलियन डॉलर के एक समझौते को मंज़ूरी दी थी जिसके मुताबिक़ भारत को अमरीकी कंपनी 'बोइंग' से 37 सैन्य हेलीकॉप्टर ख़रीदने थे.



उस वक़्त कहा गया था कि भारत 22 अपाचे हेलीकॉप्टर और 15 चिनूक हेलीकॉप्टर अमरीका से ख़रीदेगा, और ये भारतीय बेड़े में खड़े पुराने रूसी हेलीकॉप्टरों की जगह लेंगे.



इमेज कॉपीरइटBOEING.COM

क्या ख़ास है 'अपाचे' में?

क़रीब 16 फ़ुट ऊंचे और 18 फ़ुट चौड़े अपाचे हेलीकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट होना ज़रूरी है.

अपाचे हेलीकॉप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं. इस वजह से इसकी रफ़्तार बहुत ज़्यादा है.

अधिकतम रफ़्तार: 280 किलोमीटर प्रति घंटा.

अपाचे हेलीकॉप्टर का डिज़ाइन ऐसा है कि इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल होता है.

बोइंग के अनुसार, बोइंग और अमरीकी फ़ौज के बीच स्पष्ट अनुबंध है कि कंपनी इसके रखरखाव के लिए हमेशा सेवाएं तो देगी पर ये मुफ़्त नहीं होंगी.

सबसे ख़तरनाक हथियार: 16 एंटी टैंक मिसाइल छोड़ने की क्षमता.

हेलीकॉप्टर के नीचे लगी राइफ़ल में एक बार में 30एमएम की 1,200 गोलियाँ भरी जा सकती हैं.

फ़्लाइंग रेंज: क़रीब 550 किलोमीटर

ये एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ सकता है.

(इनपुट: बोइंग कंपनी की वेबसाइट से)



अपाचे की कहानी एक पायलट की ज़बानी

जनवरी, 1984 में बोइंग कंपनी ने अमरीकी फ़ौज को पहला अपाचे हेलीकॉप्टर दिया था. तब इस मॉडल का नाम था AH-64A.



तब से लेकर अब तक बोइंग 2,200 से ज़्यादा अपाचे हेलीकॉप्टर बेच चुकी है.



भारत से पहले इस कंपनी ने अमरीकी फ़ौज के ज़रिए मिस्र, ग्रीस, भारत, इंडोनेशिया, इसराइल, जापान, क़ुवैत, नीदरलैंड्स, क़तर, सऊदी अरब और सिंगापुर को अपाचे हेलीकॉप्टर बेचे हैं.



ब्रिटेन की वायु सेना में पायलट रहे एड मैकी ने पाँच साल तक अफ़ग़ानिस्तान के संवेदनशील इलाक़ों में अपाचे हेलीकॉप्टर उड़ाया है. वो शांति सेना में एक बचाव दल का हिस्सा थे.



बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "अपाचे को उड़ाना, ऐसा था जैसे किसी ने आपको 100 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही कार की छत पर रस्सी से बांध दिया हो. ये बहुत तेज़ हेलीकॉप्टर है."



मैकी के अनुसार, अपाचे हेलीकॉप्टर दुनिया की सबसे परिष्कृत, लेकिन घातक मशीन है. ये अपने दुश्मनों पर बहुत बेरहम साबित होती है.



अपाचे के फ़ायदे ये हैं...

मैकी ने बताया कि किसी नए पायलट को अपाचे हेलीकॉप्टर उड़ाने के लिए कड़ी और एक लंबी ट्रेनिंग लेनी होती है, जिसमें काफ़ी ख़र्च आता है. सेना को एक पायलट की ट्रेनिंग के लिए 3 मिलियन डॉलर तक भी ख़र्च करने पड़ सकते हैं.



अपाचे हेलीकॉप्टर पर अपना हाथ साधने के लिए पायलट एड मैकी को 18 महीने तक ट्रेनिंग करनी पड़ी थी.



वो कहते हैं, "इसे कंट्रोल करना बड़ा मुश्किल है. दो पायलट मिलकर इसे उड़ाते हैं. मुख्य पायलट पीछे बैठता है. उसकी सीट थोड़ी ऊंची होती है. वो हेलीकॉप्टर को कंट्रोल करता है. आगे बैठा, दूसरा पायलट निशाना लगाता है और फ़ायर करता है. इसका निशाना बहुत सटीक है. जिसका सबसे बड़ा फ़ायदा होता है युद्धक्षेत्र में, जहाँ दुश्मन पर निशाना लगाते वक़्त आम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचता."









इमेज कॉपीरइट BOEING.COM

Related News

Latest News

Global News