Bhopal: सेना के कुत्तों को भारतीय सेना में सुरक्षा के लिहाज से अहम माना जाता है। आर्मी डॉग्स भी अपनी खासियत के कारण देश की सेवा में तत्पर रहते हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह एक सैनिक देश की सेवा करता है!
लेकिन इन कुत्तों के बारे में आपको एक जानकारी अब तक शायद पता न हो। कि सेना के इन कुत्तों को तभी तक जीवित रखा जाता है । जब तक ये सेना का काम कर रहे होते हैं। जब ये कुत्ते काम के नहीं रहते या इन्हें रिटायरमेंट दिया जाता है। इसके बाद इन्हें जहर देकर मार दिया जाता है।
आपको बता दें कि सेना के इन कुत्तों को रिटायरमेंट के बाद मारे जाने का चलन अंग्रेजों के शासन काल से चला आ रहा है। जो आज भी कायम है। कहा जाता है कि जब कोई डॉग एक महीने से अधिक समय तक बीमार रहता है ।या ड्यूटी नहीं कर पाता है। तो उसे जहर देकर मार दिया जाता है। इसके पहले पूरे सम्मान के साथ उसकी विदाई की जाती है।
हालांकि इन कुत्तों को जान से मारे जाने के पीछे दो तर्क दिए गए हैं-
पहला- तर्क ।उन्हें सेना के बेस लोकेशन्स और कैम्प्स की पूरी जानकारी होती है। साथ ही, वे अन्य गुप्त जानकारियां भी रखते हैं। ऐसे में यदि उन्हें आम लोगों को सौंपा जाता है। तो यह सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
दूसरा- तर्क
यदि इन कुत्तों को एनिमल वेलफेयर सोसाइटी या किन्हीं निजी हाथों में दिया जाता है। तो वे उस कुत्ते को वैसी सुविधाएं नहीं दे सकते ।जो उन्हें सेना में मिलती है। सेना में कुत्तों को विशेष सुविधाएं दी जाती हैं।
लेकिन अब केंद्र सरकार की एक समिति इस बाबत विचार विमर्श कर रही है और ऐसी नीति तैयार करने का प्रयास कर रही है। जिससे कि रिटायरमेंट के बाद इन्हें मारा नहीं जाए।
आखिर आर्मी अपने कुत्तो को रिटायरमेंट के बाद मार क्यों देती है
Location:
Bhopal
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