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मर्दों के पेशे में सेंध लगाती लेडी बाउंसर

Location: नई दिल्ली                                                 👤Posted By: Digital Desk                                                                         Views: 19922

नई दिल्ली: 'इस जॉब से हमें केवल आत्मविश्वास ही नहीं मिला, हम अपनी आर्थिक आज़ादी और सम्मान को भी इंजॉय कर रहे हैं."

ये शब्द हैं मेहरुन्निसां के जो दिल्ली के एक क्लब में लेडी बाउंसर का काम करती हैं.



लेडी बाउंसर भारत में सुरक्षा और महिलाओं के बढ़ते आत्मविश्वास का एक नया पहलू है.

सिक्योरिटी विशेषज्ञ निमिशा रमेश कहती हैं कि हर जगह बड़े-बड़े मॉल्स, पब्स, क्लब्स और हॉस्पिटल बन रहे हैं. हर जगह लेडी बाउंसरों की ज़रूरत है और वक़्त के साथ यह ज़रूरत बढ़ती ही जा रही है.



लेडी बाउंसरों में ज्यादातर लड़कियां मेहरुन्निसां की तरह पारंपरिक घरों से आती हैं. उन्हें अक्सर देर रात तक काम करना होता है.

तरन्नुम पढ़ी-लिखी हैं. मगर वो बाउंसर का काम करती हैं.

वो बताती हैं, "शुरू में परिवार में बहुत आपत्ति हुई थी. लेकिन हमें यह काम अच्छा लगा. हमें गर्व होता है कि हम बाउंसर हैं."



लेडी बाउंसर के जॉब में लड़कियां ही नहीं शादीशुदा महिलाएं भी बड़ी संख्या में आ रही हैं.

सिक्योरिटी विशेषज्ञ निमिशा रमेश का कहना है कि इसमें कोई भेदभाव नहीं है. वो बताती हैं, "उनके स्वास्थ्य के मुद्दें नहीं होने चाहिए, बोल्ड होनी चाहिए, अच्छी भाषा आती हो और किसी के बारे में पूर्वाग्रह नहीं होनी चाहिए."



लेडी बाउंसर के काम से ये लड़कियां ना केवल खुश हैं बल्कि यह नौकरी उनमें आत्मविश्वास भी पैदा कर रही हैं.

मेहरुन्निसा कहती हैं, "इसमें पैसा है. इज़्ज़त है, गेस्ट, स्टाफ़ सभी हमारी इज़्ज़त करते हैं. इतनी इज़्ज़त हमें कहीं और नहीं मिल सकती है. मैं तो कहती हूं हर लड़की को बाउंसर बनना चाहिए."



ज्योति आहूजा एक साल से यह काम कर रही हैं. वो कहती हैं, "इसमें सुरक्षा भी मिलती है और लड़कों से ज़्यादा पैसे भी मिलते हैं. हर चीज़ में यहां सुविधाएं बहुत अच्छी हैं."

आज दिल्ली, मुंबई, बंगलौर और दूसरे बड़े-बड़े शहरों में रेस्टोरेंट, पब, क्लब, और मॉल जैसी जगहों में लेडी बाउंसरों की संख्या बढ़ती जा रही है.



एक सिक्योरिटी एजेंसी के डायरेक्टर मनोज सैनी कहते हैं कि सुरक्षा का परिप्रेक्ष्य बदलने से महिला बाउंसरों की मांग बढ़ती जा रही है. हर जगह उनकी ज़रूरत बढ़ती है. महिलाओं का इस तरफ रुझान बढ़ रहा है. लड़कियां आ रही हैं. उनको अच्छा पैसा और इज़्ज़त मिल रही है.

भारत में लेडी बाउंसर की अवधारणा अभी नई है लेकिन यह अवधारणा तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है. यह केवल नौकरी की मजबूरी नहीं, महिलाओं के बारे में समाज में धीरे-धीरे बदलती हुई सोच का भी प्रतीक है.



- (बीबीसी)

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