Bhopal: कहते है कि अगर हौसलों में पंख लगा दिये जाये तो उनको बुलंदी पर पहुचने से कोई नहीं रोक सकता. यह कहावत यथार्थ कर दिखाई है भोपाल के कलाकार राघव दीवान ने. राघव एक अभिनेता होने के साथ-साथ काफी प्रभावशाली लेखक भी है तथा अपने अभिनय कला कि प्रतिभा से हमेशा दर्शको को आकर्षित करते आये है. इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए मेटामोर्फिसिस शोर्ट मूवी के माध्यम से दर्शको के सम्मुख एक बहुत ही सुन्दर तथा सोचने पर मजबूर करने वाली कहानी का प्रस्तुतीकरण किया गया है. राघव ने अपने अभिनय के माध्यम से समाज में बढ़ रहे कुरीतियों व गरीबो पर हो रहे अत्याचार पर विचार कर अपने चित्रपट के माध्यम से यही सन्देश दिया है कि घबराकर या शॉर्टकट रास्ते अपना कर कभी किसी को सही मंजिल नहीं मिलती. मेटामोर्फिसिस में जहाँ एक पिता को गरीबी और लाचारी के आगे घुटने टेकते हुए दर्शाया है वाही एक और कैंसर से लड़ता हुआ व कभी हिम्मत न हारने वाला बेटा है. पिता के किरदार में महाप्रतिभाशाली कलाकार राकेश श्रीवास्तवजी जी है वाही कैंसर पीड़ित बेटे का किरदार राघव ने बहुत ही खूबी से निभाया है, यह फिल्म विपुल चौधरी प्रोडक्शनस के बैनर तले शुभम दुबे द्वारा निर्देशीत की गई है. यह फिल्म अगस्त में दर्शकों तक पहुंचाई जाएगी तथा इसकी स्क्रीनिंग जामनगर, जयपुर, मुंबई, कोल्हापुर में आयोजित कि गयी है.
राघव के लिए मेटामोर्फिसिस महज एक फिल्म नहीं है बल्कि उनके जीवन में कभी न भूलने वाली याद है. कुछ महीने पूर्व राघव के पिताजी श्री मधुसुदन दिवानजी ने मृत्युलोक त्याग दिया और राघव की १५० शोर्ट फिल्म्स में से सिर्फ मेटामोर्फिसिस ही ऐसी है जो उन्होंने पहले व अंतिम बार देखि और राघव के अभिनय कि सराहना सिर्फ भावविभोर होकर बहते अश्रु द्वारा ही कर सके.
राघव कुछ करने कि चाह में महज १४ साल कि उम्र में घर से निकल गए थे. अपने जीवन यापन हेतु अपने गुरु श्री नफीस हुसैनजी से जादूगरी सीखी लेकिन मन में अभी भी कही कुछ खाली पन था और जादूगर बनना जीवन का उद्देश्य तो था नहीं. तब उन्हें समझ आया कि उन्हें अभिनय और लेखन में रूचि है तथा अपने इस रूचि को जूनून बनाकर राघव भोपाल से मुंबई चले आये और पैशन एक्टिंग स्कूल में दाखिला लिया. मुंबई आना तो असान था लेकिन सपनो को साकार करना उतना ही कठिन. स्कूल खत्म होने के बाद असली संघर्ष शुरू हुआ लेकिन राघव ने हार नहीं मानी और उन्हें उनके करियर का पहला ब्रेक पूजा भट्ट के साथ एक म्यूजिक एल्बम में मिला जो मोटो G5 प्लस के लिए था. इस प्रोजेक्ट के बाद उनकी ख्याति फैलनी शुरू हो चुकी थी व सन २०१७ डिजिटल ड्रीम सेशन में फिक्की फ्रेम्स ने उन्हें प्रवक्ता के रूप में आमंत्रित किया. यहाँ उनसे शोर्ट फिल्म्स पे चर्चा करने हेतु आशीष कुलकर्णी, विवेक कजरिया, पौला मेक्ग्लेन और टिस्का चोप्रडा जैसे दिग्गज कलाकार मौजूद थे.
विपुल चौधरी प्रोडक्शनस कि प्रेरणास्त्रोत कहानी - मेटामोरफिसिस
Location:
Bhopal
👤Posted By: DD
Views: 35824
Related News
Latest News
- लोकसभा चुनाव 2024: मतदाता सूची में नाम जोड़ने के बहाने साइबर बदमाशों ने 35 भोपालवासियों को ठगा
- गूगल ने इजरायल विरोधी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
- Apple और Google सरकारों से भी ज्यादा खतरनाक हैं!: टेलीग्राम संस्थापक ड्यूरोव
- आइसक्रीम का मज़ा लें, पर संभलकर!
- भारत में अद्भुत खोज: मेंढक के शरीर से उगता हुआ मशरूम!