24 नवंबर 2024। मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में हाल ही में हुए चुनावों के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की रणनीतियों और नेताओं के कद पर बड़ा प्रभाव डाला है। झारखंड और महाराष्ट्र में भाजपा के प्रदर्शन ने जहां मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की साख को बढ़ाया, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य शीर्ष नेताओं को झटके दिए हैं।
झारखंड और बुधनी ने चौहान को दिया झटका
झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार और मध्य प्रदेश के बुधनी उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव की जीत के अंतर में भारी कमी ने शिवराज सिंह चौहान के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। चौहान झारखंड चुनाव के प्रभारी थे, और इस हार ने उनकी रणनीतिक क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बुधनी में भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षित स्तर का नहीं रहा। रमाकांत भार्गव को चौहान ने टिकट दिलवाया था, लेकिन उनकी जीत का अंतर विधानसभा चुनावों की तुलना में काफी कम हो गया। यह परिणाम पार्टी के लिए चिंता का विषय है।
विजयवर्गीय का बढ़ता कद
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विदर्भ क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई। उनकी रणनीति और मेहनत ने पार्टी को सफलता दिलाने में मदद की, जिससे पार्टी में उनका कद और बढ़ गया। महाराष्ट्र से पहले भी विजयवर्गीय कई राज्यों में भाजपा की जीत के सूत्रधार रह चुके हैं।
महाराष्ट्र में विजयवर्गीय के साथ प्रहलाद पटेल, विश्वास सारंग, और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी योगदान दिया। यह टीम चुनाव प्रचार और संगठन निर्माण में सक्रिय रही।
विजयपुर में कांग्रेस का कमाल, भाजपा को झटका
मध्य प्रदेश के विजयपुर उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को बड़ा झटका दिया। जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह, और पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार ने इस जीत में अहम भूमिका निभाई। यह जीत कांग्रेस के लिए खास है क्योंकि पटवारी के प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बनने के बाद यह उनकी पहली बड़ी सफलता है।
विजयपुर में भाजपा की हार मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के लिए बड़ा झटका है। इन नेताओं ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी, लेकिन परिणाम उनके खिलाफ गया।
सिंधिया की नाराजगी और ग्वालियर-चंबल में पकड़
उपचुनाव के दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विजयपुर में प्रचार से दूरी बनाई। सिंधिया इस क्षेत्र में प्रभावशाली माने जाते हैं, लेकिन पार्टी प्रत्याशी से उनकी नाराजगी के चलते उन्होंने सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। इसके बावजूद, नतीजे बताते हैं कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सिंधिया की पकड़ अभी भी मजबूत है।
राजनीतिक समीकरण बदलने की ओर
महाराष्ट्र और विजयपुर के नतीजों ने मध्य प्रदेश भाजपा के भीतर नए समीकरणों को जन्म दिया है। कैलाश विजयवर्गीय का कद जहां बढ़ा है, वहीं शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य शीर्ष नेताओं को रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। कांग्रेस की विजयपुर में सफलता ने उसे आगामी चुनावों के लिए नई ऊर्जा दी है।
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Place:
भोपाल 👤By: prativad Views: 111
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