भोपाल: 25 मई 2023। आपको याद होगा साल 1923 में अचानक ही अमरीका शेयर बाज़ार चढ़ना शुरू हुआ और 1929 तक लगातार ऐसा ही होता रहा लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि शेयर बाज़ार गड़बड़ाने लगा और अंततः 24 अक्टूबर 1929 को एक दिन मे ही शेयर बाज़ार से क़रीब पाँच अरब डॉलर का सफ़ाया हो गया। उसके बाद अगले दिन भी बाज़ार का गिरना जारी रहा और 29 अक्टूबर 1929 को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज 14 अरब डॉलर के नुकसान के साथ ही बिखर गया और इसने दूसरे विश्व युद्ध तक पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। इसी वजह से 29 अक्टूबर 1929 के दिन मंगलवार को आर्थिक मंदी के इतिहास में 'ब्लैक ट्यूज़डे' की संज्ञा दी गयी।
अब एक बार फिर हर तरफ युद्ध को भड़काए रखने के लिए अमेरिका कभी पाकिस्तान तो कभी यूक्रेन को अरबों रुपए की ऐड दे चुके हैं जिससे आज उनका आर्थिक ढाँचा फिर से एक बार गिरने के कगार पर पहुंच चूका है। अभी हाल ही में अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने माना है कि जून 2023 तक उनका देश अमेरिका डिफॉल्टर हो सकता है क्योंकि उनके पास कैश बहुत ही कम बचा है। अगर मैं अपने भारतीय जनता को समझाना चाहू तो आप ऐसे देखिये कि इस वक़्त अमेरिका के पास 57 अरब डॉलर कैश बचा है जोकि भारतीय व्यापारी गौतम अडानी की 64.2 अरब डॉलर से भी कम है। क्योंकि आज हर रोज अमेरिका को 1.3 अरब डॉलर इंटरेस्ट चुकाना पड़ रहा है।
(मीडिया सोर्स - ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक अमेरिका को रोजाना 1.3 अरब डॉलर इंटरेस्ट के रूप में देने पड़ रहे हैं। देश में अब इस संकट का असर दिखने लगा है। मंगलवार को पहली बार अमेरिकी शेयर बाजार ने इस संकट पर रिएक्ट किया और चार घंटे में ही अपने 400 अरब डॉलर स्वाहा हो गए। अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने चेतावनी दी है कि अगर इस संकट का समाधान नहीं किया गया तो एक जून को देश डिफॉल्टर बन जाएगा।)
हालांकि आज भी दुनियाभर में व्यापारी निवेश के लिए अमेरिका को सुरक्षित मानते रहें हैं लेकिन अगर अब वो डिफाल्ट हुआ तब देश के लिए ये बहुत घातक साबित होगा। अगर ऐसा हुआ तब अमेरिका में लगभग 80 लाख नौकरियां खतरे में पड़ जाएगी और अमरीकी स्टॉक मार्किट बुरी तरह प्रभावित होगा। जहां एक तरफ जीडीपी गिरेगी वहीं दूसरी तरफ बेरोजगारी भी बेहताशा बढ़ जाएगी। अभी भी 50 से ज्यादा कम्पनीज़ अमेरिका में दिवालिया होने की तरफ बढ़ रहीं हैं और अमेरिकी बैंक पहले ही एक के बाद एक डिफाल्ट हो रहे हैं। अब लगता है 1929 जैसी ही परिस्थिति एक बार फिर नज़र आ रहीं हैं और अगर ऐसा हुआ तब अकेले अमरीका ही नहीं पूरा विश्व इस आर्थिक मंदी की चपेट में आएगा।
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क्या डिफॉल्टर होने के करीब है सुपरपावर अमेरिका ?
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भोपाल
👤Posted By: prativad
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