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भोपाल 25 अक्टूबर 2016, अर्घ्य प्रेक्षा ग्रह में श्रीमती वैशाली गुप्ता के निर्देशन में बैले-नाट्य 'मैं निराला' का मंचन अर्घ्य कला समिति के 25 कलाकारों ने किया। इन कविताओं का संगीत निर्देशन 'प्रेम गुप्ता' एवं 'सुश्रुत' का रहा जिसमें तालवाद्य पर थे 'दीपक सोनी' और संगीत संचालन का दायित्व ईशान गुप्ता का रहा।
मैं निराला प्रस्तुति का आरम्भ निराला की लिखी सरस्वती वंदना 'वरदे वीणा वादिनी' से हुआ उसके बाद 'समाधि' जो की विवेकानंद द्वारा लिखी है और निराला द्वारा अनुवादित है। और इसी प्रकार (मैं बैठा था पथ पर, उमड़-घुमड़ घन सवां आये, बाँधो ना नॉव, देख चूका हूँ, कालेज का बचुआ, कब से मैं पथ देख रही प्रिय, भिक्षुक)
और प्रस्तुति का अन्त 'मैं अकेला देखता हूँ आ रही मेरे दिवस की साँझ बेला' से हुआ।