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AI ने जीभ के रंग और चेहरे को पढ़कर बीमारियों का पता लगाना शुरू किया

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 8634

18 अगस्त 2024। एक नवीनतम तकनीकी विकास में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) ने चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना शुरू कर दिया है। हाल ही में, शोधकर्ताओं ने एक ऐसी AI प्रणाली विकसित की है जो जीभ के रंग और चेहरे की विशेषताओं का विश्लेषण करके विभिन्न बीमारियों का पता लगा सकती है।

यह अत्याधुनिक तकनीक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों, विशेषकर आयुर्वेद, के सिद्धांतों पर आधारित है, जहां जीभ का रंग और चेहरे की बनावट का व्यापक रूप से रोग निदान में उपयोग किया जाता था। AI इस प्राचीन ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर एक सटीक और प्रभावी निदान उपकरण प्रदान करती है।

AI सिस्टम को प्रशिक्षित करने के लिए, शोधकर्ताओं ने हजारों रोगियों के डेटा का उपयोग किया, जिसमें जीभ के रंग, चेहरे की तस्वीरें और संबंधित चिकित्सा रिपोर्ट शामिल थीं। इस डेटा के आधार पर, AI ने पैटर्न की पहचान की और विभिन्न बीमारियों के संकेतकों को सीखा।

उदाहरण के लिए, AI सिस्टम पीलिया, एनीमिया, पाचन समस्याओं, और यहां तक कि कुछ गंभीर बीमारियों जैसे कि कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने में सक्षम हो सकता है। यह तकनीक डॉक्टरों को रोगों का शीघ्र पता लगाने और उपचार शुरू करने में मदद कर सकती है, जिससे रोगियों के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि इस तकनीक को एक पूरक उपकरण के रूप में देखा जाए, न कि पारंपरिक चिकित्सा परीक्षणों के विकल्प के रूप में। AI द्वारा प्रदान की गई जानकारी की पुष्टि के लिए अभी भी मानव विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी।

इस नवीनतम विकास ने चिकित्सा क्षेत्र में एक नई संभावनाओं का द्वार खोल दिया है। AI के माध्यम से जीभ के रंग और चेहरे की पढ़ाई का उपयोग करके बीमारियों का पता लगाना स्वास्थ्य देखभाल को अधिक सटीक, कुशल और सुलभ बना सकता है।

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