भोपाल: वाशिंगटन डीसी ? 5 नवंबर को अमेरिकी मतदाता अगले राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए मतदान करेंगे, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और वर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। यह चुनाव अमेरिकी और वैश्विक राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि चुना गया उम्मीदवार 20 जनवरी को शपथ लेकर अगले चार साल तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा। इस चुनाव में दोनों उम्मीदवारों ने जीत के लिए अपने अभियान को विशेष रूप से सन बेल्ट के राज्यों पर केंद्रित कर दिया है, जहाँ वोटों का अंतर बहुत कम है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया अन्य देशों से काफी अलग और जटिल है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज नामक प्रणाली के माध्यम से होता है, जहाँ सीधे मतगणना के बजाय, एक विशेष प्रकार की मतगणना प्रणाली अपनाई जाती है। आइए, इस प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से समझते हैं:
1. इलेक्टोरल कॉलेज क्या है?
इलेक्टोरल कॉलेज अमेरिका का एक अद्वितीय मतदान प्रणाली है, जिसमें 538 "इलेक्टर्स" होते हैं, जो राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। प्रत्येक राज्य के इलेक्टर्स की संख्या उस राज्य की जनसंख्या के आधार पर होती है, जिसमें सीनेट के दो सदस्य और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के सदस्य शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए, कैलिफोर्निया, जो सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, के पास सबसे अधिक 55 इलेक्टोरल वोट हैं, जबकि छोटे राज्यों के पास केवल 3 वोट हो सकते हैं।
2. लोकप्रिय वोट और इलेक्टोरल वोट
अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए सीधे जनमत (लोकप्रिय वोट) से नहीं चुना जाता। इसके बजाय, मतदाता अपने-अपने राज्यों में एक उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करते हैं। जो उम्मीदवार किसी राज्य में सबसे अधिक लोकप्रिय वोट हासिल करता है, उसे उस राज्य के सभी इलेक्टोरल वोट मिल जाते हैं। इसे "विनर टेक्स ऑल" प्रणाली कहते हैं, जो 48 राज्यों में लागू होती है। मेन और नेब्रास्का में, हालांकि, इलेक्टोरल वोट आनुपातिक तरीके से बांटे जाते हैं।
3. इलेक्टोरल कॉलेज में बहुमत कैसे तय होता है?
राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार को इलेक्टोरल कॉलेज के 538 में से कम से कम 270 इलेक्टोरल वोटों की आवश्यकता होती है। यदि किसी उम्मीदवार को यह संख्या मिल जाती है, तो उसे विजेता घोषित किया जाता है। लेकिन अगर दोनों उम्मीदवारों को बराबर इलेक्टोरल वोट मिलते हैं, तो राष्ट्रपति का चयन अमेरिकी कांग्रेस द्वारा किया जाता है, जिसमें हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स राष्ट्रपति और सीनेट उपराष्ट्रपति का चुनाव करती है।
4. वोटिंग प्रक्रिया
अमेरिका में मतदान का दिन पहले मंगलवार को नवंबर के पहले सोमवार के बाद होता है। इस साल यह तारीख 5 नवंबर है। अमेरिकी मतदाता मतदान केंद्रों पर जाकर अपने पसंदीदा राष्ट्रपति उम्मीदवार के पक्ष में वोट डालते हैं। हाल के वर्षों में, वोटिंग के कई विकल्प जैसे मेल-इन बैलट और एडवांस वोटिंग भी लोकप्रिय हो गए हैं, जिससे मतदाता समय से पहले ही वोट डाल सकते हैं।
चुनाव दिवस: 5 नवंबर
नतीजों की घोषणा: मतदान के तुरंत बाद राज्यों के परिणाम आने लगते हैं, लेकिन कुछ दिनों तक मतगणना जारी रहती है।
शपथ ग्रहण: 20 जनवरी, जब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति आधिकारिक तौर पर अपने पद की शपथ लेते हैं।
5. सन बेल्ट राज्यों का महत्व
इस बार का चुनाव कुछ प्रमुख राज्यों, विशेषकर सन बेल्ट (दक्षिणी अमेरिका के राज्यों) पर केंद्रित है, जिनमें टेक्सास, फ्लोरिडा, एरिजोना, जॉर्जिया जैसे राज्य शामिल हैं। ये राज्य चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, क्योंकि यहां के वोटों का प्रभाव महत्वपूर्ण होता है। दोनों उम्मीदवारों ने अपना अधिकतम ध्यान इन राज्यों में केंद्रित कर रखा है, ताकि अंतिम समय पर मतदाताओं को अपनी ओर कर सकें।
6. राष्ट्रपति चुनाव की अनोखी प्रक्रिया
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली दुनिया के अन्य लोकतांत्रिक देशों से भिन्न है। यह प्रणाली संविधान में बनाए गए नियमों का पालन करती है, जिसमें संघीय प्रणाली और राज्यों के अधिकारों का संतुलन बना रहता है। इससे राष्ट्रीय मतदाता सीधे राष्ट्रपति का चुनाव नहीं करते, बल्कि अपने-अपने राज्य के इलेक्टर्स को चुनते हैं, जो उनके लिए राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है यह चुनाव?
यह चुनाव वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और अमेरिका की घरेलू नीतियों पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति का निर्णय न केवल अमेरिका बल्कि वैश्विक समुदाय पर भी असर डालता है। इस बार के चुनाव में कड़े मुकाबले और अप्रत्याशित घटनाओं के कारण, इसे इतिहास के सबसे दिलचस्प चुनावों में से एक माना जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव एक जटिल लेकिन बेहद दिलचस्प प्रक्रिया है, जिसमें जनता का जनमत, राज्यों की जनसंख्या, और इलेक्टोरल कॉलेज का महत्वपूर्ण योगदान है। यह प्रक्रिया दिखाती है कि कैसे एक लोकतंत्र में शक्ति और अधिकारों का संतुलन बना रहता है। चुनाव परिणाम के बाद, 20 जनवरी को चुना गया उम्मीदवार अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेगा, और दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश का नेतृत्व करेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया: जानें कैसे होता है दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेता का चुनाव
Location:
भोपाल
👤Posted By: prativad
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