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प्राचीन यूनेस्को-सूचीबद्ध शहर जिसे थाई संस्कृति का उद्गम स्थल माना जाता है

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1040

5 नवंबर 2024। थाईलैंड की समृद्ध और विविध संस्कृति का प्रतीक, सुखोथाई शहर, थाईलैंड के इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का एक ऐसा स्थल है, जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्रदान किया है। यह प्राचीन शहर थाई संस्कृति का पालना और थाईलैंड के पहले स्वतंत्र राज्य का केंद्र माना जाता है। यह स्थान अपनी ऐतिहासिक धरोहर, स्थापत्य कला, और बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण केंद्रों के लिए प्रसिद्ध है।

सुखोथाई का ऐतिहासिक महत्व
सुखोथाई का शाब्दिक अर्थ है "खुशी का उदय," और इसने 13वीं शताब्दी में अपने चरम काल में खमेर साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। 1238 ईस्वी में स्थापित, सुखोथाई साम्राज्य को थाईलैंड के इतिहास में पहली स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है। यह वह युग था जब थाई संस्कृति और कला का निर्माण हुआ और थाई भाषा का विकास हुआ।

सुखोथाई के संस्थापक राजा रामखामहेंग को थाई लिपि के आविष्कार का श्रेय भी दिया जाता है, जो कि आज भी थाई भाषा में प्रयुक्त होती है। उन्होंने न केवल एक सशक्त राज्य की स्थापना की, बल्कि एक संस्कृति और भाषा का निर्माण किया, जिसने आगे चलकर थाई लोगों को एकता प्रदान की।

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा
सुखोथाई को उसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के कारण 1991 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्रदान किया गया। यह शहर 70 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है और इसे मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है: सुखोथाई ऐतिहासिक पार्क, श्री सच्चनालय और कमपेंग पेट। इनमें से प्रत्येक स्थल में अद्वितीय बौद्ध मंदिर, बौद्ध प्रतिमाएँ, और प्राचीन खंडहर हैं, जो थाईलैंड की प्राचीन वास्तुकला और कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

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हर साल सुखोथाई में लोय क्राथोंग का जश्न मनाने के लिए एक सप्ताह तक चलने वाला उत्सव मनाया जाता है। पैट्रिक एवेंटुरियर/गामा-राफो/गेटी इमेजेज


सुखोथाई की स्थापत्य कला
सुखोथाई की स्थापत्य कला में बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव देखा जा सकता है। यहां के मंदिरों और स्तूपों में थेरवाद बौद्ध धर्म के प्रतीक और वास्तुशैली की स्पष्ट झलक मिलती है। यहां की सबसे महत्वपूर्ण संरचनाओं में से एक वट माहाथात (Wat Mahathat) है, जो कि इस शहर का सबसे बड़ा मंदिर है। वट माहाथात की संरचना में एक बड़ा मुख्य स्तूप है, जिसमें बुद्ध की विशाल प्रतिमाएँ स्थापित हैं। इसके साथ ही, वट स्रसि और वट स्र्वनखाँ जैसे मंदिर भी सुखोथाई की स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण हैं।

कला और संस्कृति का केंद्र
सुखोथाई न केवल राजनीतिक शक्ति का केंद्र था, बल्कि थाई कला, संस्कृति, और शिक्षा का भी मुख्य स्थल रहा है। इस युग में कई मूर्तिकला, चित्रकला, और साहित्यिक कृतियों का निर्माण हुआ, जिनमें से कुछ आज भी संग्रहालयों में संरक्षित हैं। सुखोथाई काल की बौद्ध मूर्तियों में अत्यंत शांति, सौम्यता, और आध्यात्मिकता का अनुभव होता है। थाईलैंड के वर्तमान संस्कृति और रीति-रिवाजों में सुखोथाई काल के प्रभाव को आसानी से देखा जा सकता है।

पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र
सुखोथाई ऐतिहासिक पार्क पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। हर साल लाखों लोग यहां आते हैं और इस प्राचीन शहर की खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व का अनुभव करते हैं। यहां आने वाले पर्यटक साइकिल रेंट पर लेकर पूरे पार्क को घूम सकते हैं, जो एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है। ऐतिहासिक स्थलों के अलावा, पर्यटक यहां थाई कला और शिल्पकला की प्रदर्शनी भी देख सकते हैं, जो कि स्थानीय बाजारों में देखने को मिलती है।

सुखोथाई का आधुनिक महत्व
आज के समय में सुखोथाई का महत्व केवल ऐतिहासिक धरोहर तक ही सीमित नहीं है। यह शहर थाईलैंड के युवाओं और अनुसंधानकर्ताओं के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बना हुआ है। थाईलैंड के लोग अपनी सांस्कृतिक जड़ों को जानने के लिए सुखोथाई के इतिहास और धरोहरों का अध्ययन करते हैं।

सुखोथाई, थाईलैंड का एक ऐसा प्राचीन शहर है, जो न केवल थाई संस्कृति का पालना है, बल्कि थाई इतिहास का भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यहां का प्रत्येक मंदिर, मूर्ति, और स्तूप थाईलैंड की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है। यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया जाना इस बात का प्रमाण है कि सुखोथाई का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व अनमोल है। सुखोथाई आज भी थाई संस्कृति का जीवंत प्रतीक है, जो हमें थाईलैंड की महानता और सांस्कृतिक विविधता की ओर आकर्षित करता है।



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