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"मध्यप्रदेश में मजदूर का बेटा नहीं रहने देगा किसी को मजबूर"

Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 1811

भोपाल: डॉ. मोहन यादव ने सिर्फ एक माह के कार्यकाल में सबका 'मन मोहा'

डॉ. मोहन यादव कहने को सिर्फ एक नाम और जानने को एक चेहरा हो सकते हैं, लेकिन इनके जीवन के इतिहास के पन्नों को पलटेंगे तो आप जानेंगे कि इनकी सफलता की राह में कांटे भी कम नहीं थे, जो चुभकर दर्द भी बहुत देते थे; लेकिन जब लक्ष्य जनसेवा के साथ ही प्रदेश और देश के विकास का हो, तो बड़ी से बड़ी बाधा भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है। भारतीय जनता पार्टी का एक कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ता और जनता का सच्चा सेवक मध्यप्रदेश का मुखिया बना और संकल्प लिया कि मध्यप्रदेश को न सिर्फ नयी बुलंदियों पर पहुंचाएंगे, बल्कि देश का नंबर एक राज्य भी बनाएंगे। मजदूर परिवार से आने वाले डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कार्य करते हुए अब एक महीना पूरा हो गया है, ऐसे में इसकी चर्चा भी हो रही है।

नयी सरकार और नये सीएम डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल के 30 दिन बाद मध्यप्रदेश में बड़ा बदलाव नजर आता है। बीते 30 दिनों के क्रियाकलाप को देखने पर पता चलता है कि डॉ. मोहन यादव प्रदेश के लिए दमदार मुखिया साबित हो रहे हैं। यूं तो किसी मुख्यमंत्री के कामकाज का आंकलन सिर्फ एक माह में नहीं कर सकते, लेकिन मोहन यादव इस मामले में अपवाद हैं। प्रदेश में आये नये नेतृत्व के बाद सरकार और उससे जुड़े फैसलों में गति आई है। सीएम डॉ. यादव तेजी से बड़े-बड़े और ठोस फैसले ले रहे हैं, जिसकी बानगी शपथ के बाद तत्काल लिये गये निर्णयों को देखने पर मिलती है।

13 दिसंबर को शपथ लेने के बाद मंत्रालय में बैठकर डॉ. मोहन यादव ने जो पहला आदेश जारी किया, उसमें धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज नियंत्रित करने और उन्हें हटाने, ध्वनि प्रदूषण रोकने का निर्णय था। जनता ने इस पहल का जबरदस्त तरीके से स्वागत किया। इसके अलावा भोपाल में स्लाटर हाउस को शहर के बाहर भेजा जा रहा है। अवैध बूचड़खाने पर लगाम कसने के लिए भी पहल शुरू हो गई है। खुले में मांस बेचना प्रतिबंधित कर जनता का दिल भी मोहन यादव ने जीता है। साथ ही रजिस्ट्री करने के साथ ही नामांतरण हो जाने की प्रक्रिया 'सुशासन' की पहल की परिचायक है। इसके साथ ही भोपाल में एक दशक से ज्यादा पुराने बीआरटीएस कॉरिडोर को भी हटाने का निर्णय हुआ है।

मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता व गंभीरता को भी प्रदेशवासियों ने सिर्फ एक महीने के अंदर बखूबी समझ लिया है। गुना बस हादसे के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तत्काल गुना पहुंच जाते हैं। वह यहां पहले तो अस्पताल जाकर घायलों से मिल उन्हें हर संभव सहायता देते हुए ढांढस बंधाते हैं और हादसे में असमय काल कवलित लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद देने के बाद साथ ही घटना को लेकर विभाग के प्रमुख सचिव, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, कलेक्टर और एसपी को बिना किसी देरी के हटा भी देते हैं। आरटीओ और सीएमओ को भी सस्पेंड कर दिया जाता है। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जबकि एक बस हादसे के बाद मुख्यमंत्री ने बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई की हो। जनता के बीच इसे सुशासन के तौर पर भी देखा जा रहा है।

प्रदेश में अब तक वल्लभ भवन, भोपाल से ही सरकार चलती थी, लेकिन नये मुखिया जी ने उस रिवाज को भी बदल दिया है। पहली आधिकारी कैबिनेट बैठक जबलपुर में आयोजित हुई। इसके साथ ही अफसरशाही पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी पहल भी गई है। एक ड्राइवर को 'औकात' दिखाने की बात करने वाले कलेक्टर को सीएम ने हटाकर यह बता दिया कि हर नागरिका का सम्मान सर्वोपरि है। डॉ. मोहन यादव ने संदेश दिया है कि कोई भी अफसर, सरकार अपने हाथ में नहीं लेंगे। राजनीतिक नेतृत्व ही सरकार चलाएगा। इतना ही नहीं, प्रदेश में अब अफसरों की योग्यता के आधार पर ही उन्हें काम दिया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त संभाग की बैठकें संभाग स्तर पर हो रही हैं। इसमें क्षेत्र के विकास और कानून व्यवस्था के साथ ही प्रत्येक महत्वपूर्ण विषयों पर मंत्रियों व अधिकारियों के साथ चर्चा होने के साथ नये कार्यों को लेकर रोडमैप बनता है। वहीं फिजूल के खर्चों को कम करते हुए प्रदेश के विकास और जनकल्याण के लिए भी डॉ. मोहन यादव सख्त हैं। बड़े-बड़े आयोजन शालीनता के साथ गरिमामयी ढंग से संपन्न हो रहा है। डॉ. मोहन यादव नवाचार करने में भी पीछे नहीं हैं। नये साल की शुरुआत में ही उनके एक नवाचार काफी चर्चा में है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मकर संक्रांति को उत्सव के रूप में मना रहे हैं, जो 10 जनवरी से शुरू हुआ है और हफ्तेभर चलेगा।

इन सबके अलावा उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लेकर भी उन्होंने मध्यप्रदेश में विभिन्न आयोजन करने के निर्देश देने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 14 जनवरी को मकर संक्रांति से लेकर 22 जनवरी तक धार्मिक स्थलों की स्वच्छता का जो देश के नागरिकों से निवेदन किया है, उसमें भी वह बढ़-चढ़कर शिरकर कर रहे हैं। डॉ. मोहन यादव ने अयोध्या में विराट कार्यक्रम को लेकर उज्जैन से पांच लाख लड्डुओं के प्रसाद को भेजने की भी बात कही है। इसके अलावा प्रदेश की कला, संस्कृति को भी वह मजबूत कर करते हुए नवाचार कर रहे हैं। खेलों में प्रदेश की देश में अलग पहचान हो, इसके लिए भी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव संकल्पित हैं।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने हुकुमचंद मिल, इंदौर के 4,800 श्रमिकों को उनका हक दिलाया है। तीस वर्ष से अटके इस मामले को मोहन यादव ने एक ही बैठक में निपटा दिया, इसकी पूरे देश में खूब चर्चा हुई। कुल मिलाकर सिर्फ एक माह में ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा किये गये कार्यों व निर्णयों को देखकर स्पष्ट है कि वह एक मंझे हुए राजनेता की गति से चल रहे हैं। मोहन यादव सुशासन के साथ मध्यप्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए लंबी पारी खेलने के लिए तैयार हैं।


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