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स्टार प्लस का नया शो 'आरंभ' ले जायेगा एक अनदेखी, अनोखी दुनिया में

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: PDD                                                                         Views: 18856

Bhopal: 25 मई 2017, 'बाहुबली' और 'बाहुबली 2' जैसी ब्लाॅकबस्टर फिल्मों के लेखक के.वी. विजयेन्द्र स्टार प्लस पर एक शानदार शो लेकर आ रहे हैं। इस शो की कहानी दो सभ्यताओं के बीच होने वाले टकराव को बयां करती हैं, जिसकी शुरूआत अस्तित्व से संबंधित दो अलग-अलग जरूरतों के कारण होती है; इसमें से एक सभ्यता उस चीज को पाना चाहती है जो दूसरे के पास है तो वहीं दूसरी सभ्यता अपनी धरोहर को बचाने के लिए युद्ध करती है।



यह कहानी उस समय की है जब द्रविड़ भारतीय उपमहाद्वीप पर राज करते थे और आर्य, जोकि पश्चिम की खानाबदोश जाति थी, उस उपजाऊ भूमि सप्तसिंधु की तलाश में थे, जिसके बारे में वे हमेशा से सुनते आये थे। द्रविड़ों के पास उपजाऊ भूमि से लेकर फल-फूल रही सभ्यता सब कुछ थी, जबकि आर्य अभी भी उस भूमि की तलाश में थे जहां उनका वंश अपना अस्तित्व जमाकर विकास कर सके।



आर्यों को भाग्य से कुछ भी नहीं मिला। वे जन्म से ही कठिन परिस्थितियों एवं क्षेत्रों में अपना अस्तित्व बरकरार रखने के लिए संघर्ष करते आये थे। उनकी भूख ने उन्हें शिकार, रोमांच और मुकाबला करना सिखाया। नई आर्य सभ्यता ऐसी भूमि की तलाश कर रही थी, जहां वह सब कुछ-भोजन, पानी, अच्छा मौसम और पूरे साल उपजाऊ रहने वाली भूमि उपलब्ध हो, जिसके लिए उन्होंने हमेशा संघर्ष किया। हालांकि, उन्हें यह भूमि मिल जाती है पर वह किसी और की होती है। पर इतिहास में किसी को भी इस पाने के लिए डराया-धमकाया नहीं गया था। और यही कारण है कि वे आर्यवर्त की तलाश के लिए आगे आये और इसे जीतने के लिए मुकाबला किया।



दूसरी ओर, द्रविड़ हमेशा से भाग्यशाली थे। उन्होंने ऐसी भूमि में जन्म लिया था जहां अपना अस्तित्व बरकरार रखने के लिए सभी आवश्यक चीजें उपलब्ध थीं। उनके भगवान ने उनके लिए जो निश्चित किया, उनके पास सब कुछ था। उन्होंने एक महान सभ्यता का निर्माण किया। उनका समाज काफी सख्त था, क्योंकि वे उसे कतई खोना नहीं चाहते थे, जिसे भगवान ने उन्हें दिया था।



द्रविड़ पक्ष में, हमें देवसेना को देखने का अवसर मिलेगा, जिसने मातृसत्तात्मक समाज में जन्म लिया और उसे एक रानी की तरह पाला गया। पर वह सरल, जिंदादिल जिंदगी को पसंद करती है, क्योंकि उसे लगता है कि ताज उसके पिता से उसे दूर कर देगा। भावी महारानी के रूप में, वह आर्यों से अपने वंश की रक्षा करने के लिए कर्तव्य में बंध जायेगी। हालांकि, वरुणदेव जोकि आर्य वंश से था, एक योद्धा है और अपने पिता का सम्मान वापस पाने तथा द्रविड़ों की समृद्ध भूमि पाने हेतु आर्य के लिए लड़ाई लड़ने के लिए संघर्षरत था।



देवसेना (कार्तिका नायर) जिसने मातृसत्तात्मक समाज में जन्म लिया और वह द्रविड़ वंश की प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी एवं बेमिसाल योद्धा के रूप में नजर आयेगी। वह द्रविड़ वंश की अगुवा है, जो अपने लोगों को आर्य के हमले से बचाते हुये नजर आयेगी। आर्य सप्त सिंधु की तलाश में हैं और इसे पाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। युद्धस्थल पर देवसेना का सामना आर्य वंश के एक प्रशंसनीय योद्धा वरुणदेव (रजनीश दुग्गल) से होता है। वरुणदेव ने अपनी सहनशीलता से प्रजातांत्रिक समाज में अपना रुतबा कायम किया है। यह युद्ध दो सभ्यताओं के बीच सिर्फ सबसे बड़े टकराव की शुरूआत भर नहीं है, बल्कि ऐसे दो योद्धाओं की कहानी है जो विपक्षी पक्षों की ओर से लड़ाई लड़ रहे हैं और इस सच्चाई से अनजान हैं कि भाग्य ने उनके लिए कुछ और ही लिखकर रखा है। यह शो दर्शकों को निश्चित रूप से ऐसे रहस्यवादी युग में लेकर जायेगा जहां जो दिखता है वैसा होता नहीं है।

वरुणदेव की भूमिका के बारे में रजनीश ने बताया, "मैं निजी तौर पर मेरे किरदार पर मंत्रमुग्ध हूं। वरुणदेव एक आर्य योद्धा है, जिसे अपने प्रयासों से अपना रुतबा कायम करते हुये दिखाया जायेगा। वह बेहतर भविष्य के लिए अपने कुल का नेतृत्व करता है।"



हर वीकेंड पर प्रसारित होने वाले इस शो में तनुजा मुखर्जी हहुमा के रूप में टेलीविजन की दुनिया में कदम रख रही हैं। हहुमा द्रविड़ों की आध्यात्मिक नेता हैं, जोकि समय से परे है और उन्हें द्रविड़ एवं आर्यों के भविष्य की भविष्यवाणी करते हुये दिखाया गया है।

आरंभ में मानवीय भावनाओं के सभी पहलुओं को दिखाया गया है। इसमें प्यार, ईष्र्या, गर्व, घृणा, लालच आदि जैसे सभी रंग देखने को मिलेंगे। इसलिए यह शो दर्शकों को उनके टेलीविजन सेट से बांधकर रखने तथा और देखने की चाहत पैदा करने के लिए तैयार है।



इस प्रोजेक्ट के बारे में लेखक विजयेन्द्र प्रसाद ने कहा, "यह पराक्रम की समानांतर दुनिया का निर्माण है। वरुणदेव की मेरी कहानी एक आर्य योद्धा को सामने लेकर आई है। वह मजबूत एवं अंतज्र्ञानी है। यह एकमात्र प्रोजेक्ट है जो मुझे छोटे पर्दे पर लेकर आया है।"



'आरंभ' में दर्शकों की कल्पनाओं को विभिन्न स्तरों पर ले जाने का सामथ्र्य है। इसकी विजुअल उत्कृष्टता देखने लायक होगी। यदि थोड़ी गहराई से गौर करेंगे तो इस शो में मानवीय भावनाओं एवं नाटकीय विषयवस्तु को देखने का मौका मिलेगा। साथ ही आपको एक दार्शनिक स्तर नजर आयेगा जिसमें बताया जायेगा कि यह टकराव क्यों और कैसे होता है। हालांकि, यदि हम इन सबको एक ओर रख देते हैं, तो आमतौर पर यह दर्शकों के लिए सिर्फ बेहतरीन एन्टरटेनमेंट, एन्टरटेनमेंट, एन्टरटेनमेंट होगा।



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