नई दिल्ली: बढ़ता तापमान और पिघलते ग्लेशियर इस क़दर मुसीबत बनते जा रहे हैं कि जान बचाने के लिए उनसे बनने वाले झीलें और तालाब सुखाने की ज़रूरत पड़ने लगी है.
ऐसा ही कुछ नेपाल में हुआ है, जहां सेना ने माउंट एवरेस्ट के क़रीब लगातार ख़तरनाक होते एक तालाब को सुरक्षित स्तर तक सुखा दिया है.
ग्लेशियर पिघलने से क़रीब 5,000 मीटर की ऊंचाई पर बना इम्जा तालाब निचले इलाक़ों, ट्रैकिंग के रास्तों और पुलों के लिए ख़तरा बन गया था.
अधिकारियों के मुताबिक़, ये तालाब कुछ जगह 149 मीटर तक गहरा था, लेकिन कई दिनों चली मशक़्क़त के बाद इसकी गहराई 3.4 मीटर तक घटाई गई है.
इम्जा, हिमालय में ग्लेशियर से बनने वाले हज़ारों झील-तालाबों में से एक है. जलवायु परिवर्तन और लगातार बढ़ते तापमान से ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं और बढ़ते जलस्तर ने कई इलाक़ों के डूबने का ख़तरा पैदा कर दिया है.
पिछले साल नेपाल में आए भूकंप ने इम्जा तालाब को और ख़तरनाक बना दिया था. सेना के मुताबिक़ इस परियोजना को कड़ी मेहनत से अंजाम दिया गया.
सैन्यकर्मियों और शेरपाओं ने छह महीने में एक रास्ता तैयार किया. दो महीने के अंतराल में इस आउटलेट से क़रीब 40 लाख क्यूबिक पानी छोड़ा गया.
जल और मौसम विज्ञान विभाग के अफ़सर टॉप खत्री ने बीबीसी को बताया कि यही तरीक़ा अब दूसरे तालाबों पर आज़माया जाएगा.
खत्री ने बताया, "ये एक पायलट परियोजना थी़, जिसे हमने बिना किसी हादसे के अंजाम दिया. अब यही मॉडल दूसरी जगह इस्तेमाल किया जाएगा."
तालाब सुखाने की यह कोशिश उस संयुक्त राष्ट्र परियोजना का हिस्सा है, जिसमें नेपाल को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद दी जा रही है. तालाब का जलस्तर घटाने के लिए क़रीब 30 लाख डॉलर की मदद दी जा रही है.
- बीबीसी
सुखाया गया माउंट एवरेस्ट का तालाब
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नई दिल्ली
👤Posted By: Digital Desk
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