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एमएसएमई उद्योगों के लिये अब नियुक्त होंगे सुलहकर्ता....

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1433

छोटे उद्योग बचाने कमलनाथ सरकार का नया प्रावधान

15 अप्रैल 2019। प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों यानि एमएसएमई इण्डस्ट्रीज की भुगतान आदि संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु अब सुलहकर्ता नियुक्त होंगे। इसके लिये राज्य सरकार ने नया प्रावधान कर दिया है।



ज्ञातव्य है कि एमएसएमई उद्योगों को यदि किसी पक्ष से समय पर भुगतान की राशि नहीं मिलती है तो वह प्राय: कोर्ट में वाद दायर करता है। इसमें उसके भुगतान के निराकरण में सालों लग जाते हैं। चूंकि एमएसएमई उद्योग एक छोटी इकाई होती है और उसे भुगतान की शीघ्र आवश्यक्ता होती है इसलिये राज्य सरकार ने दो साल पहले 24 नवम्बर 2017 को भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम विकास अधिनियम 2006 के तहत मप्र सूक्ष्म, लघु और मध्यम सुविधा परिषद का गठन किया था। अब इस परिषद के नियमों में दो साल बाद बदलाव कर दिया गया है। नये बदलाव के तहत, परिषद का अध्यक्ष अपनी सुलह कार्यवाहियां संचालित करने के लिये सुलहकत्र्ता के रुप में एक या अधिक सदस्यों को नियुक्त कर सकेगा। साथ ही मध्यस्थता कार्यवाहियां संचालित करने के लिये, कोरम दो सदस्यों से होगी। परिषद स्वविवेक से मध्यस्थता कार्यवाहियां संचालित करने के लिये परिषद का भाग गठित करने वाली एक से अधिक पीठ का गठन कर सकेगी। इसके अलावा नया प्रावधान यह भी किया गया है कि परिषद के किसी सुलहकर्ता सदस्य या सदस्यों जिसने/जिन्होंने सुलहकत्र्ता के रुप में कार्यवाही की हो, मध्यस्थता को संचालित करने वाले कोरम का हिस्सा नहीं होगा, जब तक कि पक्षकारों द्वारा अन्यथा सहमति न दी गई हो।



अभी उद्योग आयुक्त हैं अध्यक्ष :

वर्तमान में मप्र सूक्ष्म, लघु और मध्यम सुविधा परिषद के अध्यक्ष राज्य के उद्योग आयुक्त हैं जबकि सदस्यों के रुप में सिडबी और एमएसएमई इंदौर संस्था के प्रतिनिधि सदस्य हैं। इस परिषद के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। यह परिषद एक ट्रिब्युनल की तरह कार्य करती है। कोई भी एमएसएमई उद्योग कोर्ट जाने से पहले इस परिषद में आवेदन लगा सकता है। परिषद सुनवाई कर इसमें आदेश पारित करती है। आवेदन लगाने वाले एमएसएमई उद्योग को भुगतान की राशि तीन गुना चक्रवृध्दि ब्याज राशि के साथ मिलती है। यदि दूसरा पक्ष यह राशि जमा नहीं करता है तो उससे भू-राजस्व के बकाया के तौर पर वसूली की जाती है। नये प्रावधान से अब यह परिषद दोनों पक्षों में सुलह करके भी प्रकरणों का निपटारा कर सकेगी और इसके लिये सुलहकर्ता नियुक्त कर सकेगी।



विभागीय अधिकारी ने बताया कि मप्र सूक्ष्म, लघु और मध्यम सुविधा परिषद अब सुलहकत्र्ता भी नियुक्त कर सकेगी। इस परिषद के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। इससे एमएसएमई उद्योगों को किसी पक्ष से भुगतान की राशि न मिलने पर उससे तीन गुना चक्रवृध्दि ब्याज राशि के साथ भुगतान कराया जाता है। सुलह करने पर दोनों पक्ष अपने हिसाब से राशि के भुगतान की व्यवस्था तय कर सकेंगे।









(डॉ. नवीन जोशी)

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