गौ-आधारित जैविक एवं प्राकृतिक खेती: किसानों के समृद्धि का नया मार्ग - मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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Place: रायपुर                                                👤By: prativad                                                                Views: 700

9 सितंबर 2024। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गौ-आधारित जैविक और प्राकृतिक खेती को किसानों की समृद्धि का नया रास्ता बताया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित एक विशेष कार्यशाला में उन्होंने जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया और इसे किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का मुख्य साधन बताया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने भगवान श्री बलराम जी की जयंती को किसान दिवस के रूप में मनाने का आह्वान भी किया, ताकि कृषि के महत्व को पहचानते हुए किसानों को प्रोत्साहित किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना किसानों के लिए न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी होगा, बल्कि इससे खेती में स्थायित्व और पर्यावरण संरक्षण भी संभव होगा। गौ-आधारित खेती, जो पारंपरिक कृषि पद्धतियों पर आधारित है, किसानों को रासायनिक खाद और कीटनाशकों से मुक्त खेती की दिशा में ले जाएगी। उन्होंने बताया कि जैविक खेती से जुड़ने वाले किसान अधिक समृद्ध होंगे और राज्य में कृषि उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

कार्यशाला में मुख्यमंत्री साय ने कहा कि खेती-किसानी में गौ-आधारित जैविक और प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करके न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सुधार आएगा। उन्होंने बताया कि जैविक खेती से उत्पादित खाद्य पदार्थों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है, और इसका फायदा किसानों को मिलेगा। जैविक खेती के माध्यम से उत्पादन की लागत को कम किया जा सकता है, और इससे किसानों को बाजार में बेहतर मूल्य प्राप्त होगा।

गौ-आधारित खेती का महत्व और किसानों की भूमिका

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गौ-आधारित खेती को किसानों के लिए आवश्यक बताते हुए कहा कि गौ-पालन और गौ-उत्पादों का सही उपयोग कर किसान अपनी खेती की उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकते हैं। गौ-आधारित खेती में गाय के गोबर और गौमूत्र का उपयोग जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में किया जाता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरता में सुधार होता है। इससे न केवल उत्पादन लागत में कमी आती है, बल्कि यह खेती की स्थिरता और पर्यावरण संतुलन को भी बनाए रखता है।

कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसान अब धीरे-धीरे रासायनिक खेती से हटकर जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि गौ-आधारित खेती से दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित किए जा सकते हैं, और यह खेती की एक स्थिर और टिकाऊ पद्धति है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गौ-आधारित खेती से उत्पादन लागत घटती है, क्योंकि रासायनिक खाद और कीटनाशक की जगह जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशक का उपयोग होता है। इस प्रकार, खेती की लागत घटने से किसानों की आय बढ़ेगी और वे आर्थिक रूप से सशक्त होंगे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने किसानों के लिए अनेक योजनाएं शुरू की हैं, जो उन्हें गौ-आधारित खेती की ओर प्रोत्साहित करती हैं।

भगवान श्री बलराम जी की जयंती: किसान दिवस का नया प्रतीक

मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर घोषणा की कि हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को भगवान श्री बलराम जी की जयंती को किसान दिवस के रूप में मनाया जाएगा। श्री बलराम, जिन्हें भारतीय संस्कृति में कृषि के देवता के रूप में पूजा जाता है, ने सदियों पहले किसानों को खेती की तकनीक और महत्व सिखाया। उनके इस योगदान को स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान बलराम जी की जयंती को किसान दिवस के रूप में मनाने से किसानों में नए जोश और उत्साह का संचार होगा।

इस दिन को किसान दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य किसानों के प्रति सम्मान प्रकट करना और उन्हें कृषि के महत्व को समझाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दिन किसानों के योगदान को पहचानने और उनकी मेहनत को सराहने का दिन होगा। उन्होंने किसानों को बधाई देते हुए कहा कि राज्य में कृषि विकास को प्राथमिकता दी जा रही है, और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।

किसानों की आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में सरकार का योगदान

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश में किसानों की समृद्धि को प्राथमिकता देते हुए कृषक कल्याण मंत्रालय का गठन किया गया है, जो खेती-किसानी की बेहतरी और किसानों की आय बढ़ाने पर काम कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें उद्यानिकी, मछलीपालन, और पशुपालन जैसे क्षेत्रों में किसानों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के किसानों को दो साल के धान के बकाया बोनस की राशि 3716 करोड़ रुपए वितरित की है। इसके अलावा, राज्य में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए 2000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का प्रावधान किया गया है। सिंचाई सुविधाओं में सुधार से किसानों की आय में वृद्धि होगी और वे अधिक उत्पादक बनेंगे।

उन्होंने कहा कि सिंचाई परियोजनाओं को दुरुस्त करने और नए सिंचाई साधनों के विकास से राज्य के किसानों की फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होगी। इसके साथ ही, पुराने सिंचाई परियोजनाओं को भी पुनर्जीवित किया जा रहा है, ताकि किसानों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य में किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिसके माध्यम से वे कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किसानों की पीड़ा को समझा और उनके लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की, जिससे किसानों को महाजनों और साहूकारों से छुटकारा मिल सका।

गौ-आधारित जैविक खेती: एक व्यापक दृष्टिकोण

अखिल भारतीय किसान संघ के श्री दिनेश कुलकर्णी ने गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि गौ-आधारित खेती का उल्लेख गीता में भी मिलता है और भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं गौपालन करके लोगों को प्रेरित किया है। श्री कुलकर्णी ने कहा कि किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के फायदे समझने होंगे, तभी वे इस पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित हो पाएंगे।

उन्होंने कहा कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि इससे उत्पादन की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। प्राकृतिक खेती के माध्यम से किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आज के समय में जैविक और प्राकृतिक खेती की मांग तेजी से बढ़ रही है, और इससे किसानों को अपनी आय में वृद्धि करने का अवसर मिलेगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का गौ-आधारित जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का दृष्टिकोण किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। यह पहल न केवल किसानों की आय को बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि उन्हें रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से भी मुक्त करेगी। गौ-आधारित खेती से किसानों को कम लागत में बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

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