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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के प्रयासों से ऊर्जा उत्पादन को मिलेगी राजस्थान को नई रफ्तार

Place: जयपुर                                                👤By: prativad                                                                Views: 718

राजस्थान ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए रचेगा नए कीर्तिमान - थर्मल एवं अक्षय ऊर्जा से 31 हजार 825 मेगावाट बिजली उत्पादन की विभिन्न परियोजनाएं होंगी स्थापित - 1.60 लाख करोड़ रूपए के निवेश का होगा करार - 10 मार्च को राज्य सरकार के विद्युत निगमों एवं केन्द्रीय उपक्रमों के मध्य 5 एमओयू एवं 1 पीपीए पर होंगे हस्ताक्षर - राज्य सरकार एवं आरईसी के मध्य भी होगा एमओयू, परियोजनाओं के लिए मिलेगा 20 हजार करोड़ का ऋण

10 मार्च 2024। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की दूरगामी सोच एवं निरंतर प्रयासों से प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी एवं आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में 10 मार्च को नए कीर्तिमान स्थापित होंगे। प्रदेश में ऊर्जा प्रसारण तंत्र को सुदृढ़ बनाने एवं थर्मल व अक्षय ऊर्जा के उत्पादन की नई परियोजनाओं की स्थापना के लिए राज्य सरकार एवं केन्द्रीय उपक्रमों के मध्य विभिन्न एमओयू तथा पावर परचेज एग्रीमेंट होगा। राज्य में 31 हजार 825 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन की विभिन्न परियोजनाओं सहित ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए 1.60 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए राज्य की 3 विद्युत निगमों एवं 6 केन्द्रीय उपक्रमों के उच्च अधिकारियों के मध्य रविवार सुबह मुख्यमंत्री कार्यालय में 5 एमओयू तथा एक पावर परचेज एग्रीमेंट किया जाएगा।

प्रदेश में थर्मल एवं अक्षय ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने के लिए होंगे एमओयू एवं पीपीए
इन समझौतों के तहत 3325 मेगावाट क्षमता की थर्मल आधारित परियोजनाओं के लिए राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरवीयूएन) के साथ कोल इंडिया लिमिटेड, राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) तथा एनएलसी इंडिया के मध्य एमओयू किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा आधारित 28 हजार 500 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए आरवीयूएन तथा एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी के बीच एमओयू होगा। ये नई परियोजनाएं संयुक्त उद्यम के माध्यम से विकसित की जाएंगी तथा इन पर 1 लाख 50 हजार करोड़ रूपए का निवेश किया जाएगा।
इसी प्रकार राज्य में विद्युत प्रसारण तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम और पावर ग्रिड कॉर्पाेरेशन के बीच 10 हजार करोड़ रुपये के निवेश का समझौता होगा। साथ ही, 600 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से बिजली की आपूर्ति के लिए राजस्थान ऊर्जा विकास निगम एवं एसजेवीएन ग्रीन एनर्जी के बीच पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) भी किया जाएगा।
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम द्वारा छबड़ा तापीय विद्युत परियोजना में 1600 मेगावाट कोयला आधारित परियोजना के लिए एनटीपीसी के साथ तथा 25000 मेगावाट सौर/पवन परियोजना के लिए एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के साथ समझौता किया जाएगा।
साथ ही, कोल इंडिया लिमिटेड के साथ 1600 मेगावाट पिट हेड कोयला आधारित परियोजना, 2250 मेगावाट सोलर परियोजना, 200 मेगावाट पन-विद्युत पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट एवं 50 मेगावाट विंड परियोजना सहित कुल 4100 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए भी आरवीयूएनएल एमओयू करेगा। वहीं 125 मेगावाट की पिट हेड लिग्नाइट आधारित परियोजना एवं 1000 मेगावाट सौर परियोजना के लिए एनएलसी इंडिया लिमिटेड के साथ भी एमओयू किया जायेगा।

बिजली उत्पादन के लिए निवेश की खुली राह
इन संयुक्त उद्यमों में एनटीपीसी 1 लाख 16 हजार करोड़ रूपए, कोल इंडिया 26 हजार 700 करोड़ रूपए, एनएलसी 5 हजार 50 करोड़ रूपए तथा पावर ग्रिड 10 हजार करोड़ रूपए निवेश करेगा। साथ ही, एसजेवीएन ग्रीन एनर्जी द्वारा भी 2250 करोड़ रूपए का निवेश किया जाएगा।

आरईसी व राज्य सरकार के मध्य अवसंरचना क्षेत्र के विकास के लिए होगा एमओयू
इसके अतिरिक्त प्रदेश के अवसंरचना क्षेत्र के विकास के लिए राजस्थान सरकार के विभिन्न उपक्रमों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाने की दृष्टि से रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पाेरेशन (आरईसी) लिमिटेड एवं राज्य सरकार के मध्य भी एमओयू किया जाएगा। इसके अन्तर्गत आरईसी लिमिटेड राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, उपक्रमों, संस्थाओं और योजनाओं के लिए 20 हजार करोड़ रूपए का ऋण प्रतिवर्ष उपलब्ध करवाएगा। इस एमओयू से आपणो अग्रणी राजस्थान की परिकल्पना साकार होगी और प्रदेश के अवसंरचना क्षेत्र जैसे बिजली, पानी, सिंचाई, मेट्रो, परिवहन एवं कृषि से सम्बंधित परियोजनाओं में तेजी से वृद्धि होगी जिससे राज्य आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न प्रदेष बनने की ओर अग्रसर होगा।

गत सरकार की नीतियों एवं कुप्रबंधन ने बढ़ाया बिजली कम्पनियों का ऋण भार
गत सरकार की गलत नीतियों, ऊर्जा विभाग तथा बिजली कम्पनियों के कुप्रबंधन के कारण राज्य में लगातार बिजली संकट की स्थिति बनी रही। वर्ष 2022-23 के अनुसार राजकीय उत्पादन कम्पनी लगभग 55 प्रतिशत बिजली उत्पादन क्षमता के साथ कार्य कर रही है। बिजली उपलब्ध कराने के लिए महंगी बिजली एक्सचेंज से क्रय करनी पड़ रही है। इस कारण वर्ष 2022-23 में एक्सचेंज से 3 हजार 700 करोड़ रुपये से अधिक की बिजली खरीदने के कारण अतिरिक्त वित्तीय भार राजकोष पर पड़ा है। वर्तमान में डिस्कॉम्स पर लगभग 88 हजार 700 करोड़ रुपये सहित समस्त बिजली कम्पनियों पर 1 लाख 39 हजार 200 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण भार हो गया है।

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