3 अक्टूबर 2024 को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज ग्राउंड परिसर में प्रथम छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया। इस आयोजन का उद्देश्य प्रदेश की पारंपरिक वन संपदा, औषधीय उत्पादों और सांस्कृतिक धरोहर को प्रोत्साहित करना था। विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉल और प्रदर्शनी में पारंपरिक हर्बल उत्पादों और हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री ने इन स्टॉलों का भ्रमण कर स्थानीय कलाकारों और कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों की जानकारी ली और उनके प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप भी मौजूद रहे।
पारंपरिक औषधियों पर जोर
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ वैद्य संघ के प्रदेश अध्यक्ष दशरथ नेताम द्वारा प्रदर्शित पारंपरिक औषधियों का अवलोकन किया। नेताम ने बताया कि ये औषधियाँ विशेष रूप से जंगलों से चुनी गई जड़ी-बूटियों से बनाई जाती हैं और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। मुख्यमंत्री ने पारंपरिक औषधियों की निर्माण प्रक्रिया और उनके उपयोग के फायदों के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि इन पारंपरिक विधियों का संरक्षण और प्रसार आवश्यक है, ताकि भविष्य की पीढ़ियों को भी इनका लाभ मिल सके।
महिला स्व-सहायता समूहों का योगदान
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी मर्यादित संघ के स्टॉल का दौरा किया, जहां उन्होंने जशपुर के हैंडमेड ग्रीन टी, हर्बल च्यवनप्राश और बस्तर के आदिवासी समुदायों द्वारा तैयार किए गए शुद्ध हर्बल उत्पादों का अवलोकन किया। उन्होंने ?हर्बल छत्तीसगढ़? ब्रांड के तहत तैयार शहद, रागी-कोदो कुकीज, आँवला कैंडी, और जामुन रस जैसे उत्पादों को भी देखा। मुख्यमंत्री ने कहा, ?इन हर्बल उत्पादों को बढ़ावा देने से स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त होगी।?
लोक कला का सम्मान
मुख्यमंत्री ने देवरी (आरंग) के मोहरी वादक विशाल राम यादव और दुर्ग के चिकारा वादक मनहरण दास बंजारे के लोक वाद्य संगीत प्रदर्शन का आनंद लिया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक लोक कलाएँ हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा हैं और इन्हें संरक्षित और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने दोनों कलाकारों की प्रशंसा की और उनके समर्पण को सराहा।
रजवार कला की भित्ति चित्र प्रदर्शनी
डॉ. शशिप्रिया उपाध्याय द्वारा प्रदर्शित रजवार कला के भित्ति चित्रों का अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति के संरक्षण के इस प्रयास की सराहना की। इन चित्रों में छत्तीसगढ़ की आदिम संस्कृति, लोक जीवन और पारंपरिक वेशभूषा को दर्शाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी कलाओं के संरक्षण से हमारी सांस्कृतिक धरोहर का भविष्य सुरक्षित रहेगा।
दिव्यांग बच्चों की कला का सम्मान
मुख्यमंत्री ने शासकीय दिव्यांग महाविद्यालय, माना कैम्प के मूक-बधिर विद्यार्थियों की चित्रकला प्रदर्शनी का भी दौरा किया। छात्र धनदास बरमते ने अपनी कला का नमूना प्रस्तुत करते हुए मुख्यमंत्री को एक स्वनिर्मित लोककला आधारित चित्र भेंट किया। मुख्यमंत्री ने उसकी कला की सराहना की और उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
पारंपरिक वाद्य यंत्रों का संरक्षण
पारंपरिक वाद्य यंत्रों के संरक्षण में 45 वर्षों से जुटे श्री रिखि क्षत्रिय ने मुख्यमंत्री को अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने रुंजू बाजा, घूमरा बाजा और चिरई बाजा जैसे वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री ने उनके इस अनूठे योगदान की प्रशंसा की और कहा कि ऐसे कलाकार हमारी लोक परंपराओं के सच्चे रक्षक हैं।
समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को मिला मंच
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, ?छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन जैसे आयोजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक उत्पादों और हस्तशिल्प को प्रोत्साहित करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करते हैं।? उन्होंने सभी कलाकारों और प्रतिभागियों को प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया प्रथम छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का शुभारंभ
Place:
रायपुर 👤By: prativad Views: 984
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