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स्टार प्लस का नया शो 'आरंभ' ले जायेगा एक अनदेखी, अनोखी दुनिया में

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Place: Bhopal                                                👤By: PDD                                                                Views: 19465

9 जून, 2017,बाहुबली और बाहुबली 2 जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के लेखक के.वी. विजयेन्द्र स्टार प्लस पर एक महान शो लेकर आ रहे हैं। इस शो की कहानी दो सभ्यताओं के बीच होने वाले टकराव को बयां करती हैं, जिसकी शुरूआत अस्तित्व से संबंधित दो अलग-अलग जरूरतों के कारण होती है; इसमें से एक सभ्यता उस चीज को पाना चाहती है जो दूसरे के पास है तो वहीं दूसरी सभ्यता अपनी धरोहर को बचाने के लिए युद्ध करती है।



यह कहानी उस समय की है जब द्रविड़ भारतीय उपमहाद्वीप पर राज करते थे और आर्य, जोकि पश्चिम की खानाबदोश जाति थी, उस उपजाऊ भूमि सप्तसिंधु की तलाश में थे, जिसके बारे में वे हमेशा से सुनते आये थे। द्रविड़ों के पास उपजाऊ भूमि से लेकर फल-फूल रही सभ्यता सब कुछ थी, जबकि आर्य अभी भी उस भूमि की तलाश में थे जहां उनका वंश अपना अस्तित्व जमाकर फल-फूल सके।



रजनीश दुग्गल, जो इस शो में वरुणदेव के रूप में नजर आयेंगे, अपने प्रशंसकों को आर्यों की एक अनजानी दुनिया में ले जाने के लिये भोपाल पहुंचे। यह एक ऐसी सभ्यता थी जिसे भाग्य से कुछ भी नहीं मिला। वे जन्म से ही कठिन परिस्थितियों एवं क्षेत्रों में अपना अस्तित्व बरकरार रखने के लिए संघर्ष करते आये थे। उनकी भूख ने उन्हें शिकार, रोमांच और मुकाबला करना सिखाया। नई आर्य सभ्यता ऐसी भूमि की तलाश कर रही थी, जहां वह सब कुछ-भोजन, पानी, अच्छा मौसम और पूरे साल उपजाऊ रहने वाली भूमि उपलब्ध हो जिसके लिए उन्होंने हमेशा संघर्ष किया। हालांकि, उन्हें यह भूमि मिल जाती है पर वह किसी और की होती है। पर इतिहास में किसी को भी इस पाने के लिए डराया-धमकाया नहीं गया था। और यही कारण है कि वे आर्यवर्त की तलाश के लिए आगे आये और इसे जीतने के लिए मुकाबला किया।



दूसरी ओर, द्रविड़ हमेशा से भाग्यशाली थे। उन्होंने ऐसी भूमि में जन्म लिया था जहां अपना अस्तित्व बरकरार रखने के लिए सभी आवश्यक चीजें उपलब्ध थीं। उनके भगवान ने उनके लिए जो निश्चित किया, उनके पास सब कुछ था। उन्होंने एक महान सभ्यता का निर्माण किया। उनका समाज काफी सख्त था, क्योंकि वे उसे कतई खोना नहीं चाहते थे, जिसे भगवान ने उन्हें दिया था।



ऐसे युग में पैदा होने के कारण, वरुणदेव एक आर्य योद्धा के रूप में बड़ा होता है और वह हर उस चीज का प्रशंसक बन जाता है जोकि आर्यों के बारे में प्रशंसनीय थी। वह आर्यों की संस्कृति में विश्वास करता है- वह जरूरतमंद और कमजोर लोगों के प्रति सहानुभति रखता है। वह अपने कुल को लेकर निष्ठावान है। निस्संदेह रूप से वह अपनी बटालियन में सर्वश्रेष्ठ योद्धा है जिस पर उसका सेनापति उसके न्याय के साथ-साथ उसकी क्षमताओं दोनों के लिए उस पर निर्भर है।

देवसेना का किरदार निभा रही, कार्थिका नायर प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी है और अद्भुत योद्धा। वो मातृसत्तमक समाज में जन्मी है, जिसे द्रविड़ कबीले का नेतृत्व करते हुए दिखाया जायेगा। आर्य, जोकि सप्त सिंधु को खोजने में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते, उन्हें मात देने के लिये वो उन पर घात लगाती है। युद्धभूमि में आर्य कबीले के बेहतरीन योद्धा, वरुणदेव से उसका सामना होता है। वरुणदेव ने अपनी ताकत से उस लोकतांत्रिक समाज में अपना कद ऊंचा किया है। यह युद्ध ना केवल सबसे बड़े संघर्ष के लिये उल्लेखनीय है, जोकि दो सभ्यताओं के बीच था, बल्कि एक-दूसरे के विरुद्ध लड़े रहे दो योद्धाओं की कहानी को आगे बढ़ाने के लिये भी है। लेकिन वो दोनों इस बात से अनजान हैं कि भाग्य ने तो उनके लिये कुछ और ही तय कर रखा है। ऊंचे-नीचे रास्तों से होकर ले जाता शो का यह सफर दर्शकों को एक ऐसे रहस्यमयी युग में ले जायेगा, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी।



देवसेना (कार्तिका नायर) जिसने मातृसत्तात्मक समाज में जन्म लिया और वह द्रविड़ वंश की प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी एवं बेमिसाल योद्धा के रूप में नजर आयेगी। वह द्रविड़ वंश की अगुवा है, जो अपने लोगों को आर्य के हमले से बचाते हुये नजर आयेगी। आर्य सप्त सिंधु की तलाश में हैं और इसे पाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। युद्धस्थल पर देवसेना का सामना आर्य वंश के एक प्रशंसनीय योद्धा वरुणदेव (रजनीश दुग्गल) से होता है। वरुणदेव ने अपनी सहनशीलता से प्रजातांत्रिक समाज में अपना रुतबा कायम किया है। यह युद्ध दो सभ्यताओं के बीच सिर्फ सबसे बड़े टकराव की शुरूआत भर नहीं है, बल्कि ऐसे दो योद्धाओं की कहानी है जो विपक्षी पक्षों की ओर से लड़ाई लड़ रहे हैं और इस सच्चाई से अनजान हैं कि भाग्य ने उनके लिए कुछ और ही लिखकर रखा है। यह शो दर्शकों को निश्चित रूप से ऐसे रहस्यवादी युग में लेकर जायेगा जहां जो दिखता है वैसा होता नहीं है।



वरुणदेव की भूमिका के बारे में रजनीश ने बताया, "मैं निजी तौर पर मेरे किरदार पर मंत्रमुग्ध हूं। वरुणदेव एक आर्य योद्धा है जिसे अपने प्रयासों से अपना रुतबा कायम करते हुये दिखाया जायेगा। वह बेहतर भविष्य के लिए अपने कुल का नेतृत्व करता है।" शहर में अपने अनुभव के बारे उन्होंने कहा, "मेरे कुछ दोस्त हैं, जो भोपाल आ चुके हैं और उन्होंने यहां पूरा दिन शॉपिंग में बिताया। वे पोहा और जलेबी के अपने बेहतरीन किस्सों और शहर की झीलों पर अपनी सेल्फीज के साथ लौटे थे। मैं बेहद खुश हूं कि मैं इस शहर में आया और यहां के लोगों से मुझे मिलने का मौका मिला। वे लोग बहुत ही सरल हैं और मेरे जैसे फूडीज के लिये तो यह शहर पूरी तरह से आनंद देने वाला है।"



इस प्रोजेक्ट के बारे में लेखक विजयेन्द्र प्रसाद ने कहा, "यह पराक्रम की समानांतर दुनिया का निर्माण है। वरुणदेव की मेरी कहानी एक आर्य योद्धा को सामने लेकर आई है। वह मजबूत एवं अंतर्ज्ञानी है। यह एकमात्र प्रोजेक्ट है जो मुझे छोटे पर्दे पर लेकर आया है।"



इस बेहतरीन, सीमित सीरीज में तनुजा मुखर्जी हहुमा के रूप में टेलीविजन की दुनिया में कदम रख रही हैं। हहुमा द्रविड़ों की आध्यात्मिक नेता हैं, जोकि समय से परे है और उन्हें द्रविड़ एवं आर्यों के भविष्य की भविष्यवाणी करते हुये दिखाया गया है।

'आरंभ' पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसमें मानवीय भावनाओं के सभी पहलुओं को दिखाया गया है। इसमें प्यार, ईर्ष्या, गर्व, घृणा, लालच आदि जैसे सभी रंग देखने को मिलेंगे। इसलिए यह शो दर्शकों को उनके टेलीविजन सेट से बांधकर रखने तथा और देखने की चाहत पैदा करने के लिए तैयार है।



देखिये, 'आरंभ', 24 जून से, प्रत्येक शनिवार और रविवार, रात 9 बजे, केवल स्टार प्लस पर!

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