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बड़े परदे पर चमकेगा अब विज्ञापन जगत का सितारा - हर्ष नागर

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Place: Mumbai                                                👤By: Radhika                                                                 Views: 18650

13 साल से 30 साल। फिल्म 'लव डे' की कहानी में 17 और असल ज़िंदगी में कॅरियर के सात साल की दिलचस्प यात्रा। दोस्ताना रिश्ते और रीयल से रील तक आते-आते अभिनेता हर्ष नागर के उतार-चढ़ाव और किस्मत के मिले-जुले रूप की अनोखी कहानी, जो किसी रोमांच से कम नहीं है। हर्ष का स्टारडम अपनी जगह कायम है। आखिर क्यों न हो! विज्ञापन की दुनिया में तो उन्होंने रणबीर कपूर, पुलकित सम्राट और सोनम कपूर जैसे स्टार्स के साथ काम करके स्टारडम की ऊंचाइयां देख ली हैं, पर रूपहले परदे की बुलंदी छूने का इंतज़ार है। फिल्म 'लव डे' रातों-रात उनकी तकदीर की तस्वीर बदल सकती है। सितारे बुलंद हों, तो अभिनय पर की गई मेहनत रंगत दिखा ही देती है। फिल्म 'लव डे' के तीन दोस्तों के बीच उनका किरदार हैरी अलग नज़र आता है। वह एक्शन नहीं, रिएक्शन देता है। नॉर्मल लाइफ जीने में ही उसे मज़ा आता है। वह मोंटी की तरह थोड़ा नेगेटिव नहीं है और न ही सैंडी की तरह कन्फ्यूज्ड रहता है। वह कुछ अलग हटकर है इसलिए ऐसे शख्स ही दुनिया को खास नज़र आते हैं। यह तो फिल्म देखकर ही तय होगा कि हर्ष दर्शकों के चेहरे पर कितना हर्ष या खुशी लाते हैं, पर फिल्म के प्रोमो में साफ दिखता है कि लड़के में दम है इसलिए तो सात साल के भीतर 50 से भी ज्यादा विज्ञापन फिल्में कर डालना चौंकाने वाली उपलब्धि से कम नही।



राजकुमार हिरानी से प्रेरित हैं निर्देशक हरीश कोटियान और संदीप चौधरी। इसलिए रोते-रोते हंसाना और हंसते-हंसते रूला देना उनके ही निर्देशन का करिश्माई पहलू है, जिसे हर्ष अभिनय में भी आज़माना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद है कि जब विज्ञापन जगत ने उनके दमखम को स्वीकार किया, तो फिल्म जगत भला क्यों बेरूखी दिखाएगा। टीनेजर्स लाइफ में ही उन्हें फिल्म 'प्यार में कभी-कभी' का स्टार्ट टू फिनिश कैरेक्टर मिल गया था, पर कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि अच्छा किरदार भी अच्छे दिन नहीं दिखा पाता। लेकिन हर बार तो ऐसा नहीं होगा। 'लव डे' में उनका किरदार इस बार दर्शकों का दिल जीतने आया है। उन्हें यह मैसेज या संदेश देने कि दोस्ती है तो उसे निभाना भी सीखो। झूठ की दोस्ती लंबे समय तक नहीं चलती। भले ही 'लव डे' के तीन दोस्त अलग-अलग विचारों के हैं, पर उन्हें प्यार ने एक सूत्र में बांध रखा है और यह फिल्म भी उसी तरह दर्शकों को बांधने का दम रखती है। बस, इंतज़ार खत्म होने वाला है।

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