अरबों टन कार्बन गैस धरती को बना रही है भट्टी! 6 साल बाद बेकाबू होंगे हालात

News from Bhopal, Madhya Pradesh News, Heritage, Culture, Farmers, Community News, Awareness, Charity, Climate change, Welfare, NGO, Startup, Economy, Finance, Business summit, Investments, News photo, Breaking news, Exclusive image, Latest update, Coverage, Event highlight, Politics, Election, Politician, Campaign, Government, prativad news photo, top news photo, प्रतिवाद, समाचार, हिन्दी समाचार, फोटो समाचार, फोटो
Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 2086

11 जून 2023। रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है कि मानव ने अपनी गतिविधियों के कारण 1800 से लेकर अब तक धरती का तापमान 1.14 डिग्री सेल्सियस बढ़ा दिया है। यह 0.2 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग आज के समय में दुनिया के लिए सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है जिससे प्राकृतिक आपदाओं ने विकाराल रूप लेना शुरू कर दिया है। वैज्ञानिक लगातार ऐसे तरीके खोज रहे हैं जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग को रोका जा सके और क्लाइमेट चेंज को कंट्रोल किया जा सके। क्लाइमेट चेंज के कारण मौसमी गतिविधियों में बड़ा बदलाव अब आए दिन त्रासदी की खबर लेकर आ रहा है। पिछले कुछ सालों में जलवायु में जबरदस्त बदलाव देखा जा रहा है जिसके कारण मौसम चक्र बदलने लगे हैं। बेमौसम बारिश, बाढ़, बवंडर, भूस्खलन जैसी गतिविधियां भयावह रूप ले रही हैं।

ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर अब एक नई रिपोर्ट में सामने आया है कि वर्तमान में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन अपने चरम पर है। वार्षिक रूप से 54 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा है जिससे धरती की सतह का तापमान तेजी से बढ़ चुका है। रिपोर्ट कहती है कि मानव ने अपनी गतिविधियों के कारण 1800 से लेकर अब तक धरती का तापमान 1.14 डिग्री सेल्सियस बढ़ा दिया है। यह 0.2 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है। मौसम में बढ़ रही गर्मी और जंगलों में लग रही आग इस बात का पुख्ता प्रमाण दे रही हैं।

कहा गया है कि मानव सभ्यता के पास केवल 250 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करने की विंडो ही बची है। अगर ऐसा हो पाता है तो बढ़ते हुए तापमान को रोकने के 50 प्रतिशत चांस बनते हैं और तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक ही बढ़ पाएगा जो कि आखिरी हद बताई जा रही है। लेकिन इसके लिए समय बहुत थोड़ा रह गया है। जिस हिसाब से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित की जा रही है, यह विंडो 6 साल से भी कम समय में बंद हो जाएगी।

दुनिया के पास तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोक देने का अभी भी मौका है। पेरिस समझौता इसी से जुड़ा है। लेकिन तेजी से बढ़ता उत्सर्जन इस लिमिट तक पहुंचने में बहुत समय नहीं लेने वाला है। हाल ही में एक और रिपोर्ट भी सामने आई थी। जिसमें कहा गया था कि साल 2100 तक दुनिया की बड़ी आबादी को जानलेवा गर्मी का सामना करना पड़ेगा। इसका सबसे ज्‍यादा असर अफ्रीका और एशियाई देशों में होगा। अकेले भारत में करीब 60 करोड़ लोग जानलेवा गर्मी की चपेट में आएंगे। नाइजीरिया के 30 करोड़ लोग, इंडोनेशिया के 10 करोड़ और फ‍िलीपींस व पाकिस्‍तान के 8-8 करोड़ लोग जानलेवा गर्मी का सामना करेंगे।

रिसर्चर्स का कहना है कि अगर ग्लोबल वॉर्मिंग को सीमित करने की मौजूदा पॉलिसीज जारी रहीं, तो इंसानी आबादी का पांचवां हिस्सा साल 2100 तक भीषण गर्मी की चपेट में होगा। यह स्‍टडी जर्नल नेचर सस्टेनेबिलिटी में पब्लिश हुई है। इस अध्‍ययन से पता चलता है कि गर्मी के कारण जिन देशों के लोग सबसे अधिक जोखिम का सामना करेंगे, उनमें भारत प्रमुख है।

स्‍टडी में इस बात पर जोर दिया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए, ताकि तापमान में डेढ़ डिग्री से ज्‍यादा का उछाल ना आए। अगर इस लक्ष्‍य को पा लिया गया, तो भीषण गर्मी की चपेट में आने वाली आबादी 50 करोड़ तक कम हो जाएगी।

Related News

Global News