
91% भारतीय मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग भारत के लिए गंभीर खतरा है, 78% चाहते हैं कि सरकार और अधिक प्रयास करे।
23 मई 2024। येल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन और सी-वोटर इंटरनेशनल द्वारा किए गए एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता का स्तर अत्यधिक है।
मुख्य निष्कर्ष:
जलवायु परिवर्तन का खतरा: 91% भारतीयों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग भारत के लिए एक गंभीर खतरा है। 71% का मानना है कि वे पहले से ही इसके प्रभाव महसूस कर रहे हैं, जैसे कि बदलते मौसम के पैटर्न, अधिक तीव्र मौसम की घटनाएं, और पानी की कमी।
कार्रवाई की मांग: 78% का मानना है कि भारत सरकार को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए। 84% लोग कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों पर प्रतिबंध लगाने और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में वृद्धि का समर्थन करते हैं।
आर्थिक प्रभाव: 61% का मानना है कि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों में परिवर्तन से भारत में बेरोजगारी बढ़ सकती है, 58% का मानना है कि इससे बिजली की कटौती हो सकती है, और 57% का मानना है कि इससे बिजली की कीमतें बढ़ सकती हैं।
सामाजिक प्रभाव: 33% भारतीयों का कहना है कि उनके पास कोई दोस्त या रिश्तेदार नहीं है जिस पर वे मुसीबत में होने पर भरोसा कर सकें।
53% का मानना है कि भारत में लोग पहले से ही ग्लोबल वार्मिंग से नुकसान उठा रहे हैं।
61% का मानना है कि भारत को ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग बढ़ाना चाहिए, जबकि केवल 14% का मानना है कि भारत को जीवाश्म ईंधन का उपयोग बढ़ाना चाहिए।
84% का मानना है कि मानवीय गतिविधि ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है।
सर्वेक्षण 2178 लोगों पर आधारित है और भारत भर में विभिन्न आयु समूहों और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि का प्रतिनिधित्व करता है।
यह सर्वेक्षण भारत में जलवायु परिवर्तन के बारे में बढ़ती जागरूकता और चिंता को दर्शाता है। यह सरकारों और नीति निर्माताओं के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने और इसके प्रभावों को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान करता है।