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मोदी सरकार ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 2500 करोड़ का जुर्माना ठोका

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Place: 1                                                👤By: Admin                                                                Views: 18564

मोदी सरकार ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज पर केजी बेसिन के डी-6 फील्ड से लक्ष्य से कम गैस उत्पादन करने पर 380 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानि करीब 2500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया है. इसे मिलाकर अब कुल जुर्माना करीब 17 हजार करोड़ रुपये हो गया है. 1 अप्रैल 2010 से रिलायंस और उत्पादन से जुड़ी बाकी कंपनियां हर साल टार्गेट से कम गैस उत्पादन कर रही हैं जिससे सरकार को नुकसान हो रहा है. ज्यादा उत्पादन होने से सरकार को मुनाफे में ज्यादा हिस्सेदारी मिलती लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है.

गौरतलब है कि एबीपी न्यूज ने पहले ही आपको खबर दी थी कि देश के सरकारी लेखाकार यानी सीएजी ने कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कृष्णा-गोदावरी बेसिन से गैस निकासी पर आने वाली लागत को लगातार अधिक कर के बताया, जो 1 अरब डॉलर बैठता है. जबकि सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी थी. ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने मई 2012 में सलाह दी थी कि संचालक को अतिरिक्त क्षमता की कुल लागत वसूलने का अधिकार नहीं है, जो वर्ष 2011-12 तक 100.50 करोड़ डॉलर (6,043 करोड़ रुपये) बैठती है. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया) की रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया है, मंत्रालय के निर्देश के बावजूद संचालक 2012-13 और 2013-14 की निकासी लागत में इस राशि को लगातार जोड़ता गया. रिपोर्ट में रिलायंस इंडस्ट्रीज के जवाब भी शामिल हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, संचालक ने जवाब में (अगस्त 2015) कहा कि यह मुद्दा मध्यस्थता की प्रक्रिया में है और इसलिए न्यायाधीन है. संचालक ने मध्यस्थता में शामिल दूसरे पक्ष के संभावित किसी नुकसान से बचने के लिए इस विषय पर अपनी टिप्पणी देने से मना कर दिया है. रिलायंस के ब्लॉक में स्थानांतरित की गई ओएनजीसी की गैसः रिपोर्ट में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ डीगोलयर एंड मैक्नॉटन द्वारा किए गए एक आंकलन को भी संज्ञान में लिया गया है, जिसमें संकेत किया गया है कि सरकारी स्वामित्व वाले तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) द्वारा संचालित बगल के गैस ब्लॉक से भी कुछ गैस रिलायंस इंडस्ट्रीज को आवंटित गैस ब्लॉक में लाई गई.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार यदि आंकलन को स्वीकार करती है और रिलायंस इंडस्ट्रीज को इसके लिए ओएनजीसी को भुगतान का निर्देश देती है, तो यह कथित गैस ब्लॉक की वित्तीय व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है, जिसमें अप्रैल 2009 से लेकर अबतक के पूरे संचालन के दौरान की लागत, मुनाफा, रॉयल्टी और कर शामिल होंगे. सीएजी ने कहा है कि अगर पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस मिनिस्ट्री डीएंडएम की रिपोर्ट का यह नतीजा स्वीकार करती है कि आरआईएल ने ओएनजीसी के फील्ड्स से गैस हासिल की और अगर मिनिस्ट्री आरआईएल को उसके लिए ओएनजीसी को भरपाई करने का निर्देश देती है तो इससे कॉस्ट पेट्रोलियम, प्रॉफिट पेट्रोलियम, रॉयल्टी और टैक्स सहित केजी-डीडब्ल्यूएन-98/3 के कामकाज की समूची अवधि में फाइनेंशियल पोजीशन पर असर पड़ सकता है. 2012-2014 की कुल कॉस्ट रिकवरी से रिलायंस पर 9307 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ने का अनुमान है और 2012-2014 में अगर रिलायंस की अतिरिक्त कॉस्ट रिकवरी की जांच की भी मांग की गई है जिसे माने जाने पर कंपनी पर 311 करोड़ रुपये का और बोझ भी पड़ सकता है.

ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है, डीगोलयर एंड मैक्नॉटन की ये रिपोर्ट इस समय एक सदस्यी समिति के विचाराधीन है. न्यायमूर्ति ए.पी. शाह इस रिपोर्ट की समीक्षा कर रहे हैं, और समीक्षा के बाद वह इस पर अपनी सिफारिश सौंपेंगे.

सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज व उसके भागीदारों पर कंपनी के पूर्वी अपतटीय क्षेत्र केजी-डी6 से लक्ष्य से कम गैस उत्पादन होने पर 38 करोड़ डॉलर करीब 2,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही इस परियोजना क्षेत्र के वकसित पर खचरें के दावे में कंपनी का कुल 2.76 अरब डॉलर का दावा नामंजूर किया जा चुका है. इसका अर्थ है कि कंपनी इस परियोजना के तेल-गैस की बिक्री में से अब इतनी राशि की वसूली नहीं कर सकती है. कंपनी अप्रैल 2010 से लगातार पांच वित्तीय वर्षों में उत्पादन लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई है.

केजी-डी6 क्षेत्र के आवंटन के समय किये गये उत्पादन भागीदारी अनुबंध (पीएससी) में यह व्यवस्था है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड व उसकी भागीदारी कंपनियां ब्रिटेन की बीपी पीएलसी व कनाडा की नीको रिसोर्सिज तेल-गैस की खोज पर आये पूंजी व परिचालन खर्च को गैस की बिक्री से प्राप्त राशि से पूरा कर सकते हैं. उसके बाद ही वह मुनाफे को सरकार के साथ बांटेंगे.

कंपनी के खर्च के उपरोक्त दावे नामंजूर होने से खनिज तेल-गैस मुनाफे में सरकार की हिस्सेदारी बढ़ेगी. वत्त वर्ष 2013-14 तक क्षेत्र में 2.376 अरब डॉलर की लागत को नामंजूर किया गया था जिसके परिणामस्वरूप सरकार की क्षेत्र के पेट्रोलियम मुनाफे में भागीदारी 19.53 करोड़ डॉलर बढ़ गई है. रिलायंस के केजी-डी6 के धीरभाई 1 व 3 से गैस का उत्पादन 8 करोड़ घनमीटर प्रतिदिन होना चाहिये था लेकिन 2011-12 में यह 3.35 करोड़ घनमीटर प्रतिदिन, 2012-13 में 2.09 करोड़ घनमीटर, 2013-14 में 97 लाख घनमीटर व उसके बाद 80 लाख घनमीटर प्रतिदिन के स्तर पर रहा.

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