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मसाई स्कूल: तकनीकी शिक्षा से सशक्तिकरण की राह को रोशन कर रहा है

Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1309

2019 में शुरू किए गए मसाई स्कूल ने नौकरी करने की क्षमता बढ़ाने के लिए नए मार्केट तक पहुंच हासिल की, जिनका अभी तक पूरी तरह उपयोग नहीं किया गया था

भारत के तेजी से बढ़ रहे जॉब टेक प्लेटफॉर्म मसाई स्कूल के प्रोग्राम में हाल ही में पिछले 5 सालों में रिकॉर्डतोड़ 6000 से ज्यादा छात्रों ने अपना नामांकन कराया। प्लेसमेंट के बाद भुगतान की सुविधा देने के मॉडल पर बनाए गए जॉब टेक इंस्टिट्यूट के तौर पर इसका 94 फीसदी से ज्यादा और 4,500 से ज्यादा प्लेसमेंट्स का रिकॉर्ड है। प्रतीक शुक्ला, योगेश भट्ट और कृपाल देव की ओर से शुरू किए गए जॉब टेक प्लेटफॉर्म का लक्ष्य युवाओं की प्रतिभा को निखारकर उन्हें नए-नए कौशल से लैस करना है और उनकी नौकरी हासिल करने की संभावनाओं को बढ़ाना है। मध्य प्रदेश में इंदौर के रहने वाले और मसाई स्कूल के ग्रेजुएट ऋषभ चौरसिया ने कहा, "मैंने मसाई में दाखिला लेने का फैसला अपने भाई से प्रभावित होकर किया, जिन्हें मसाई में अपना कोर्स करने के बाद नौकरी मिल गई थी। मुझे यह कोर्स करने के बाद डब्ल्यूएससी टेक्नोलॉजीज में नौकरी मिली। पहले मैं घरेलू इलेक्ट्रिकल उपकरणों की मरम्मत करता था। इस कोर्स को करने के बाद मुझे एक प्रतिष्ठित कंपनी का अभिन्न हिस्सा बनने का मौका मिला। इससे मेरी जिंदगी में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए।" मसाई स्कूल के एक अन्य पूर्व छात्र मध्यप्रदेश के नीलम सिंह ने कहा, "ग्रेजुएशनके बाद मैंने कम सैलरी वाली बहुत सी नौकरियां की क्योंकि मैंने अपने मन में यह पक्का इरादा कर लिया था कि मैं अपने परिवार पर आश्रित नहीं रहूंगी। मुझ पर एक बड़े परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी थी। इसलिए मैं अच्छी आमदनी वाली नौकरी की तलाश में थी, जिससे मुझे अपने परिवार में सबकी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल सके। इसी लक्ष्य ने मुझे मसाई स्कूल में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया, जिससे आखिरकार मुझे अपनी महत्वाकांक्षाओं से तालमेल रखने वाली अच्छी और मनपसंद नौकरी मिली।"

मसाई स्कूल के संरक्षण में, प्रेपलीफ एक नई पहल के रूप में उभरा है, जिसने लोगों को परंपरागत रूप से टेस्ट दिए बिना उज्जवल भविष्य की नींव रखने वाले अलग तरह के संस्थान में दाखिला देने की पेशकश की है। जॉब मार्केट में नया रास्ता दिखाने वाले इस नजरिए के साथ यह जॉब टेक प्लेटफॉर्म सभी की उच्च तकनीकी शिक्षा तक पहुंच बढ़ाकर इस क्षेत्र में पूरी तरह से बदलाव के लिए तैयार है। इस प्लेटफॉर्म ने आजकल के शैक्षिक माहौल में नौकरी हासिल करने का प्रयास करने वाले उम्मीदवारों को अपने कौशल को निखारने और संवारने का मौका दिया है।

प्रेपलीफ उम्मीदवारों के कौशल को निखारने वाला पार्ट टाइम अपस्किलिंग कोर्स है, जो उन उम्मीदवारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया है, जो मसाई के हफ्ते में 6 दिन तक 11 बजे सुबह से 11 बजे रात तक चलने वाले गहन ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा नहीं ले सकते। पारंपरिक शिक्षा की कठोर संरचना से अलग इस प्रोग्राम में डिग्री की जगह कौशल को वरीयता दी जाती है। यह रोजगार हासिल करने के इच्छुक उन सभी उम्मीदवारों के लिए एक लचीला और समावेशी समाधान है, जो तकनीकी क्षेत्र में अपने कौशल को बढ़ाना चाहते हैं। वर्ष 2022 में लॉन्च किए गए प्रेपलीफ ने मध्यप्रदेश में दो कॉलेजों, सेज इंदौर और से भोपाल से पहले ही साझेदारी कर ली है। इससे प्रेपलीफ ने छात्रों के लिए उनकी रोजगार की संभावनाओं के क्षितिज का विस्तार करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है। टेस्टिंग की रुकावटों को दूर करते हुए प्रेपलीफ का लक्ष्य कॉलेज स्टूडेंट्स, तकनीक में रुचि रखने वाले लोगों ओर अपनी नौकरी बदलने की चाहत रखने वाले वर्किंग प्रोफेशनल्स को अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए मजबूत बनाना है। इसके लिए मसाई स्कूल में जरूरी और बेशकीमती तकनीकी कौशल से छात्रों को लैस करने के लिए नया, व्यावहारिक और समावेशी नजरिया अपनाया जाता है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात हुआ है। मसाई स्कूल के सह-संस्थापक और सीईओ प्रतीक शुक्ला ने मसाई स्कूल के बारे में बताते हुए कहा, "टेकइंडस्ट्री में सफलता हासिल करने के लिए केवल डिग्री से काम नहीं चलता। इसमें कौशल की जरूरत पड़ती है। अब ज्यादा से ज्यादा कंपनियां उम्मीदवारों की भर्ती करते समय उन उम्मीदवारों की तलाश में रहती है, जो उद्योगों में अपने क्षेत्र से संबंधित कामकाज को अच्छी तरह कर सके और परियोजनाओं को आसानी से हैंडल कर सके। यह प्रोग्राम उम्मीदवारों को तरह-तरह के कौशल से लैस करने के लिए बनाया गया है, जिससे उन्हें इंडस्ट्री में बना किसी मुश्किल के अच्छी नौकरी मिल सके। इसके साथ ही इस प्रोग्राम के माध्यम से दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में रहने वाले छात्रों और ग्रेजुएट्स को इंडस्ट्री में काम करने लायक कौशल से लैस करने पर काफी जोर दिया गया है।

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