
13 सितंबर 2024। हाल ही में भारत सरकार ने प्रसव नामक एक आंखों की ड्रॉप्स का लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह वही ड्रॉप्स है जिसे बिना चश्मे के साफ दिखने का दावा करते हुए लॉन्च किया गया था। लेकिन अब इसके सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। आखिर क्या है इस विवाद का सच और क्यों सरकार ने इस पर तुरंत कार्रवाई की? आइए, इस पूरी खबर को विस्तार से समझते हैं।
प्रसव ड्रॉप्स को एंटोट फार्मास्यूटिकल्स नामक कंपनी ने लॉन्च किया था, जिसने दावा किया था कि यह ड्रॉप्स आपके चश्मे की जरूरत को खत्म कर सकता है। कंपनी का कहना था कि इसे लगाने के 15 मिनट के अंदर पास की चीजें साफ दिखाई देने लगती हैं और यह भारत की पहली ऐसी ड्रॉप है। लेकिन इस दावे के साथ ही विवाद खड़ा हो गया।
डीसीजीआई ने जांच शुरू की
भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने प्रसव ड्रॉप्स के बारे में उठ रहे सवालों को ध्यान में लेते हुए तुरंत जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि यह ड्रॉप्स बायोपिया नामक समस्या के इलाज के लिए मंजूर की गई थी, जो उम्र बढ़ने के साथ पास की दृष्टि में कमी से जुड़ी होती है। लेकिन कंपनी द्वारा किए गए दावे इस अनुमोदन के दायरे से बाहर थे। डीसीजीआई के अनुसार, प्रसव ड्रॉप्स को कभी भी व्यापक उपयोग के लिए मंजूरी नहीं दी गई थी, जिससे जनता को गुमराह किया जा रहा था।
मुख्य घटक और उसके प्रभाव
प्रसव ड्रॉप्स के मुख्य घटक, पाइलोकार्पिन हाइड्रोक्लोराइड, का इस्तेमाल लंबे समय से ग्लूकोमा और मोतियाबिंद के इलाज में होता आया है। यह ड्रॉप आंखों की मांसपेशियों को सक्रिय करके पास की दृष्टि को साफ करने में मदद करता है, लेकिन इसका असर अस्थायी होता है। हालांकि, कई शोधों ने यह भी दिखाया है कि इस ड्रॉप के इस्तेमाल से दृष्टि में सुधार कुछ समय के लिए ही होता है, और इसके साथ कुछ साइड इफेक्ट्स जैसे आंखों में तनाव और दूर की दृष्टि में कमी भी हो सकती है।
कंपनी का पक्ष
जब डीसीजीआई ने प्रसव ड्रॉप्स का लाइसेंस सस्पेंड किया, तो एंटोट फार्मास्यूटिकल्स ने इस पर अपनी आपत्ति जताई। कंपनी के सीईओ निखिल मासूकर का कहना था कि उनका उद्देश्य सिर्फ तकनीकी शब्दों को आम भाषा में समझाने का था, और मीडिया तथा जनता ने इसे गलत समझा। कंपनी ने यह भी कहा कि उनके क्लिनिकल ट्रायल्स में कुछ मरीजों ने चश्मे के बिना दृष्टि पाई थी, और यही उनके दावे का आधार था। लेकिन डीसीजीआई का मानना है कि इस प्रकार के दावों को स्पष्ट मंजूरी नहीं दी गई थी।
जनता की सुरक्षा प्राथमिकता
यह मामला यह सिखाता है कि चिकित्सा उत्पादों के प्रचार में नियमों का पालन कितना महत्वपूर्ण है। गलत दावे जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकते हैं। डीसीजीआई द्वारा उठाए गए इस कदम का उद्देश्य जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना है और यह स्पष्ट है कि सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
फिलहाल, प्रसव ड्रॉप्स का निर्माण और बिक्री बंद कर दी गई है, और इसके भविष्य को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। हालांकि, कंपनी इसे चुनौती दे सकती है, लेकिन यह मामला दवाओं के प्रचार में पारदर्शिता की महत्ता को रेखांकित करता है।