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पेजर-हमला: साइबर अटैक और युद्ध की नई परिभाषा

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Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 419

भोपाल: 19 सितंबर 2024। इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद द्वारा हिजबुल्ला पर किए गए पेजर-बम हमले ने साइबर अटैक और आधुनिक युद्ध की परिभाषाएं बदल दी हैं। यह हमला तकनीक के जरिए हुआ, जिसमें पुराने पेजरों को बम की तरह इस्तेमाल किया गया। हिजबुल्ला के कमांडरों द्वारा उपयोग किए जा रहे इन पेजरों की बैटरी में इजराइली एजेंटों ने विस्फोटक सामग्री छिपा दी थी। जैसे ही पेजर उपयोग किया जाता, बम फट जाता।

पेजर बम हमला: एक नई तरह का युद्ध
यह हमला अपने आप में बहुत अनोखा और खतरनाक था, जिसमें एक पुरानी तकनीक (पेजर) को घातक हथियार में बदल दिया गया। हिजबुल्ला के कमांडरों को पेजर की बैटरी में लगाए गए बम का अंदाजा भी नहीं था। जब हजारों पेजरों को एक साथ सक्रिय किया गया, तो वे एक ही समय में फट गए।

हमले की विशेषताएं
नई तरह का युद्ध: यह हमला दिखाता है कि अब युद्ध केवल हथियारों या सैनिकों पर निर्भर नहीं रहा। तकनीक का इस्तेमाल करके बेहद खामोशी से और सटीक हमले किए जा सकते हैं।
सटीक निशाना: इस हमले की सबसे बड़ी विशेषता थी कि केवल हिजबुल्ला कमांडर ही इसका शिकार बने। बाकी लोग सुरक्षित रहे।
बड़ा नुकसान: इस हमले में लगभग 500 हिजबुल्ला कमांडरों ने अपनी आंखें खो दीं, और कई गंभीर रूप से घायल हो गए। यहां तक कि ईरानी राजदूत भी घायल हुए।
पुरानी तकनीक का नया इस्तेमाल: पेजर, जो 1949 की एक पुरानी संचार तकनीक है, को इजराइली खुफिया एजेंसी ने एक घातक हथियार में बदल दिया।

क्यों किया गया पेजर का इस्तेमाल?
छिपकर करना आसान: पेजर को बम में बदलना आसान था और इसे छिपाना भी ज्यादा मुश्किल नहीं था।
अप्रत्याशित हथियार: पेजर की पुरानी तकनीक होने के कारण किसी को अंदाजा नहीं था कि इसे हमले के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
सर्विलांस से बचने की कोशिश: हिजबुल्ला के कमांडरों ने सोचा कि पेजर के जरिए वे इजराइली निगरानी से बच सकते हैं, क्योंकि पेजर की तकनीक बहुत पुरानी थी और इसे ट्रैक करना मुश्किल था।

हमले की तैयारी और अंजाम
इस ऑपरेशन में इजराइल ने लगभग 8 महीने से लेकर सवा साल का समय लगाया। पेजर की बैटरियों में लगाए गए बम इतने छोटे थे कि उन्हें पकड़ पाना मुश्किल था। इजराइल ने इस बात का खास ध्यान रखा कि सभी उपकरण हिजबुल्ला कमांडरों तक पहुंच जाएं और एक साथ विस्फोट हों। हमले के बाद हिजबुल्ला को यह समझ ही नहीं आया कि उनके साथ क्या हुआ।

क्या सीख मिलती है?
तकनीक का दोहरा चेहरा: इस घटना से साफ हो जाता है कि तकनीक का इस्तेमाल जितना अच्छे कार्यों के लिए हो सकता है, उतना ही बुरे कामों के लिए भी किया जा सकता है।
सतर्कता की जरूरत: हमें हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके हम पर भी हमला हो सकता है, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है।

पेजर-हमला सिर्फ हिजबुल्ला के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के सभी संगठनों के लिए एक चेतावनी है कि तकनीक चाहे जितनी पुरानी हो, उसे घातक हथियार में बदला जा सकता है। यह हमला एक ऐसा उदाहरण है, जहां तकनीक का चतुराई से इस्तेमाल कर एक सटीक और विनाशकारी हमला किया गया, जिसने हिजबुल्ला की पूरी नेतृत्व व्यवस्था को बर्बाद कर दिया।

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