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21 फरवरी 2025। डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणियों ने एक बार फिर वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप ने यूक्रेन संकट पर अपना रुख बदलते हुए रूस के प्रति नरमी दिखाई है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या यह अमेरिका की विदेश नीति में संभावित बदलाव का संकेत है, या फिर ट्रंप के व्यक्तिगत हितों से जुड़ा कोई राजनीतिक दांव? आइए, इस घटनाक्रम की तह तक पहुंचने की कोशिश करते हैं।
ट्रंप का नया रुख: अमेरिका के लिए खतरा या नई कूटनीति?
अमेरिका ने अब तक रूस के यूक्रेन पर हमले को खुलकर निंदा की है और युद्धग्रस्त यूक्रेन को सैन्य एवं आर्थिक सहायता देता रहा है। लेकिन ट्रंप ने हाल ही में रूस की भाषा बोलते हुए यूक्रेन को दी जाने वाली मदद पर सवाल उठाए और संकेत दिए कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति बने, तो अमेरिका का यूक्रेन को समर्थन खत्म हो सकता है।
ट्रंप ने अपने बयान में यह भी कहा कि अगर वह सत्ता में होते, तो यह युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता। इसके अलावा, उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के प्रति संदेह जताते हुए रूस के पक्ष की कुछ दलीलों को दोहराया, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह अमेरिकी नीतियों में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
रूस के प्रति ट्रंप की नरमी के पीछे की संभावित वजहें
1. पुतिन और ट्रंप के पुराने संबंध
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप रूस के प्रति नरमी दिखा रहे हैं। 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस की कथित दखलअंदाजी को लेकर ट्रंप पर कई आरोप लगे थे। खुद व्लादिमीर पुतिन और ट्रंप के बीच कई बार दोस्ताना माहौल देखने को मिला है।
2. अमेरिका की घरेलू राजनीति और चुनावी रणनीति
ट्रंप इस समय 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। अमेरिका में एक धड़ा ऐसा भी है जो मानता है कि यूक्रेन को दी जाने वाली भारी-भरकम आर्थिक सहायता अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक है। ट्रंप इस वर्ग को लुभाने के लिए यूक्रेन विरोधी बयानबाजी कर सकते हैं।
3. अमेरिका की वैश्विक भूमिका को कम करने की योजना
ट्रंप की "America First" नीति के तहत उन्होंने पहले भी अमेरिका की वैश्विक जिम्मेदारियों को कम करने की वकालत की थी। उन्होंने पहले भी नाटो पर ज्यादा खर्च करने का विरोध किया और अब रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की भूमिका सीमित करने की बात कर रहे हैं।
4. रूस से गुप्त कूटनीतिक सौदेबाजी?
ट्रंप पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं कि वह रूस के साथ गुप्त समझौते करने की कोशिश कर सकते हैं। उनके पिछले कार्यकाल में भी रूस को लेकर अमेरिका की नीतियों में नरमी देखी गई थी। क्या यह बदलाव किसी संभावित सौदेबाजी का संकेत है?
अमेरिका और यूरोप की चिंताएं
ट्रंप के इस रुख के बाद अमेरिका और यूरोप में चिंताएं बढ़ गई हैं। अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी इस मुद्दे पर मतभेद हैं। कई रिपब्लिकन नेता यूक्रेन को मदद जारी रखने के पक्ष में हैं, जबकि ट्रंप का रवैया उनके लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है।
यूरोप में भी इस बयान के बाद बेचैनी बढ़ गई है। जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन पहले ही रूस के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के लिए अमेरिका पर निर्भर रहे हैं। अगर ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं और अमेरिका की नीति बदलती है, तो यूरोप को अपनी सुरक्षा नीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है।
ट्रंप की बयानबाजी महज चुनावी हथकंडा या भविष्य की रणनीति?
डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने यह साफ कर दिया है कि अगर वह फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो अमेरिका की विदेश नीति में बड़ा बदलाव हो सकता है। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि यह सिर्फ एक चुनावी रणनीति है या फिर रूस और अमेरिका के रिश्तों को लेकर कोई गहरी योजना।
एक ओर, यह अमेरिका की यूक्रेन नीति को कमजोर कर सकता है और रूस को रणनीतिक फायदा पहुंचा सकता है। दूसरी ओर, यह ट्रंप को उनके समर्थकों के बीच और मजबूत कर सकता है, जो अमेरिका के वैश्विक हस्तक्षेप को कम करना चाहते हैं।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप अपने इस रुख को कैसे आगे बढ़ाते हैं और इसका अमेरिका, यूक्रेन, रूस और वैश्विक राजनीति पर क्या असर पड़ता है।