
28 मार्च 2025। इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने स्पष्ट रूप से यूक्रेन में किसी भी संभावित सैन्य तैनाती में अपने देश की भागीदारी से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों को वाशिंगटन के साथ मिलकर मॉस्को और कीव के बीच शांति स्थापित करने पर ध्यान देना चाहिए।
ब्रिटेन और फ्रांस के नेताओं—प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन—ने हाल ही में एक "इच्छुक गठबंधन" के गठन की पहल की थी, जिसमें वे यूक्रेन को सैन्य सहायता देने के लिए तैयार दिखे। यह कदम अमेरिका और रूस के बीच चल रही बातचीत के दौरान सामने आया, जिसमें यूरोपीय संघ और ब्रिटेन को शामिल नहीं किया गया था।
पेरिस में यूक्रेन समर्थकों के शिखर सम्मेलन के बाद, जिसमें यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की भी शामिल हुए, मेलोनी ने फिर दोहराया कि इटली किसी भी ज़मीनी सैन्य बल में शामिल नहीं होगा। इटली के प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में उन्होंने अमेरिका के साथ मिलकर संघर्ष को रोकने और शांति स्थापित करने के महत्व पर जोर दिया।
मेलोनी ने फाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच इटली से किसी एक को चुनने की अपेक्षा करना "बचकाना" है। उन्होंने सुझाव दिया कि कीव को सीधे नाटो सदस्यता दिए बिना उसके लिए नाटो की सामूहिक रक्षा नीति का विस्तार किया जा सकता है। उनके अनुसार, यह मौजूदा प्रस्तावों की तुलना में अधिक प्रभावी होगा।
क्रोएशियाई राष्ट्रपति ज़ोरान मिलनोविक ने भी इस पहल से दूरी बनाते हुए कहा कि उनका देश यूक्रेन में किसी भी रूप में शामिल नहीं होगा, क्योंकि अभी शांति समझौते की कोई शर्त पूरी नहीं हुई है।
रूस ने यूरोपीय सैनिकों की तैनाती की किसी भी संभावना को सिरे से खारिज कर दिया है। उसने फ्रांस और ब्रिटेन पर यूक्रेन में सैन्य हस्तक्षेप की योजना बनाने का आरोप लगाया, जिससे रूस और नाटो के बीच सीधा टकराव हो सकता है। मॉस्को ने यह भी कहा कि लंदन और पेरिस जानबूझकर तनाव बढ़ाकर अमेरिका-रूस की शांति वार्ताओं को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।