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वैश्विक संघर्ष के बीच शांति का दिन: युद्धग्रस्त विश्व में गांधी जयंती

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1688

गांधी जयंती, 2 अक्टूबर को, न केवल महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाई जाती है, बल्कि यह विश्व में शांति और अहिंसा का प्रतीक भी है। इस वर्ष, जब दुनिया के कई हिस्सों में संघर्ष और युद्ध जारी हैं, तब गांधी जयंती की महत्ता और भी बढ़ जाती है। महात्मा गांधी ने अपने जीवन के दौरान हमेशा शांति, सद्भाव और अहिंसा का संदेश फैलाया, जो आज भी हमारे लिए प्रासंगिक है।

गांधी का सिद्धांत
महात्मा गांधी का विश्वास था कि सच्ची शक्ति हिंसा के माध्यम से नहीं, बल्कि अहिंसा के माध्यम से प्राप्त की जाती है। उन्होंने कहा था, "आपको दुनिया में वह परिवर्तन करना है जो आप देखना चाहते हैं।" आज जब हम दुनिया में हो रहे युद्धों और हिंसा को देखते हैं, तब गांधी की शिक्षाएं हमें इस बात की याद दिलाती हैं कि शांति की स्थापना के लिए संवाद और समझ आवश्यक है।

युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति की आवश्यकता
विश्व के कई हिस्से आज संघर्ष में हैं। यूक्रेन, सीरिया, यमन, और अफगानिस्तान जैसे देशों में लाखों लोग युद्ध की जंजीरों में बंधे हैं। इसी तरह, इजरायल और फलस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष ने भी भारी विनाश और मानवीय संकट उत्पन्न किया है। इन क्षेत्रों में जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ भी संकट में हैं। ऐसे में गांधी जयंती का संदेश हमें याद दिलाता है कि हिंसा केवल विनाश और पीड़ा लाती है। शांति का मार्ग ही मानवता के कल्याण की ओर ले जाता है।

गांधी जयंती के अवसर पर हमें सिर्फ समारोह मनाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि हमें शांति के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए। शांति और समझ का संदेश फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है। स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक संगठनों में अहिंसा और सहिष्णुता पर चर्चा करने से हम युवाओं को इस दिशा में प्रेरित कर सकते हैं।

वैश्विक एकता की आवश्यकता
आज की स्थिति को देखते हुए, वैश्विक एकता की आवश्यकता और भी ज्यादा महसूस होती है। विभिन्न राष्ट्रों को मिलकर कार्य करना होगा ताकि हम एक ऐसे विश्व का निर्माण कर सकें जहाँ सभी लोग मिलकर शांतिपूर्वक रह सकें। महात्मा गांधी की शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि शांति के लिए संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन यह संघर्ष हथियारों से नहीं, बल्कि विचारों और संवाद से होना चाहिए।

इस गांधी जयंती पर, हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में अहिंसा और शांति का पालन करेंगे। महात्मा गांधी का सपना एक ऐसे समाज का था जहाँ सभी लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर रह सकें। आइए, हम उनके संदेश को आत्मसात करें और एक ऐसे विश्व के लिए प्रयास करें जहाँ संघर्ष की जगह शांति हो। यह केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि एक जीवनशैली बनानी है।

महात्मा गांधी के इस अनमोल संदेश को याद करते हुए, हमें एक नए सिरे से सोचने और कार्य करने की आवश्यकता है। केवल तभी हम एक बेहतर और शांतिपूर्ण विश्व की ओर बढ़ सकते हैं।

- दीपक शर्मा

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