
प्रतिवाद डेस्क | साइंस स्पेशल
13 अप्रैल 2025। क्या आप जानते हैं कि आपकी नाक एक ट्रिलियन (1000 अरब) से भी ज़्यादा अलग-अलग तरह की गंधों को पहचान सकती है? और ये भी कि तितलियाँ अपने पैरों से स्वाद का अनुभव करती हैं? जी हां, यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है।
👃 मानव नाक: सूंघने की 'सुपर मशीन'
सालों तक वैज्ञानिक मानते रहे कि इंसानी नाक केवल 10,000 तरह की गंधें पहचान सकती है। लेकिन हाल के शोधों से यह पता चला है कि यह आंकड़ा बेहद कम था। अमेरिका की Rockefeller University के शोधकर्ताओं ने साबित किया कि इंसानी घ्राण प्रणाली इतनी संवेदनशील है कि वह 1 ट्रिलियन से अधिक गंधों को अलग-अलग पहचान सकती है।
नाक में मौजूद लगभग 400 प्रकार के घ्राण रिसेप्टर्स मिलकर यह अद्भुत काम करते हैं। यह प्रणाली इतनी जटिल और शक्तिशाली है कि यह गंधों के बेहद बारीक अंतर तक पहचान सकती है – जैसे गुलाब और चमेली के सुगंध में हल्का फर्क।
🦋 तितली के पैर: स्वाद की इंद्रियाँ ज़मीन पर
अब बात करते हैं तितलियों की – ये रंगबिरंगी कीट सिर्फ दिखने में ही खूबसूरत नहीं होतीं, बल्कि इनकी शारीरिक बनावट भी बेहद दिलचस्प होती है। इंसान जहां स्वाद जीभ से पहचानता है, वहीं तितलियाँ अपने पैरों से स्वाद का अनुभव करती हैं।
जब तितली किसी फूल या पत्ते पर बैठती है, तो उसके पैरों में मौजूद स्वाद ग्रंथियाँ (taste sensors) तुरंत यह जाँच लेती हैं कि यह पौधा अंडे देने के लिए उपयुक्त है या नहीं। कुछ प्रजातियाँ तो यह भी तय कर सकती हैं कि कौन सा पौधा उनके बच्चों (कैटरपिलर) के लिए ज़्यादा पोषण देगा।
🧪 प्रकृति का विज्ञान: जितना जानें, उतना चौंकें
मानव शरीर और प्रकृति की इन विशेषताओं से यह साफ़ होता है कि हमारा पर्यावरण और जीव-जंतुओं की दुनिया कितनी रहस्यमयी और वैज्ञानिक रूप से परिष्कृत है। जहां इंसान की नाक एक शक्तिशाली 'स्मेल डिटेक्टर' है, वहीं तितली के पैर एक 'स्वाद प्रयोगशाला' हैं।
इस तरह के तथ्य न सिर्फ़ हमें आश्चर्यचकित करते हैं, बल्कि हमें यह भी सिखाते हैं कि प्रकृति हर जीव को उसकी जरूरत के हिसाब से अद्भुत क्षमताएं प्रदान करती है।
क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपकी नाक कितनी सूक्ष्म गंधें पकड़ लेती है? या किसी फूल पर बैठी तितली को गौर से देखा है? ऐसे ही और भी विज्ञान से जुड़े दिलचस्प तथ्यों के लिए पढ़ते रहिए — Prativad.com पर।