टाटा स्टील ने कर्ज में डूबी अपनी ब्रिटेन स्थित अहम इकाइयों को बेचने का फैसला रद्द कर दिया है। कंपनी ने मैराथन बोर्ड मीटिंग के बाद कहा कि हमने महत्वपूर्ण इकाइयों को बेचने की योजना टाल दी है और लागत को 100 मिलियन पाउंड तक कम करने का फैसला लिया गया है। ब्रिटेन की दिग्गज स्टील कंपनियों में शुमार टाटा का यह फैसला ब्रिटेन के व्यापार मंत्री साजिद जाविद के मुंबई में कंपनी के चेयरमैन साइरस मिस्त्री से बातचीत के बाद आया है।
कंपनी के बोर्ड की मासिक बैठक के बाद यह ऐलान किया गया है। ब्रिटिश व्यापार मंत्री ने दिल्ली में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मुलाकात की। कंपनी की घाटे में चल रही यूनिट पर ब्रिटिश पेंशन स्कीम की बड़ी राशि बकाया है। कंपनी पर करीब 1.4 लाख कर्मचारियों का पैसा पेंशन स्कीम के तहत बाकी है, इनमें वर्तमान और पूर्व कर्मचारी दोनों शामिल हैं।
पेंशन स्कीम की कुल पूंजी 13.5 बिलिनय पाउंड है। फिलहाल उसका घाटा 500 मिलियन पाउंड के करीब है। ट्रस्ट इस राशि को कई आर्थिक योजनाओं में निवेश करेगा और इसमें होने वाले घाटे को टाटा स्टील को वहन करना होगा।
ब्रेग्जिट के फैसले के बाद से ब्रिटिश पाउंड 31 साल के निचले स्तर पर है। ऐसे में यदि पाउंड का अवमूल्यन और बढ़ता है तो टाटा स्टील का पेंशन में योगदान और बढ़ेगा। इस बीच टाटा स्टील और जर्मनी की कंपनी थिसेनकर्प के बीच नीदरलैंड में कंपनी के बिजनेस को 50-50 के अनुपात में चलाने की बातचीत चल रही है। टाटा स्टील के यूरोप ऑपरेशंस में यूके और नीदरलैंड में चल रही यूनिट्स शामिल हैं।
टाटा स्टील नहीं बेचेगी ब्रिटिश बिजनेस यूनिट्स..
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