29 अक्टूबर 2017। पुलिस या राजस्व विभाग के कर्मचारी जब पक्षकारों को नोटिस तामील कराने जाते हैं तो वह या तो पक्षकार द्वारा लिए नहीं जाते या फिर पता गलत हो जाता है। ऐसे में गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद ही पक्षकार जागता है। इस दौरान केस पेंडिंग ही पड़ा रहता है। भू-राजस्व संहिता में नोटिस तामीली की प्रक्रिया को भी अत्याधुनिक बनाया जाए। प्रकरणों की गति बढ़ाने के लिए ई-मेल, वॉटसएप व एसएमएस मैसेज द्वारा नोटिस तामील कराए जाए। यह सुझाव अपर लोक अभियोजन अधिकारी अनिल शुक्ला सहित अन्य सरकारी व निजी वकीलों ने मध्यप्रदेश भूमि प्रबंधन विधेयक को लेकर कलेक्टर कार्यालय में आयोजित एक बैठक में दिए।
वकील सैयद खालिद कैस ने धारा-250 के तहत कब्जा के प्रकरणों में आदेश होने पर उसका पालन न होने के संबंध में कहा कि इस धारा को और प्रभावी बनाया जाए, ताकि राजस्व अधिकारियों के आदेश का पालन जमीनी स्तर पर हो सके तथा कब्जेधारक को आदेश के बाद उस जमीन को हर हाल में छोडऩा पड़े। बैठक में कलेक्टर सुदाम खाड़े सहित सरकारी व निजी वकील के साथ-साथ सभी सर्किलों के एसडीएम व तहसीलदार मौजूद थे। ज्ञात हो कि मप्र भू-राजस्व सहिंता 1959 के स्थान पर सरकार मप्र भूमि प्रबंध (विधेयक) अधिनियम के नया प्रारूप तैयार कर रही है। इसके लिए वह सभी से सुझाव ले रही है।
सुझाव के लिए मांगा सात दिन
कलेक्टर कार्यालय में सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक में सुझाव देने के लिए कलेक्टर ने 100 सवालों की सूची वाला दस्तावेज भी बांटा। यह सवाल धाराओं को लेकर थे। वकीलों ने बैठक में साफ कहा कि आपने बैठक रख ली और सवालों का पर्चा उसी में दे रहे हैं। हम कैसे सुझाव देंगे। सभी अधिवक्ताओं से एक साथ मिलकर कहा कि उन्हें भू-राजस्व संहिता में संशोधन को लेकर पूछे गए सभी सवालों में संशोधन के आधार पर जवाब बनाने में समय लगेगा। सात दिन के भीतर सभी अपने अपने जवाब रूपी सुझाव कलेक्टर कार्यालय में जमा करा देंगे। कलेक्टर ने 7 दिन का समय देते हुए बैठक को खत्म कर दिया।
ये भी दिए सुझाव
हाईकोर्ट व सिविल कोर्ट की तरह ही राजस्व कोर्ट में फायलिंग सेंटर बनाया जाए। उसमें आवेदन व अनावेदक के मोबाइल नंबर, आधार नंबर व पता दर्ज हो। इसी प्रकार एमपी एलआरसी की धारा-50 के निगरानी प्रकरणों की सुनवाई राजस्व मंडल कार्यालय में होती है। इससे वहां पेंडेंसी लगातार बढ़ रही है। इसे कम करने के लिए वर्ष 2011 की व्यवस्था को पुन: बहाल किया जाए। अपर कलेक्टर व संभागायुक्त को ही निगरानी प्रकरणों की सुनवाई करने दी जाए।
भू- राजस्व संहिता में हो ई-नोटिस तामिली, धारा 250 को बनाया जाए और प्रभावी
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Bhopal 👤By: PDD Views: 34223
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