भोपाल मंथन 2025: राष्ट्रवाद और सनातन धर्म पर मंथन, देशभर के विद्वानों ने रखे विचार

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 396

23 मार्च 2025। कुशाभाऊ ठाकरे फाउंडेशन द्वारा आयोजित "भोपाल मंथन 2025" नामक एक दिवसीय वैचारिक महाकुंभ ने शहर के बुद्धिजीवियों और विचारकों को एक मंच पर लाकर राष्ट्रवाद, सनातन धर्म और समृद्ध भारत जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा की। इस कार्यक्रम में देशभर से आए 20 से अधिक प्रमुख वक्ताओं ने अपने विचारों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम का उद्घाटन मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने किया, जिन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे के योगदान को याद करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन वर्तमान भारत के विकास में बाधा बनने वाली तथाकथित लिबरल मानसिकता को उजागर करने का काम कर रहे हैं। खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने "व्यक्ति निर्माण" पर जोर देते हुए कहा कि देश के विकास के लिए आदर्श नागरिकों का निर्माण आवश्यक है।

राष्ट्ररत्न सम्मान से विभूतियों का सम्मान:
उद्घाटन सत्र में चार विभूतियों को कुशाभाऊ ठाकरे राष्ट्ररत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। इनमें कारगिल युद्ध में वीरता दिखाने वाले रिटायर्ड लांस नायक दीपचंद जी, अयोध्या के श्रीरामलला के वस्त्रों को डिजाइन करने वाले मनीष त्रिपाठी जी, संगीत शिक्षिका योगिता तांबे, और दिव्यांग अधिकार समर्थक अनंत वैश्य जी शामिल थे।

सनातन धर्म और राष्ट्रवाद पर गहन चर्चा:
साध्वी सरस्वती ने "सनातन धर्म: भारत की आत्मा और विश्व पर प्रभाव" विषय पर बोलते हुए कहा कि भारत की संस्कृति और धर्म का वैश्विक प्रभाव बढ़ रहा है, और हमें अपनी धरोहरों को संरक्षित करना चाहिए। उन्होंने मंदिरों के पुनर्निर्माण और हिन्दू एकता की आवश्यकता पर भी बल दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने "एक राष्ट्र, एक चुनाव" को लागू करने की कठिनाइयों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह धारा 370 हटाने जितना ही चुनौतीपूर्ण है। फैशन डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने मंदिरों के लिए ध्वज बनाने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

विभिन्न विषयों पर विचार:
कार्यक्रम में "सोरोस की कथा और भारत के खिलाफ गहरी साजिश" पर प्रियंक कानूनगो ने डीप स्टेट के प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। अभिनेत्री भाषा सुम्बली और फिल्म निर्माता देवेंद्र मालवीय ने भारतीय सिनेमा में राष्ट्रवादी विषयों की महत्वपूर्णता पर चर्चा की। नीरज अत्री और नाजिया इलाही खान ने "गंगा-जमुनाई तहजीब" पर अपने विचार रखे और मदरसों की शिक्षा को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।

इस वैचारिक महाकुंभ ने विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श का मंच प्रदान किया और देश को सही दिशा में ले जाने के लिए राष्ट्रीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया।

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