उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने की इजाजत

Place: Bhopal                                                👤By: prativad                                                                Views: 2730

27 मार्च 2023। उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों का सोमवार को रास्ता साफ हो गया। यह देखते हुए कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के मुद्दे की जांच के लिए गठित एक समर्पित आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट दे दी है, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी।

भारत के मुख्य न्यायाधीश(सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि हमारे आदेश के बाद यूपी सरकार ने यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। पीठ ने आदेश में नोट किया, 'हालांकि आयोग का कार्यकाल छह महीने का था, इसे 31 मार्च, 2023 तक अपना कार्य पूरा करना था लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि आयोग की रिपोर्ट नौ मार्च को प्रस्तुत कर दी गई है। स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अधिसूचना जारी करने की कवायद जारी है और इसे दो दिनों में जारी किया जाएगा।'

कोर्ट ने यह स्पष्ट करते हुए मामले का निस्तारण कर दिया कि उसके आदेश में दिए गए निर्देशों को मिसाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इस महीने की शुरुआत में जस्टिस (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह, जिन्होंने आयोग का नेतृत्व किया, और चार अन्य सदस्य - सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार, और पूर्व अतिरिक्त कानून सलाहकार संतोष कुमार विश्वकर्मा और ब्रजेश कुमार सोनी ने मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और उन्हें रिपोर्ट सौंपी थी। वहां पर शहरी विकास मंत्री एके शर्मा और शहरी विकास विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।

75 जिलों का दौरा करने के बाद तैयार हुई रिपोर्ट
जानकारी के मुताबिक, आयोग ने तीन महीने से भी कम समय में राज्य के सभी 75 जिलों का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है। यह बताया गया कि आयोग ने 5 दिसंबर, 2022 को अधिसूचित शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर कई विसंगतियां पाईं और उन्हें हटाने की सिफारिश की है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगा दी थी
चार जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण दिए बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनावों को आगे बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग को दिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने तब कहा था कि नगरपालिकाओं का लोकतंत्रीकरण करना और अनुच्छेद- 243टी के तहत नगरपालिकाओं की संरचना में सही प्रतिनिधित्व देना, दोनों ही संवैधानिक आदेश हैं।

फिर समर्पित आयोग का गठन किया गया
उत्तर प्रदेश सरकार ने तब कहा था कि उसने ओबीसी के प्रतिनिधित्व के लिए डेटा एकत्र करने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन किया है। हाईकोर्ट का 27 दिसंबर, 2022 का आदेश उन याचिकाओं पर आया था, जिनमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन किए बिना ओबीसी आरक्षण के मसौदे को तैयार करने को चुनौती दी गई थी।

मई, 2022 में शीर्ष अदालत ने 'के कृष्ण मूर्ति व अन्य बनाम भारत संघ और अन्य' (2010) में संविधान पीठ के फैसले का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण प्रदान करने से पहले 'ट्रिपल टेस्ट' शर्तों को पूरा करना होगा। इसके तहत पिछड़ेपन पर अनुभवजन्य डेटा एकत्र करने के लिए एक समर्पित आयोग स्थापित करने, आयोग की सिफारिशों के आलोक में स्थानीय निकाय में आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करने और आरक्षण 50 फीसदी (एससी, एसटी और ओबीसी को मिलाकर) से अधिक नहीं होने की शर्तें हैं।

मुख्यमंत्री योगी ने कही यह बात
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा ओबीसी आयोग की रिपोर्ट स्वीकार कर ओबीसी आरक्षण के साथ नगरीय निकाय चुनाव कराने का आदेश स्वागत योग्य है। विधि सम्मत तरीके से आरक्षण के नियमों का पालन करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार समयबद्ध ढंग से नगरीय निकाय चुनाव कराने हेतु प्रतिबद्ध है।


Latest UP News, UP News, Up News In Hindi, Latest Uttar Pradesh Samachar, यूपी न्यूज़, उ प्र न्यूज़, यूपी समाचार, prativad.com


Related News

Global News


Settings
Demo Settings
Color OptionsColor schemes
Main Color Scheme     
Links Color     
Rating Stars Color     
BackgroundBackgorund textures
Background Texture          
Background Color     
Change WidthBoxed or Full-Width
Switch Page WidthFull-WidthBoxed-Width