
7 अगस्त 2024। भारतीय महिला कुश्ती के उभरते सितारे विनेश फोगाट का पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का सपना अधूरा रह गया है। 6 अगस्त को 50 किग्रा फ्रीस्टाइल इवेंट के सेमीफाइनल में क्यूबा की रेसलर को हराकर उन्होंने फाइनल में प्रवेश किया था, लेकिन वजन में मामूली अंतर के कारण उन्हें प्रतियोगिता से अयोग्य घोषित कर दिया गया।
फोगाट परिवार: छह बहनों की कहानी
विनेश फोगाट, फोगाट परिवार की छह प्रतिभाशाली बहनों में से एक हैं। इस परिवार ने भारतीय कुश्ती में एक क्रांति ला दी है। गीता और बबीता फोगाट ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था। अब विनेश ने भी इस परिवार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
पिता का सपना
फोगाट परिवार के पिता महावीर सिंह फोगाट ने अपनी बेटियों को कुश्ती के लिए प्रेरित किया। उन्होंने एक छोटे से गांव में रहते हुए अपनी बेटियों को विश्व स्तर की पहलवान बनाया। महावीर सिंह का सपना था कि उनकी बेटियां देश के लिए कुछ करें और उन्होंने इस सपने को साकार किया।
भारत के लिए गौरव का क्षण
विनेश फोगाट का ओलंपिक में पहुंचना भारत के लिए गौरव का क्षण था। उन्होंने न केवल महिला कुश्ती में भारत का नाम रोशन किया था बल्कि उन्होंने लाखों युवाओं को प्रेरित किया था। विनेश की इस उपलब्धि ने साबित कर दिया था कि भारत की बेटियां किसी से कम नहीं हैं।
अनपेक्षित अंत
हालांकि, विनेश का ओलंपिक सफर अप्रत्याशित रूप से समाप्त हो गया। वजन में मामूली अंतर के कारण उन्हें प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा। यह खबर पूरे देश के लिए एक झटका थी।
आने वाले समय की उम्मीदें
विनेश फोगाट के पास अभी भी कई और अवसर हैं। उनकी इस असफलता से वह और मजबूत बनकर उभरेंगी। हम सभी को उन्हें इस मुश्किल समय में अपना समर्थन देना चाहिए।
फोगाट परिवार की कहानी भारतीय कुश्ती के लिए एक प्रेरणा है। इस परिवार ने साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। विनेश फोगाट की सफलता ने भारतीय महिलाओं को सशक्त बनाया है और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया है।