साइबर युद्ध ने अपने सैद्धांतिक अशुभ को विकसित किया है। यूरोप में एक टेक गणराज्य जो एक रक्षकों का दल हैं जो हैकरों से युद्ध कर रहा हैं और उन हैकरों से युद्ध कर दुनिया के कई राष्ट्रों की रक्षा कर है और वही उन्हें अपनी रक्षा करने के लिए तैयार भी कर रहे हैं।
एस्तोनिया की राजधानी टालिन के एक उपनगर में एक गुप्तचर टावर ब्लॉक से संचालित रक्षकों की टीम एक असली साइबर डेफेंस अभ्यास में हिस्सा लेती हैं जिसका उद्देश्य असली चीज़ से निपटने के लिए तैयारी करना है।
नाटो से संबद्ध साइबर रक्षा थिंक टैंक द्वारा आयोजित दो दिवसीय अभ्यास किया गया, इस अभ्यास में पीसी और सर्वर से लेकर एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम की तकनीक की रक्षा के लिए इन टीमों के कौशल का परीक्षण किया गया।
जैसे हमारे सभी बुनियादी ढांचो पर हैकर हमला कर रहे हो और हमें उस की रक्षा करना हो। वास्तविक जीवन में आप हर दिन दो हजार साइबर हमलों को कभी नहीं देख पाते हैं इसलिए जाहिर है कि यह एक कठिन और बहुत की गोपनीय काम होता हैं जिसके बारे में आप को कभी पता नहीं चल पाता है।
इसी तरह लॉक शील्ड टीम का अभ्यास 2010 से चल रहा है, यह टीम कहीं यूरोप के पूर्व में स्थित है।
लॉक शील्ड का संचालन नाटो के सहकारी साइबर डिफेंस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीसीडी सीओओई) द्वारा किया जाता है और बिल को खुद को सबसे बड़ा और सबसे जटिल अंतरराष्ट्रीय तकनीकी नेटवर्क रक्षा अभ्यास के रूप में पेश करता है। इसमें 25 देशों के 900 प्रतिभागियों को शामिल किया गया है। इस साल 18 राष्ट्रीय टीमें थीं, साथ ही नाटो से ही एक टीम साइबर युद्ध लड़ रही रही है।
हाल के वर्षों में इस तरह के अभ्यास बड़े पैमाने पर बढ़ रहे हैं, क्योंकि यह स्पष्ट हो गया है कि साइबर युद्ध काफी हद तक सैद्धांतिक से चिंताजनक रूप से होने की संभावना है।
दुनिया भर की कई सरकारें अब डिजिटल सिस्टम पर युद्ध के लिए अपनी क्षमता का निर्माण करने पर बड़ी रकम खर्च कर रही हैं, अमेरिका, रूस और चीन के साथ उनकी क्षमताओं में सबसे उन्नत के रूप में देखा जा रहा है। पश्चिमी यूक्रेन में पावर ग्रिड पर 2015 के हैकिंग हमले के रूप में घटनाएं, जिसने सैकड़ों हजारों घरों को अंधेरे में कर दिया था। पावर ग्रिड जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के खिलाफ डिजिटल हमलों का उपयोग कर हैकरों ने अपनी प्रभावशीलता दिखाई थी।
टीमों को आपके पीसी, मैक, लिनक्स, और ईमेल और फाइल सर्वर सहित सब कुछ का बचाव करना होता हैं। उन्हें उन प्रणालियों की भी रक्षा करनी होगी जो बिजली ग्रिड को नियंत्रित करते हैं और सैन्य हवाई संचालन की योजना बनाते हैं, जिसमें सेना के निगरानी ड्रोन और एयर बेस के ईंधन आपूर्ति से जुड़े प्रोग्राम योग्य तर्क नियंत्रकों शामिल हैं। इसका उद्देश्य इस विचार को सुदृढ़ करना है कि नेटवर्क के अंदर या बाहर हर एक सिस्टम हमलावरों के लिए सिस्टम में अंदर आने के लिए कोई बिंदु न मिले।
तकनीकी और छोटे स्तर पर आपको मैलवेयर जैसी चीजों के बारे में चिंतित होते है कि कोई आपकी वेबसाइट को डिफिल्ड कर रहा है, पर आप के शहर, प्रदेश और देश के पूरे पावर सिस्टम में हैकर फेल कर दें तो उसे वास्तविक जीवन में बल या सशस्त्र हमले का इस्तेमाल माना जाएगा।
हैकरों से हमें सिर्फ सर्वरों या पीसी के एक सेट की रक्षा करने की कोशिश नहीं करना हैं,
बल्कि वे सभी ऑनलाइन सेवाओं पर निर्भर होने वाले लोगों और देश की सभी ऑनलाइन सेवाओं की रक्षा भी करनी होगी, जब देश का जीवन ऑनलाइन होने जा रहा हो।
भारत में साइबर युद्ध से होने वाले डिजिटल सर्वनाश से निपटने की कितनी तैयारी हैं उस पर ही अब हमारा भविष्य निर्भर करेगा।
साइबर युद्ध से डिजिटल सर्वनाश को रोकने के लिए ...
Place:
New Delhi 👤By: PDD Views: 28820
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