
31 मार्च 2025। । Prativad Digital Desk आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में चीन ने एक बड़ा कदम बढ़ा लिया है। अब केवल सुपरपावर देश ही नहीं, बल्कि कई बड़ी टेक कंपनियां और राष्ट्र AI युद्ध शक्ति में बढ़त हासिल करने की दौड़ में शामिल हो चुके हैं।
◼ AI आधारित सैन्य तकनीक का विस्तार
चीन तेजी से AI संचालित ड्रोन और ह्यूमनॉइड रोबोट विकसित कर रहा है, जो भविष्य के युद्धों की तस्वीर को पूरी तरह बदल सकते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ने "कामिकाज़े ड्रोन" के रूप में एक मिलियन स्वायत्त ड्रोन तैयार करने की योजना बनाई है, जो अपने लक्ष्य को खुद ही पहचान सकते हैं और हमला कर सकते हैं। इसी तरह, अमेरिका भी अपनी ‘रिप्लिकेटर’ परियोजना के तहत हजारों AI ड्रोन तैयार कर रहा है।
◼ AGI और सैन्य रणनीति में बड़ा बदलाव
AI के सबसे उन्नत रूप, आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI), को विकसित करने की होड़ लगी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जो भी देश पहले AGI को हासिल करेगा, वह न केवल आर्थिक बल्कि सैन्य रूप से भी बाकी देशों से आगे निकल जाएगा। टेक दिग्गज जैसे OpenAI, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और टेस्ला इस दिशा में अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं।
◼ स्वायत्त AI हथियारों का खतरा
AI के इस तेज विकास ने कई विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। स्वायत्त हथियार, जो बिना मानव नियंत्रण के भी लक्ष्य को पहचानकर हमला कर सकते हैं, वैश्विक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। खासतौर पर, चीन और अमेरिका के बीच इस तकनीक को लेकर बढ़ती प्रतिस्पर्धा नए सैन्य संघर्ष को जन्म दे सकती है।
◼ AI का दोहरा उपयोग: युद्ध और पर्यावरण
जहां एक ओर AI सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग हो रहा है, वहीं दूसरी ओर चीन इसका उपयोग पर्यावरणीय परियोजनाओं में भी कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने AI संचालित ड्रोन का उपयोग करके 142.6 अरब पेड़ों की गिनती की और वनीकरण परियोजनाओं के तहत बीजों का छिड़काव किया। इससे पता चलता है कि AI तकनीक विनाशकारी हथियारों के साथ-साथ पर्यावरण सुधार में भी उपयोगी हो सकती है।
◼ भविष्य की चुनौती: AI आधारित युद्ध?
अमेरिका ने हाल ही में चीन की 80 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया है ताकि उसे उन्नत AI चिप्स और तकनीक से दूर रखा जा सके। बावजूद इसके, चीन अपनी मजबूत सप्लाई चेन और निर्माण क्षमताओं के कारण लगातार उन्नति कर रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर इस रेस को नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले दशक में AI आधारित युद्ध की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
AI की इस तेज़ रफ्तार से दुनिया में एक नई जटिल स्थिति पैदा हो रही है। अगर यह तकनीक सही तरीके से नियंत्रित नहीं की गई, तो यह वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाल सकती है। सवाल यह है कि क्या AI मानवता के लिए वरदान बनेगा या वैश्विक युद्ध का कारण बनेगा? इसका उत्तर आने वाले वर्षों में स्पष्ट होगा।