18 अक्टूबर 2017। 58 साल पुऱानी मप्र भू-राजस्व संहिता 1959 खत्म होने जा रही है तथा इसका स्थान नया मप्र भूमि प्रबंधन अधिनियम लेगा। आगामी दिसम्बर माह तक इस नये कानून का प्रारुप तैयार हो जायेगा जिसे विधानसभा में विधेयक के रुप में प्रस्तुत किया जायेगा।
दरअसल मप्र राजस्व संहिता भी एक कानून ही है जो विधानसभा से पारित है। भारतीण दण्ड संहिता की तरह यह भी एक कानून है। इतने लम्बे अर्से में अब यह संहिता अप्रासांगिक हो गई है तथा इसमें लम्बे समय से परिवर्तन की मांग की जा रही थी। इसीलिये राज्य सरकार ने पहले 25 अगस्त 2015 को राज्य भूमि सुधार आयोग का गठन किया जिसे पांच बिन्दुओं पर अनुशंसायें देने का काम सौंपा गया। ये पांच बिन्दू हैं - एक, भूमियों के प्रभावी प्रबंधन के लिये आवश्यक विधिक संशोधन। दो, राजस्व प्रशासन को सुदृढ़ बनाने के उपाय। तीन, भूमि स्वामियों, पटेटेदारों एवं अन्य भूमिधारकों और प्रशासन के बीच संव्यवहार को सरल एवं नागरिकोन्मुखी बनाना। चार, राजस्व सेवाओं के प्रभावी प्रदाय के उपाय। पांच, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के भूमि स्वामियों, लघु एवं सीमांत कृषकों के हित संरक्षण के उपाय। आयोग अब तक दो प्रतिवेदन राज्य सरकार को सौंप चुका है जिनमें पहला राज्य में भूदान भूमियों और भूदान धारकों की स्थिति और भविष्य की दिशाके बारे में है जबकि दूसरा भूमि और राजस्व प्रशासन में सुधार के अंतर्गत राजस्व मंडल में सुधार से संबंधित है। नया भूमि प्रबंधन कानून भी इसी आयोग की अनुशंसा के तहत बन रहा है।
राज्य सरकार ने गत 27 सितम्बर 2017 को नया भूमि प्रबंधन अधिनियम तैयार करने के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। इसमें राज्य भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष इंद्र्रनील दाणी अध्यक्ष तथा अपर मुख्य सचिव संसदीय कार्य इकबाल सिंह बैंस तथा प्रमुख सचिव राजस्व अरुण पाण्डे सदस्य बनाये गये हैं जबकि सचिव राजस्व विभाग हरिरंजन राव सदस्य सचिव नियुक्त किये गये हैं। यह समिति अब विभागीय अधिकारियों के साथ बैठकें करेगी तथा विषय विशेषज्ञों/विधि वेत्ताओं को भी बैठकों में आमंत्रित करेगी जिसके लिये उन्हें यात्रा/ठहरने के व्यय एवं प्रति बैठक एक हजार रुपये की सिटिंग फीस का भी भुगतान करेगी। समिति ने नये कानून को बनाने के लिये 160 प्रश्नों की प्रश्नावली भी तैयार की है।
अशोक कुमार गुप्ता सदस्य सचिव राज्य भूमि सुधार आयोग भोपाल ने बताया कि मप्र भू-राजस्व संहिता को खत्म कर उसके स्थान पर नया भूमि प्रबंधन कानून अस्तित्व में आयेगा। इस हेतु समिति गठित हो गई है। कोशिश है कि दिसम्बर माह तक नये कानून का प्रारुप सरकार को सौंप दिया जाये।
- डॉ नवीन जोशी
58 साल पुरानी भू-राजस्व संहिता खत्म होगी, नया भूमि प्रबंधक कानून लेगा इसका स्थान
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Bhopal 👤By: DD Views: 31243
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