डॉ. मोहन यादव: मध्यप्रदेश के प्रगतिशील नेतृत्व की नई पहचान

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 6230

🔹 जन्मदिन विशेष

25 मार्च 2025। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का जीवन प्रेरणास्रोत है। शिक्षा, संस्कृति, राजनीति और जनसेवा के क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय यात्रा प्रदेश के विकास को नई दिशा देती है। उनके जन्मदिन के अवसर पर, आइए उनके व्यक्तित्व, योगदान और भविष्य की योजनाओं पर एक दृष्टि डालते हैं।

✅ प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. मोहन यादव का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, लेकिन उनकी ज्ञान की पिपासा और शिक्षा के प्रति समर्पण ने उन्हें असाधारण बना दिया। उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त कर अकादमिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा अर्जित की। इतिहास और संस्कृति में उनकी गहरी रुचि ने उन्हें प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर दिया।

✅ राजनीति में यात्रा और मुख्यमंत्री पद तक का सफर
छात्र जीवन से ही सामाजिक कार्यों में रुचि रखने वाले डॉ. मोहन यादव ने भारतीय जनता पार्टी में एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई। उनके संगठन कौशल, रणनीतिक सोच और जनसमस्याओं के प्रति संवेदनशीलता ने उन्हें प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया।

मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को मजबूत करने की दिशा में कई ऐतिहासिक फैसले लिए, जो अंततः उन्हें मुख्यमंत्री पद तक ले गए।

✅ प्रमुख उपलब्धियाँ और विकास कार्य
जल पुरुष डॉ. मोहन यादव का संकल्प: सिंचाई विकास में ऐतिहासिक पहल
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जल संसाधन के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। उनका संकल्प है कि प्रदेश के हर किसान के खेत तक पानी पहुंचे, जिससे राज्य की कृषि को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जा सके।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्वप्न को साकार करने हेतु केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजनाओं को गतिरोध से बाहर निकालने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी केन-बेतवा परियोजना का शिलान्यास किया, जो प्रदेश की पहली राष्ट्रीय नदी जोड़ो योजना है।

महाराष्ट्र के साथ ताप्ती मेगा रिचार्ज योजना को गति देकर मध्यप्रदेश सरकार जल संसाधनों के सतत विकास के लिए कार्य कर रही है। इन परियोजनाओं से प्रदेश में सिंचाई की सुविधाओं को अधिक बढ़ावा मिलेगा।

✅ मध्यप्रदेश: हरित और श्वेत क्रांति की ओर
✅ ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) भोपाल: ऐतिहासिक निवेश प्रस्ताव
भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) में निवेशकों ने कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादन क्षेत्रों में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्रस्तुत किए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे प्रदेश में हरित और श्वेत क्रांति के लिए एक मील का पत्थर करार दिया। उन्होंने कहा कि ये निवेश प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को वैश्विक 'फूड बास्केट' बनाने के संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

✅ मध्यप्रदेश जैविक खेती में अग्रणी
मध्यप्रदेश पहले ही देश का सबसे बड़ा जैविक खेती वाला राज्य बन चुका है। देश की कुल जैविक खेती में 40% योगदान देने वाला यह राज्य अब इस क्षेत्र का विस्तार कर 17 लाख हेक्टेयर से 20 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रख रहा है। सरकार किसानों को पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन के लिए निःशुल्क सोलर पंप उपलब्ध करा रही है।

राज्य में उद्यानिकी क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बीते वर्षों में बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 27 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 32 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इससे राज्य के फल एवं सब्जी उत्पादकों को भी बड़ा लाभ मिलेगा।

✅ दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनेगा मध्यप्रदेश
प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो चुका है। वर्तमान में यह देश के कुल दुग्ध उत्पादन में 9% का योगदान दे रहा है, जिसे 20% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि 'सांची' ब्रांड ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रतिदिन 591 लाख लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है, जिससे यह देश का तीसरा सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य बन गया है।

✅ खाद्य प्रसंस्करण और नवाचार में निवेश की बाढ़
जीआईएस-भोपाल में "सीड-टु-शेल्फ" थीम पर केंद्रित एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जहां निवेशकों ने प्रदेश की अपार संभावनाओं को पहचाना। राज्य में 8 फूड पार्क, 2 मेगा फूड पार्क, 5 एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर और एक लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना के तहत 930 करोड़ रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गई है।

वर्तमान में प्रदेश में 70 से अधिक बड़ी औद्योगिक इकाइयाँ और 3,800 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सक्रिय हैं, जो कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग को बढ़ावा दे रहे हैं।

शिक्षा, संस्कृति और अधोसंरचना में सुधार
✅ शिक्षा सुधार: तकनीकी शिक्षा को आधुनिक और डिजिटल बनाने के लिए नई पहल।
✅ संस्कृति और पर्यटन: प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयास।
✅ इन्फ्रास्ट्रक्चर और रोजगार: नई परियोजनाओं से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना।

✅ भविष्य की योजनाएँ और दृष्टिकोण
डॉ. मोहन यादव की दृष्टि मध्यप्रदेश को एक आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति केंद्र बनाने की है। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की उनकी परिकल्पना राज्य को समृद्ध और सशक्त बनाने की दिशा में अग्रसर कर रही है। उनका नेतृत्व प्रदेश की जनता में नई ऊर्जा और विश्वास का संचार कर रहा है।

उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर, हम उनके स्वस्थ, सुदीर्घ और सफल जीवन की कामना करते हैं।

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