जजों के वेतन बढ़ाने के लिये रेड्डी कमीशन नियुक्त, दो साल बाद आयेगी रिपोर्ट, तब बढ़ेंगे वेतन-भत्ते

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Place: Bhopal                                                👤By: PDD                                                                Views: 22532

23 नवंबर 2017। सुप्रीम कोर्ट, हायकोर्ट तथा अन्य अधीनस्थ न्यायालयों के जजों को अभी सातवें वेतनमान के समतुल्य वेतन एवं भत्ते प्राप्त करने के लिये दो साल से ज्यादा अवधि तक इंतजार करना होगा। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज पी वेंकटरामा रेड्डी की अध्यक्षता में जो नया राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग गठित किया है उसे रिपोर्ट देने के लिये 18 माह का समय दिया गया है जिसमें इससे अधिक समय भी लग सकता है। रिपोर्ट देने के बाद इसे केंद्र सरकार सभी राज्यों के पास उसकी सहमति हेतु भेजेगी तब जाकर जजों के वेतन एवं भत्तों में बढ़ौत्तरी होगी।



दरअसल पहले जजों के वेतन एवं भत्ते भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से जुड़े थे अर्थात जब-जब भी आईएएस के वेतन एवं भत्ते बढ़ते थे, जजों के भी वेतन एवं भत्ते बढ़ जाते थे। परन्तु वर्ष 1996 में केंद्र सरकार की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस व्यवस्था को बदल दिया तथा न्यायिक वेतन आयोग के माध्यम से वेतन एवं भत्ते बढ़ाने का प्रावधान कर दिया। इसीलिये पहला राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जगन्नाथ शेट्टी की अध्यक्षता में 21 मार्च 1996 को गठित किया जिसने तीन साल बाद 11 नवम्बर 1999 को अपनी रिपोर्ट दी थी।



इसके बाद जजों के वेतन एवं भत्ते बढ़ाने के लिये सदैव उच्चतम न्यायालय में याचिका लगी रही तथा अब पुन: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नया रेड्डी कमीशन गठित किया गया है। इसमें केरल हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आर बसंत को सदस्य बनाया गया है। यह आयोग जब तक अपनी सिफारिशें देगा तब तक सभी जजों को छठवें वेतन आयोग के समतुल्य वेतन एवं भत्ते मिलते रहेंगे यानि उन्हें केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मियों की तरह सातवें आयोग का लाभ नहीं मिलेगा।



एक न्यायिक अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2009 में मप्र के जजों के वेतन एवं भत्ते अंतरिम रुप से बढ़ाये जाने की स्वीकृति हुई थी परन्तु इस पर अमल नहीं हो पाया। अब नया रेड्डी कमीशन बना है जिसे 18 माह का समय रिपोर्ट देने हेतु दिया गया है परन्तु इससे अधिक समय भी लग सकता है। न्यायाधीशगण अपने वेतन एवं भत्तों में समय के साथ बढ़ौत्तरी में खामोश रहते हैं और सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में सदैव लगी याचिका के तहत कमीशन के माध्यम से ही इनके वेतन एवं भत्ते बढ़ पाते हैं।







- डॉ. नवीन जोशी

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