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भारत और पाकिस्तान ने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूचियों का आदान-प्रदान किया

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1078

3 जनवरी 2025। भारत और पाकिस्तान ने 1 जनवरी को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूचियों का आदान-प्रदान किया। यह प्रक्रिया 1988 में हस्ताक्षरित और 1991 में लागू हुए एक समझौते के तहत होती है, जो दोनों देशों को एक-दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले करने से प्रतिबंधित करता है। यह 34वां अवसर है जब दोनों देशों ने इस तरह की सूचियों का आदान-प्रदान किया है। पहली बार यह आदान-प्रदान 1 जनवरी, 1992 को हुआ था।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, "भारत और पाकिस्तान ने आज नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजनयिक चैनलों के माध्यम से परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूचियों का आदान-प्रदान किया।"

परमाणु शस्त्रागार का आंकलन
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2024 तक भारत और पाकिस्तान के पास क्रमशः 172 और 170 परमाणु हथियार हैं। SIPRI की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि दोनों देश बैलिस्टिक मिसाइलों पर कई वारहेड तैनात करने की क्षमता विकसित कर रहे हैं, जो पहले से ही अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, और यूके के पास है।

पाकिस्तान की क्षमताएं:
पाकिस्तान के पास छह परमाणु-सक्षम भूमि-आधारित बैलिस्टिक मिसाइल प्रणालियाँ हैं, जिनमें छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलें शामिल हैं।
"अबाबील" नामक मिसाइल कई स्वतंत्र लक्षित पुनः प्रवेश वाहनों (MIRV) को ले जाने में सक्षम है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का शस्त्रागार 2025 तक पाँचवें स्थान पर पहुँच सकता है, जिसमें लगभग 200 वॉरहेड होंगे।

भारत-पाक संबंधों में तनाव
1947 में स्वतंत्रता के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। विवादित कश्मीर क्षेत्र दोनों देशों के बीच संघर्ष का प्रमुख कारण है।

भारत ने पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
पाकिस्तान ने भारत पर कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद संबंध और खराब हो गए, जब भारत ने जवाबी कार्रवाई में बालाकोट में आतंकवादी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की। इसके बाद, भारत सरकार ने कश्मीर के विशेष संवैधानिक दर्जे को रद्द कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

यह आदान-प्रदान दिखाता है कि दोनों देशों के बीच परमाणु मुद्दों पर कम से कम एक न्यूनतम स्तर का संवाद कायम है, लेकिन व्यापक संबंधों में सुधार की संभावनाएं अब भी सीमित हैं।

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