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भारत-रूस: अटूट साझेदारी का अटूट रिश्ता

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 350

11 दिसंबर 2024। भारत और रूस के संबंध दशकों से भू-राजनीतिक बदलावों और समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। दोनों देशों की साझेदारी, खासकर रक्षा क्षेत्र में, विश्वास और सहयोग का मजबूत प्रतीक रही है। नई दिल्ली और मॉस्को ने वैश्विक मंचों पर हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है और आपसी सहयोग के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

रक्षा साझेदारी का मजबूत पुल
हाल ही में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मॉस्को यात्रा ने दोनों देशों की रक्षा साझेदारी को एक बार फिर से उजागर किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं दीं। रक्षा मंत्री ने कहा, "भारत और रूस की दोस्ती सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची और सबसे गहरे समुद्र से भी गहरी है।"

यात्रा के दौरान, राजनाथ सिंह ने रूस निर्मित युद्धपोत आईएनएस तुशील के कमीशनिंग समारोह में भी भाग लिया। यह उन्नत युद्धपोत भारतीय नौसेना की हिंद महासागर में संचालन क्षमता को और मजबूत करेगा। साथ ही, उन्होंने भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य और तकनीकी सहयोग आयोग (IRIGC-M&MTC) की बैठक की सह-अध्यक्षता की, जिसमें रक्षा परियोजनाओं और सैन्य-से-मिलिटरी सहयोग पर चर्चा हुई।

एस-400 और रणनीतिक रक्षा उपकरण
रूस से एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली की खरीद भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाई पर ले गई है। इस 5.43 बिलियन डॉलर के सौदे से भारत ने अमेरिका के CAATSA अधिनियम को नज़रअंदाज़ कर एक साहसिक कदम उठाया। हालांकि, पश्चिमी प्रतिबंधों और यूक्रेन संघर्ष के कारण मौजूदा रूसी हथियारों के रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की खरीद में चुनौतियां सामने आई हैं।

ऐतिहासिक संबंधों की जड़ें
भारत और रूस के संबंध 1947 से ही गहरे रहे हैं। सोवियत संघ के समय में भारत ने मिग-21 जैसे विमान, युद्धक टैंक, पनडुब्बियां, और अन्य सैन्य उपकरण प्राप्त किए। शीत युद्ध के दौरान, दोनों देशों ने एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी बनाई, जो सोवियत संघ के विघटन के बाद भी रूस के साथ बनी रही।

रूस ने हमेशा भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के हितों का समर्थन किया है। ब्रिक्स, जी20, और एससीओ जैसे वैश्विक संगठनों में भी दोनों देशों का सहयोग जारी है।

‘मेक इन इंडिया’ में रूस की भूमिका
भारत के रक्षा उत्पादन में रूस का योगदान असाधारण रहा है। रूसी तकनीकी सहयोग से भारत ने मिग-21, मिग-27, सुखोई Su-30MKI, टी-72 और टी-90S जैसे अत्याधुनिक उपकरण बनाए। इसके अलावा, भारत का मिसाइल कार्यक्रम भी रूस की मदद से विकसित हुआ।

नई दिल्ली और मॉस्को के बीच सहयोग केवल रक्षा तक सीमित नहीं है। दोनों देश असैन्य परमाणु ऊर्जा, आतंकवाद विरोधी रणनीतियों, और अंतरिक्ष अनुसंधान में भी सहयोग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी रूस यात्रा और राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा इस संबंध को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।

भारत और रूस के रिश्ते समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और आने वाले वर्षों में यह साझेदारी और भी गहरी होगी। यह सहयोग न केवल द्विपक्षीय स्तर पर बल्कि वैश्विक संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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