इलेक्ट्रॉनिक अंग वालों का बायोनिक ओलंपिक

News from Bhopal, Madhya Pradesh News, Heritage, Culture, Farmers, Community News, Awareness, Charity, Climate change, Welfare, NGO, Startup, Economy, Finance, Business summit, Investments, News photo, Breaking news, Exclusive image, Latest update, Coverage, Event highlight, Politics, Election, Politician, Campaign, Government, prativad news photo, top news photo, प्रतिवाद, समाचार, हिन्दी समाचार, फोटो समाचार, फोटो
Place: रीयो डी जेनेरो                                                👤By: Digital Desk                                                                Views: 23317

ब्राज़ील के शहर रीयो डी जेनेरो मे ग्रीष्मकालीन ओलंपिक संपन्न हुआ. अब वहीं सात सितंबर से पैरालंपिक शुरू हुआ है जो 18 सितंबर तक चलेगा.

लेकिन, स्विटज़रलैंड के शहर ज़्यूरिख़ में इससे थोड़ा हट कर एक अनूठे किस्म के खेलों के आयोजन की तैयारियां इन दिनों जोरों पर हैं.

इसे 'बायोनिक ओलंपिक' कहा जा रहा है. इस साइबेथेलॉन में पूरी दुनिया की प्रॉस्थेटिक तकनीक की बेहतरीन खोजों को भी एक जगह पेश किया जाएगा.



अक्तूबर में होने वाले इस खेल में वे लोग भाग ले सकेंगे, जो रोबोटिक अंग, इलेक्ट्रॉनिक बाहों या बिजली से चलने वाले व्हीलचेयर वगैरह का इस्तेमाल करते हैं.

यह दुनिया का पहला साइबेथेलॉन है.



इसके आयोजकों का मक़सद यह साबित करना है कि नई तकनीक की मदद से लोगों की ज़िंदगी किस तरह आसान हो गई है.

इसमें ब्रिटेन की छह टीमों समेत दुनिया की 50 टीमें भाग लेंगी. इनमें ब्रेड के टुकड़े काटना, सीढियां चढ़ना, धुले कपड़े सुखाना जैसे खेल होंगे.



प्रॉस्थेटिक बांह लगाने वाले केविन एवीसन लंदन के इम्पीरियल कॉलेज विश्वविद्यालय की टीम का हिस्सा होंगे.

वो कहते हैं, "लंदन पैरालंपिक की कामयाबी की वजह से विकलांगों का खेल लोगों की नज़र में है. पर लोगों ने यह नहीं देखा है कि विकलांगकता या शारीरिक कमज़ोरी की वजह से लोगों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कितनी दिक्क़तें होती हैं."



उन्होंने कहा, "साइबेथेलॉन पूरी दुनिया की प्रॉस्थेटिक तकनीक की बेहतरीन खोजों को एक जगह पेश करेगा. इससे इन्हें विकसित करने वाली प्रयोगशालाओं और कंपनियों की बीच प्रतिस्पर्धा भी होगी."



तक़रीबन 29 साल पहले एक हादसे के बाद लकवे का शिकार हुए डेविड रोज़ ब्रेनस्टॉर्मर टीम की ओर से 'बायोनिक ओलंपिक' मे भाग लेंगे. वो सिर्फ़ अपने दिमाग की तरंगों से कंप्यूटर खेल को नियंत्रित करने की कोशिश करेंगे.

वे ब्रेन इंटरफ़ेस रेस की तैयारी दो साल से कर रहे हैं.



स्विटज़रलैंड का विश्वविद्यालय ईटीएच ज़्यूरिख़ इस साइबेथेलॉन का आयोजन कर रहा है.

एसेक्स यूनिवर्सिटी टीम की नेता एना मेट्रन-फ़र्नांडीज़ कहती हैं, "समस्या यह है कि तमाम प्रयोग उन लोगों पर किए गए हैं, जो विकलांग नहीं हैं. डेविड जैसे लोग, जिनके दिमाग ने कई साल से पैर नहीं हिलाया है, अब कुछ और करेंगे."



ईटीएच ज़्यूरिख़ विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर रॉबर्ट रीनर के मन में सबसे पहले साइबेथेलॉन का विचार आया. नकली बांह का इस्तेमाल करने वाले अपने एक परिचित से बातचीत के बाद उन्होंने इस पर गंभीरता से सोचना शुरू किया.



रीनर कहते हैं, "उस आदमी को सिनेमा के टिकट खरीदने के लिए लाइन में खड़े खड़े अपना पर्स निकालने में दिक्क़त होती थी और शर्म भी आती थी. मुझे महसूस हुआ कि मौजूदा तकनीक पूरी तरह विकसित नहीं है. मैंने एक प्रतिस्पर्धा आयोजित करने का मन बनाया ताकि लोगों को प्रयोगशालाओं से बाहर निकल मरीजों के बीच जाकर बेहतर उपाय खोजने की प्रेरणा मिले."

अगले साल साइबेथेलॉन का आयोजन ब्रिटेन में होगा.



यदि अक्तूबर में होने वाला आयोजन कामयाब रहा तो एल्सबरी के नज़दीक स्टोक मैंडविल अस्पताल में इसके बाद का आयोजन किया जाएगा.

यह वही अस्पताल है जिसने पैरालंपिक शुरू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.





-बीबीसी

Related News

Global News