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डिमेट घोटाला से सबक : अब भरना होगा सीट लिविंग बाण्ड

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Place: भोपाल                                                👤By: Digital Desk                                                                Views: 18720

सितम्बर 16, 2016। राज्य सरकार ने डिमेट घोटाला से सबक लेते हुये निजी मेडिकल और डेंटल कालेजों में एमबीबीएस एवं बीडीएस में प्रवेश के समय सीट लिविंग बाण्ड भरवाये जाने का नया प्रावधान कर दिया है। इनमें प्रवेश अब केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट से होगा जिसमें आरक्षण के नियमों का भी पालन करना होगा। डिमेट कांड में सामने आया था कि प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद अभ्यर्थी किसी दूसरे के लिये कालेज की सीट छोड़ देते थे तथा ऐसी सीट मंहगे दामों पर किसी दूसरे को दे दी जाती थी।



राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी नये नियमों के अनुसार, अब प्रवेश परीक्षा के बाद आवंटित सीट पर प्रवेश लेने के पश्चात अभ्यर्थी को शपथ-पत्र प्रस्तुत करना होगा कि वह प्रवेशित सीट पर अध्ययनरत होकर पाठ्यक्रम पूर्ण करेगा तथा एक सीट लीविंग बाण्ड निष्पादित करेगा कि यदि वह एमपी स्टेट कोटे की काउन्सिलिंग के अंतिम चरण के अंतिम दिन को सायं 5 बजे के पश्चात अथवा पाठ्यक्रम पूर्ण होने के पूर्व कभी भी किसी भी कारण से सीट त्याग देता ैि अथवा उसे पाठ्यक्रम से निष्कासित किया जाता है तो एमबीबीएस/बीडीएस प्रवेशित अभ्यर्थी, आर्थिक दण्ड स्वरुप, पाठ्यक्रम की शेष रही अवधि का पूर्ण शैक्षणिक शुल्क के बराबर शुल्क संबंधित कालेज को जमा करेगा अन्यथा भू-राजस्व बकाया की तरह वसूली की जायेगी तत्पश्चात ही अभ्यर्थी को उसके मूल दस्तावेज वापस किये जायेंगे। इसके अतिरिक्त एमबीबीएस प्रवेशित अभ्यर्थी को अगले तीन वर्षों तक राज्य के किसी भी चिकित्सा कालेज में प्रवेश की पात्रता नहीं होगी।



इसके अलावा नये नियमों में यह भी प्रावधान किया गया है कि अभ्यर्थी जिसका एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश राज्य स्तरीय संयुक्त काउन्सिलिंग के माध्यम से हुआ है, उसे एक ग्रामीण सेवा बाण्ड का निष्पादन करना होगा कि वह इंटर्नशिप पूर्ण होने के पश्चात मप्र शासन की सेवा में रहकर शासन द्वारा निर्दिष्ट स्थान पर निश्चित समय तक कार्य करेगा। बाण्ड की राशि अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी हेतु 5 लाख रुपये होगी तथा अजाजजा एवं ओबीसी वर्ग (क्रिमीलेयर को छोड़कर) के अभ्यर्थी हेतु बाण्ड की राशि 3 लाख रुपये होगी।

विभाग के अनुसार, अब निजी मेडिकल एवं डेंटल कालेजों में प्रवेश परीक्षा से उत्तीर्ण करने के बाद आवंटित सीट नहीं छडोड़ी जा सकेगी अन्यथा अभ्यर्थी को पूरे शिक्षण शुल्क की वसूली सीट लिविंग बांड के जरिये की जायेगी।





- डा.नवीन जोशी

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