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सिंगापुर फेशियल वेरिफिकेशन से नागरिकों की पहचान करने वाला दुनिया का पहला देश बना

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Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 27075

सिंगापुर दुनिया का पहला ऐसा देश होगा जो अपने यहाँ नेशनल आइडेंटिटी स्कीम के तहत फेशियल वेरिफिकेशन को अपनाने वाला है.

इस बॉयोमेट्रिक सुविधा का इस्तेमाल सिंगापुर के लोग निजी और सरकारी सेवाओं को प्राप्त करने में कर सकते हैं.

सरकार की टेक्नॉलॉजी एजेंसी का कहना है कि यह देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था का 'आधार' होगा. इसे बैंकिंग सेवा के साथ जोड़ दिया गया है और अब इसे देश भर में शुरू किया जा रहा है. यह सिर्फ़ किसी शख़्स की पहचान ही नहीं करता बल्कि यह निश्चित करता है कि वे वास्तव में वहाँ मौजूद भी है.

ब्रितानी कंपनी आईप्रूव के संस्थापक और चीफ़ एग्जीक्यूटिव एंड्रयू बड का कहना है, "आपको यह बात पक्की करनी होगी कि कोई शख़्स वाकई में मौजूद है ना कि किसी तस्वीर, वीडियो या फिर रिकॉर्डिंग का सहारा लिया जा रहा है तो यह तकनीक इसे सुनिश्चित करती है."

इस तकनीक को देश के डिजिटल आइडेंटिटी स्कीम सींगपास के साथ जोड़ा जाएगा और सरकारी सेवाओं के लिए इसकी अनुमति दी जाएगी.
एंड्रयू बड ने बताया कि "यह पहली बार है जब क्लाउड आधारित वेरिफिकेशन का इस्तेमाल लोगों की पहचान का नेशनल डिजिटल आइडेंटिटी स्कीम में किया जा रहा है."

वेरिफिकेशन या रिकॉग्निशन?
फेशियल रिकॉग्निशन और फेशियल वेरिफिकेशन दोनों ही इस बात पर निर्भर करते हैं कि जिस चेहरे की स्कैनिंग की जा रही है, वो डेटाबेस में पहले से मौजूद तस्वीर के साथ मैच करता है कि नहीं.

लेकिन दोनों में मुख्य अंतर यह है कि वेरिफिकेशन के लिए यूजर की साफ तौर पर सहमति की आवश्यकता होती है और इसके बाद वो किसी सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे फोन खोलने के लिए या फिर स्मार्टफोन पर बैंकिंग के ऐप के लिए.

जहाँ तक बात फेशियल रिकॉग्निशन का है तो उसका इस्तेमाल स्टेशन या किसी भी सार्वजनिक जगह पर किसी अपराधी को पहचानने में किया जाता है.

एंड्रयू बड कहते हैं, "फेशियल रिकॉग्निशन के कई सामाजिक निहितार्थ है जबकि फेशियल वेरिफिकेशन एक सौम्यतापूर्ण अभ्यास है."

हालांकि निजता के पक्ष में दलील देने वालों का कहना कि जब किसी संवेदनशील बायोमेट्रिक डेटा की बात हो रही हो तो फिर वहाँ सहमति का बहुत ख्याल नहीं रखा जाता है.

लंदन स्थित प्राइवेसी इंटरनेशनल के क़ानूनी अधिकारी आइओनिस कुआवाकास कहते हैं, "सहमति का वहाँ कोई मतलब नहीं रह जाता है जहाँ डेटा और उस पर नियंत्रण रखने वालों के बीच असंतुलन की स्थिति है. सरकार और नागरिकों के संबंध के बीच ऐसा देखा गया है.,"

व्यापार या सरकार?
एयरपोर्ट पर बड़े पैमाने पर इस्तेमाल
अमरीका और चीन की टेक्नॉलॉजी कंपनियाँ फेशियल वेरिफिकेशन के धंधे में कूद पड़ी हैं. उदाहरण के लिए देखिए कि कई बैंकिंग ऐप वेरिफिकेशन के लिए एप्पल फेस आईडी या फिर गूगल फेस अनलॉक को सपोर्ट कर रही है. चीन की अलीबाबा कंपनी की स्माइल टू पे ऐप भी है.

कई सरकारें फेशियल वेरिफिकेशन का इस्तेमाल तो कर रही है लेकिन कुछ ही ऐसी है जो इसे राष्ट्रीय पहचान से जोड़ने पर विचार कर रही है. कुछ जगहें ऐसी हैं जहाँ नेशनल आईडी के इस्तेमाल का प्रचलन नहीं के बराबर है.

अमरीका जैसी जगहों पर पहचान के लिए मुख्य तौर पर ड्राइविंग लाइसेंस का इस्तेमाल किया जाता है. चीन नेशनल आईडी के तौर पर फेशियल वेरिफिकेशन को अपनाने की कोशिश में लगा हुआ है.

पिछले साल नए मोबाइल फोन की खरीद के साथ चेहरे की स्कैनिंग करने पर मजबूर किया गया था ताकि ग्राहक ने जो आईडी मुहैया कराई है उसकी सत्यता की जाँच की जा सके.

हालांकि फेशियल वेरिफिकेशन का एयरपोर्ट पर बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है और कई सरकारी विभागों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, इसमें ब्रितानी गृह मंत्रालय, नेशनल हेल्थ सर्विस और अमरीकी गृह मंत्रालय जैसे विभाग शामिल है.

इसका इस्तेमाल कैसे करेंगे?
सिंगापुर में मौजूदा टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल पहले से ही सिंगापुर टैक्स ऑफिस और सिंगापुर के बैंक डीबीएस में किया जा रहा है. ग्राहक इस तकनीक का इस्तेमाल ऑनलाइन बैंक अकाउंट खोलने में करते हैं.

इसका इस्तेमाल बंदरगाहों के सुरक्षित क्षेत्रों में भी किया जाता है. इसका इस्तेमाल किसी भी उस व्यापार में किया जा सकता है जो सरकार की जरूरतों के हिसाब से हो.

गोवटेक सिंगापुर में नेशनल डिजिटल आइडेंटिटी के सीनियर डायरेक्टर क्वोक क्वेक सीन का कहना है, "हम वाकई में इस डिजिटल फेस वेरिफिकेशन का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं, इस लेकर कोई पाबंदी नहीं लगाने जा रहे हैं बशर्ते कि यह हमारी शर्तों के हिसाब से हो और जो मौलिक शर्तें हैं, वो हैं लोगों की सहमति और व्यक्ति विशेष की जागरूकता."

गोवटेक सिंगापुर का मानना है कि यह तकनीक व्यावसायों के लिए बेहतर साबित होगा क्योंकि वो इसका इस्तेमाल खुद से इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए बिना ही कर सकते हैं.

क्वोक क्वेक सीन कहते हैं कि यह निजता के लिहाज से भी बेहतर होगा क्योंकि कंपनियों को बॉयोमेट्रिक डेटा इकट्ठा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

- बीबीसी हिन्दी

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